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एक अपराधी, नशे के आदी, दलित , महिला और दहेज उत्पीडऩ के मामलों के आरोपी के नाम पर सैनिक स्कूल का नामकरण चिंताजनक

मंत्री विजय शाह की कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई टिप्पणी मामले में भाजपा चुप क्यों

भोपाल।    ‌‌जसविंदर सिंह राज्य सचिव
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भारत को हमेशा अपनी सेना पर गर्व रहा है। भारतीय सेना विश्व की सबसे अनुशासित, समर्पित और बहादुर सेनाओं में गिनी जाती है। धर्मनिरपेक्षता, साम्प्रदायिक सदभाव और मानवता के प्रति उसका विश्वास और गौरवमयी अतीत तो है ही, भविष्य की उम्मीद भी जगाता है। लेकिन केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से सेना की यही प्रतिष्ठा और पहचान दांव पर लगाई जा रही है। सरकार की कोशिश आने वाले दिनों में सेना में साम्प्रदायिक जहर घोलने की है, जो हमारी देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता के लिए भी खतरनाक होगा। मंत्री विजय शाह की कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई टिपणी और उस पर भाजपा की चुप्पी से यह बात और साफ हो गई है।
हम कुछ पहलुओं को आप के माध्यम से उजागगर करना चाहते हैं।
देश भर में रक्षा मंत्रालय की ओर से सैनिक स्कूल चलाए जाते हैं। मध्यप्रदेश में भी रीवा में ऐसा ही एक स्कूल है, जो देश भर में अपनी पहचान बना चुका है। चार साल पहले केंद्र सरकार ने निर्णय लिया था कि निजी क्षेत्र की मदद से पब्लिक -प्राईवेट -पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत देश भर में सौ और सेनिक स्कूल खोले जाएंगे। इन स्कूलों का आवंटन रक्षा मंत्रालय के अंर्तगत गठित सैनिक स्कूल सोसाईटी करती है।
मध्यप्रदेश में पिछले चार सालों में पीपीपी मोड से पांच सैनिक स्कूल खोले गए हैं। यह स्कूल मंदसौर, नीमच, खरगौन, कटनी और नर्मदापुरम में हैं। इन सारे स्कूलों का संचालन आरएसएस से जुड़े संगठनों को सौंपा गया है। इन स्कूलों को बड़े पैमाने पर ग्रांट मिलती है। इसमें छात्र की 50 फीसद फीस या अधिकतम 40 हजार रुपए प्रति छात्र के रूप में रक्षा मंत्रालय इन स्कूलों को अनुदान देता है। यह सिर्फ इन संगठनों को आर्थिक संसाधन मुहैया कराने की बात नहीं है। आरएसएस की फासीवादी साम्प्रदायिक विचारधारा से हम सब वाकिफ हैं। हम जानते हैं कि सरस्वती शिशु मंदिरों में कैसे बच्चों की कोमल मानसिकता में जहर भरने की कोशिश होती है।
यही कोशिश अब सैनिक स्कूलों में होगी। इन स्कूलों से निकले बच्चे अगर सेना में जाएंगे तो सेना के धर्मनिरपेक्ष और स्वतंत्र चरित्र का क्या होगा? यह हम सबके लिए चिंता का विषय होना चाहिए। बात सिर्फ मध्यप्रदेश की ही नहीं है, अभी तक देश में पीपीपी मोड पर 61 स्कूल खोले गए हैं और उनमें से 70 प्रतिशत स्कूल आरएसएस और भाजपा नेताओं को संचालन के लिए दिए गए हैं।
अब मध्यप्रदेश में छठवां सैनिक स्कूल नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में खुलने जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसका उदघाटन करने वाले हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस स्कूल का नामकरण मणिनागेंद्र सिंह के नाम से किया गया है। मणिनागेंद्र भाजपा नेता और पंचायत मंत्री प्रह्लाद पटेल के भतीजे और जालिम सिंह पटेल के बेटे थे। मणिनागेंद्र सिंह के बारे में कुछ जानकारियां इस प्रकार हैं:
1. नरसिंहपुर अदालत ने 2021 में मणिनागेंद्र को अपराधिक मामले में चार अन्य अपराधियों के साथ एक साल की सजा सुनाई थी। हालांकि ऊपर की अदालत से उन्हें जमानत मिल गई थी।
2. वर्ष 2019 में एक दलित के साथ मारपीट के अपराध में वर्ष 2023 में मणिनागेंद्र को गिरफ्तार किया गया था, वे करीब 15 दिन तक जेल में रहे।
3. मणिनागेंद्र की पत्नी नीतू सिंह ने उन पर महिला उत्पीडऩ, दहेज उत्पीडऩ के आरोप भी लगाए थे और पुलिस थाने में एपआइआर भी दर्ज की थे। नीतू सिंह ने अपने पति पर नशे के आदी होने का आरोप भी लगाया था।
4. वर्ष 2023 में संदिग्ध परिस्थितियों में मणिनागेंद्र की मृत्यु हो गई थी।
आमतौर पर सार्वजनिक संस्थानों का नामकरण उन विभूतियों के सम्मान के किया जाता है, जिन्होने समाज और देश के विकास में विभिन्न क्षेत्रों में योगदान किया हो। शिक्षण संस्थानों और विशेषकर सैनिक स्कूलों के नामकरण को लेकर तो हमें और भी संवेदनशील होना चाहिए।
एक अपराधी, नशे के आदी, दलित , महिला और दहेज उत्पीडऩ के मामलों के आरोपी के नाम पर सैनिक स्कूल का नामकरण चिंताजनक है। भाजपा सरकार इससे क्या संदेश देना चाहती है?
हमारी पार्टी न केवल गोटेगांव में एक अपराधी के नाम पर सैनिक स्कूल के नामकरण का विरोध करते है बल्कि मांग करती है कि सैनिक स्कूलों का संचालन सरकार को करना चाहिए और आरएसएस – भाजपा नेताओं को संचालन के लिए आवंटित स्कूलों का भी सरकार को अधिग्रहण करना चाहिए। इसके साथ ही हम कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी करने वाले विजय शाह को भी मंत्रीमंडल से तुरंत बर्खास्त करने की मांग करते हैं।

 

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