अध्यात्ममध्य प्रदेश

निरंकारी मिशन की भोपाल, बैरागढ़ सहित जोन 24 ए की सभी ब्रांचों में हुआ “मुक्ति पर्व दिवस” का आयोजन

श्रद्धालुओं द्वारा समर्पित भक्तों का किया गया स्मरण

भोपाल : 16 अगस्त सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं पूज्य निरंकारी राजपिता जी के पावन आशीर्वाद से संत निरंकारी सत्संग भवन भोपाल, बैरागढ़ सहित जोन 24 ए की सभी ब्रांचों में गुरुवार को ‘मुक्ति पर्व दिवस’ का आयोजन किया गया । जिसमें सभी श्रद्धालु भक्तों ने युगपुरुष बाबा अवतार सिंह जी, जगत माता बुद्धवंती जी, निरंकारी राजमाता कुलवंत कौर जी, माता संविदर हरदेव जी, प्रधान लाभ सिंह जी, संतोख सिंह जी एवं अनन्य भक्तों द्वारा मानव को सत्य ज्ञान की दिव्य ज्योति से अवगत करवाने हेतु हृदय से श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये। इसी अवसर पर उनके प्रेरणादायी जीवन से शिक्षाएं भी सांझा की गयी। इन सभी संतों ने अनेक विषम परिस्थितियों के बावजूद अपने तप त्याग से मिशन को नई ऊँचाईयों तक पहुंचाया जिसके लिए निरंकारी जगत का प्रत्येक भक्त ताउम्र उन भक्तों का ऋणी रहेगा। ज्ञातव्य है कि मुक्ति पर्व समागम सर्वप्रथम 15 अगस्त, 1964 को शहंशाह बाबा अवतार सिंह जी की धर्मपत्नी जगत माता बुधवंती जी की स्मृति में आयोजित किया गया था। शहंशाह जी स्वयं सेवा की जीवंत प्रति मूर्ति थे जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन निःस्वार्थ भाव से मिशन को समर्पित कर दिया। 1969 में उनके ब्रह्मलीन होने के उपरांत इस दिन को ‘शहंशाह जगत माता दिवस’ के रूप में संबोधित किया जाने लगा। 1979 में जब संत निरंकारी मंडल के प्रथम प्रधान लाभ सिंह जी ने अपना नश्वर शरीर त्यागा तो बाबा गुरबचन सिंह जी ने इस दिन को ‘मुक्ति पर्व’ नाम दिया। पूज्य माता सविंदर हरदेव जी ने 5 अगस्त, 2018 को अपना नश्वर शरीर त्याग दिया। उन्होंने वर्ष 2016 में सतगुरु के रूप में मिशन की बागडोर संभाली तथा उससे पूर्व 36 वर्षों तक निरन्तर हर क्षेत्र में बाबा हरदेव सिंह जी का सहयोग किया तथा प्रत्येक श्रद्धालु को अपने प्रेम से सराबोर किया। उनके प्रेम का सार हमेशा हर भक्त के हृदय में बसा रहेगा। यह उनका आदर्श जीवन है जिसे मुक्ति पर्व के स्मरण किया जाता है और इससे दूसरों को प्रेरणा मिलती है। कार्यक्रम का समापन भोपाल में जोनल इंचार्ज महात्मा श्री अशोक जुनेजा जी एवं बैरागढ़ में संयोजक महात्मा श्री महेश वीधानी जी की पावन हुजूरी में हुआ। निःसंदेह यह दिन निरंकारी मिशन के प्रत्येक संत को समर्पित है जिन्होंने प्रेम, परोपकार और भाईचारे से भरा एक आदर्श जीवन प्रस्तुत किया।
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