
नई दिल्ली:देश में 18 वीं लोकसभा के लिए 7 चरण में हुए मतदान के लिए मंगलवार को मतों की गणना संपन्न हुई. इस चुनाव में एग्जिट पोल के अनुमान पूरी तरह से सही साबित नहीं हुए. कई एग्जिट पोल में एनडीए को 400 सीटों का अनुमान लगाया गया था. हालांकि चुनाव परिणाम में एनडीए को 293 सीटों पर जीत मिली वहीं इंडिया गठबंधन को 231 सीटों पर जीत मिली है. भारतीय जनता पार्टी को 240 सीटों पर जीत मिली है. कांग्रेस पार्टी ने 99 सीटों पर जीत दर्ज की है. समाजवादी पार्टी को 37 सीटों पर जीत मिली है. टीएमसी ने 29 सीटों पर सफलता हासिल की है.
NDA का महानगरों में जोरदार प्रदर्शन
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में महानगरों में जोरदार प्रदर्शन किया और इसने दिल्ली, बेंगलुरु तथा पुणे जैसे शहरी क्षेत्रों में अच्छी बढ़त हासिल की है. हालांकि, मुंबई में स्थिति थोड़ी विपरीत दिखी. ‘इंडिया’ गठबंधन ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया और ग्रामीण क्षेत्रों में उसे अच्छी-खासी संख्या में वोट मिले हैं. दिल्ली में भाजपा ने अपना गढ़ बरकरार रखा है और उसके उम्मीदवार शहर की सभी सात सीट पर आगे हैं. रुझान बेंगलुरु में भी ऐसा ही रहा जहां शहरी मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर भाजपा प्रत्याशियों का समर्थन किया.
क्षेत्रीय छत्रपों का दिखा दबदबा
लोकसभा चुनाव की मतगणना के रुझानों के साथ ही क्षेत्रीय छत्रपों ने अपना लोहा मनवाया, जहां उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव नीत समाजवादी पार्टी ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया, वहीं आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा ने शानदार बढ़त हासिल की. भाजपा के अकेले दम पर बहुमत हासिल करने से चूक जाने के बाद जहां तेदेपा और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) के पास राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की कुंजी है, वहीं वाईएसआरसीपी, बीआरएस, बीजद और बसपा जैसी कुछ क्षेत्रीय पार्टियां महत्वहीन हो गई हैं.
ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने भी पिछली बार की तुलना में अपनी स्थिति मजबूत की है और इस बार पश्चिम बंगाल में 42 में से 29 सीटों पर आगे है. तृणमूल ने पिछले आम चुनाव में 22 सीटों पर जीत दर्ज की थी. तेलंगाना में अब तक की मतगणना में के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) किसी भी सीट पर आगे नहीं है, हालांकि पिछली बार उसने नौ सीटें जीती थीं. महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव ठाकरे) भी नौ सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जबकि पिछली बार शिवसेना (अविभाजित) ने 18 सीटें थीं. राकांपा (शरद पवार) 2019 में पांच सीटों के मुकाबले इस बार सात सीटों पर आगे है.
बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इस बार अपनी सभी पांच सीटों पर आगे रही. लालू प्रसाद यादव की राजद पिछली बार खाता नहीं खोल सकी थी लेकिन इस बार पार्टी चार सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) राज्य की तीन सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जबकि पार्टी को पिछले आम चुनाव में सिर्फ एक सीट मिली थी. हाल में झामुमो नेता हेमंत सोरेन को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
दलबदल करने वाले नेताओं का कैसा रहा परिणाम?
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उद्योगपति नवीन जिंदल और उत्तर प्रदेश के मंत्री जितिन प्रसाद उन दलबदलुओं में शामिल हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की, जबकि अशोक तंवर, सीता सोरेन और परनीत कौर उन लोगों की सूची में शामिल हो गए, जो भाजपा में शामिल तो हुए, लेकिन चुनावी जीत नहीं हासिल कर सके. मध्य प्रदेश के गुना निर्वाचन क्षेत्र से उड्डयन मंत्री सिंधिया पांच लाख से अधिक मतों के अंतर से जीते.