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मोसाद ने इस्माइल हानिया को घर में घुसकर कैसे मारा!, खूंखार ‘ब्लैक सितंबर’ से क्या है कनेक्शन

इजरायल के दुश्मन नंबर वन हमास के चीफ इस्माइल हानिया को मार गिराया गया है। हमास की राजनीतिक शाखा के प्रमुख हानिया को तेहरान में उसके आवास पर हवाई हमले में मार गिराया गया। उसके बॉडीगार्ड की भी हत्या हो गई। ईरान की सेना ईरान रिवॉल्युशनरी गार्ड्स ने भी इसकी पुष्टि की है। कहा जा रहा है कि इजरायल ने इस हमले से हमास के अक्टूबर हमले का बदला ले लिया है। जानते हैं कि मोसाद दुनिया भर में इजरायल के दुश्मनों को कैसे खोज निकालती है और किस तरह के तौर-तरीकों का इस्तेमाल करती है। 1972 की बात, जब जर्मनी में म्यूनिख ओलंपिक गेम्स चल रहे थे। उस साल 5 सितंबर की रात को इजरायल के एथलीट म्युनिख ओलंपिक गांव में अपने फ्लैट्स में सो रहे थे, जब पूरा अपार्टमेंट मशीनगनों की तड़तड़ाती गोलियों से गूंज उठा। ये हमला उस वक्त फिलिस्तीन के खूंखार आतंकी संगठन ‘ब्लैक सितंबर’ के 8 लड़ाकों ने किया, जो खिलाड़ियों की ड्रेस पहने अंधाधुंध फायरिंग कर रहे थे। इस हमले में 11 इजरायली खिलाड़ी और 1 जर्मन पुलिसकर्मी को जान गंवानी पड़ी। बदले में तब इजरायल ने दो दिन बाद ही सीरिया और लेबनान में फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी पीएलओ के 10 ठिकानों पर बमबारी करके तबाह कर दिया।लेखक साइमन रीव की किताब ‘वन डे इन सेप्टेम्बर’ में लिखा है कि इजरायल ने म्यूनिख में मारे गए अपने खिलाड़ियों की मौत का बदला लेने के लिए अपनी खूंखार सीक्रेट एजेंसी मोसाद को इस काम में लगाया, जिसने उन्हें खोज निकालने के लिए दिन-रात एक कर दिया और उन्हें मार डाला। कुछ ऐसी ही कहानी उस घटना के 52 साल बाद फिर दोहराई गई, जब फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास के चीफ इस्माइल हानिया को ईरान की राजधानी तेहरान में उसके आवास पर हवाई हमले में मार डाला गया। ये हानिया ही था, जो बीते साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमले का मास्टरमाइंड था। बताया जा रहा है कि हानिया ईरान के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए तेहरान में था। जहां मोसाद ने उसकी रेकी की और फिर गाइडेड मिसाइलों से उसके आवास पर हमला बोला गया। मोसाद पूरी दुनिया में इजरायल के दुश्मनों को ठिकाने लगाने के लिए ऐसी ही रणनीति में माहिर है। ब्लैक सेप्टेम्बर के सीक्रेट चीफ समेत 3 को मार डाला
किताब ‘वन डे इन सेप्टेम्बर’ के अनुसार, 16 अक्टूबर, 1972 को इजरायली एजेंटों ने पीएलओ इटली के प्रतिनिधि अब्दल-वैल जावैतार को रोम में उसके घर में घुस कर गोलियां मारीं और ये लंबे समय तक चलने वाले कथित इजरायली बदले की शुरुआत थी। जावैतार की भी म्यूनिख हमले में बड़ी भूमिका थी। इसके बाद 9 अप्रैल, 1973 को मोसाद ने बेरूत में एक संयुक्त अभियान शुरू किया, जिसमें इजरायली कमांडो मिसाइल बोट और गश्ती नौकाओं से लेबनान के एक खाली समुद्री तट पर रात को पहुंचे। अगले दिन दोपहर तक ब्लैक सेप्टेम्बर चलाने वाली फतह के सीक्रेट चीफ मोहम्मद यूसुफ या अबू यूसुफ, कमल अदवान और पीएलओ प्रवक्ता कमल नासिर की उनके घरों में हत्या हो चुकी थी। माना जाता है कि इजरायल अपना यह तरीका आज भी अपने दुश्मनों को मारने में करता आया है।तीन एजेंसियां जो आतंक के खिलाफ जंग में एकसाथ करती हैं काम
मोसाद एक हिब्रू भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है इंस्टीट्यूट। इसे इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलीजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस के नाम से भी जाना जाता है। इसका मकसद है खुफिया जानकारी जुटाओ, मिशन को अंजाम दो और आतंकवाद को नेस्तनाबूद कर दो। तेल अवीव में इसका हेडक्वॉर्टर्स है। 13 दिसंबर, 1949 को जब इसका गठन हुआ तो इसे सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर कोऑर्डिनेशन के नाम से जाना गया। इजरायल में तीन प्रमुख एजेंसियां हैं – अमन, मोसाद और शिन बेट। अमन जहां सैन्य खुफिया जानकारी मुहैया कराती है। वहीं मोसाद विदेशी जासूसी मामलों को संभालती है और शिन बेट घरेलू सुरक्षा का ख्याल रखती है।

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