मध्य प्रदेश

MP के ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ में मैपकास्ट बना सहभागी

मैपकास्ट द्वारा 16 जून तक आयोजित किये जाएंगे जागरुकता कार्यक्रम

भोपाल। हमारा शरीर पंचमहाभूत आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी से मिलकर बना है। इनसे ही मानव शरीर और सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। इनमें से किसी भी तत्व में असंतुलन हुआ तो पंचतत्वों को खतरा हो जाता है। ऐसे ही हर जगह मौजूद बेतहाशा प्लास्टिक ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है। यह बातें भारतीय वायु सेना के कैप्टन ओ.पी. शर्मा ने कहीं। वे मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकास्ट) में पर्यावरण दिवस के मौके पर आयोजित कार्यशाला में अपनी बातें रख रहे थे। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रारंभ किये गए ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ के तारतम्य में में मैपकास्ट में भी यह आयोजन किया गया था।
इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि वायुसेना के कैप्टन ओपी शर्मा, विषय विशेषज्ञ डॉ. सुदेश बाघमारे, मैपकास्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी, भूगर्भशास्त्री डॉ. वीके पाराशर, डॉ. जय सिंह, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विकास शेंडे सहित मैपकास्ट के वैज्ञानिक, कर्मचारी, विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के विद्यर्थी और शिक्षक उपस्थित रहे।
जय हिन्द बोलकर दिलाई नो पॉलिथीन की शपथ
कैप्टन ओपी शर्मा ने कार्यक्रम में मौजूद सभी प्रतिभागियों में ‘जय हिंद’ का घोष करके सभी में जोश जगाया। उन्होंने सभी को प्रतिज्ञा दिलाई कि वे एक साल तक न ही कहीं से प्लास्टिक लेंगे, न ही कहीं प्लास्टिक देंगे।
इलाज से बेहतर रोकथाम : डॉ. अनिल कोठारी
मैपकास्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने ‘प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर’ की संज्ञा देते हुए कहा कि पर्यावरण असंतुलन हो जाए उसके बाद समस्या का हल ढूंढने से पहले ही हमें पर्यावरण संरक्षण की पहल करनी चाहिए। हमारे भारत में तो सहजीवन की परंपरा रही है, इसलिए जियो और जीने दो के विचार के साथ पर्यावरण संरक्षण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैपकास्ट के साथ जुड़कर अन्य संस्थान पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर सकते हैं।
10 दिन तक पूरे प्रदेश में कार्यक्रम करेगा मैपकास्ट : डॉ. विकास शेंडे
मैपकास्ट के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विकास शेंडे ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 10 दिनों तक पर्यावरण संरक्षरण संबंधी गतिविधि बढ़ाने के लिए प्रयास करने के निर्देश दिये हैं। मैपकास्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी की प्रेरणा से 15 जून तक मैपकास्ट पूरे प्रदेश में कार्यक्रम आयोजित करेगा।
पेड़ रहेंगे तो नदियों में बहेगा जल : डॉ. सुदेश बाघमारे
पर्यावरण विशेषज्ञ और पूर्व वन अधिकारी डॉ. सुदेश बाघमारे ने कहा कि विज्ञान, कला और संस्कृति का संगम है। पानी की एक—एक बूंद भोपाल से गंगा तक सफर करती और फिर सागर में मिल जाती है। उन्होंने कहा— हम सबकुछ एक्सपोर्ट कर सकते हैं, लेकिन पानी नहींं। इसके लिए हमें खेत का पानी खेत में ही संग्रहित करना चाहिए, तालाब का पानी तालाब में ही संग्रहित कर लेना चाहिए। बाघमारे ने कहा कि अगर नदियों के आसपास पेड़ होंगे तभी नदियां सदा नीरा रहेंगी, नहीं तो नदियों में पानी सूखना तय है।
डॉ. वी के पाराशर शोध के द्वारा बताया जल का महत्व
इस कार्यशाला में इंजीनियर एवं तकनीकी विद्यार्थियों के अलावा स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। दो सत्रों में हुई कार्यशाला में भूगर्भशास्त्री डॉ. वी.के. पाराशर ने अपनी रिसर्च के माध्यम से पानी के महत्व को बताया। वहीं, विशेषज्ञों ने यहां सीड बॉल बनाने की प्रक्रिया भी समझाई। वहीं, पंकज जी ने विज्ञान के कठिन प्रयोगों को प्रदर्शन के माध्यम से आसान प्रक्रिया द्वारा समझाया।

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