6अक्टूबर को प्रीपेड़ स्मार्ट मीटर योजना और बिजली जैसे आवश्यक सेवा क्षेत्र के निजीकरण के विरोध में जुटेंगे प्रदेश से बिजली उपभोक्ता

3 अक्टूबर को बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन की ओर से भोपाल के 9 मसाला रेस्टोरेंट में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। प्रेस वार्ता में मध्य प्रदेश बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन की प्रदेश संयोजिका रचनाअग्रवाल ,राकेश मिश्रा जी, नरेंद्र भदोरिया जी, लोकेश शर्मा, प्रदीप आर बी, मुदित भटनागर, रवि शर्मा बंजारा ने प्रेस मीडिया को संबोधित किया। 6अक्टूबर को प्रीपेड़ स्मार्ट मीटर योजना और बिजली जैसे आवश्यक सेवा क्षेत्र के निजीकरण के विरोध में जुटेंगे पूरे प्रदेश से बिजली उपभोक्ता। आंदोलन तेज करने का ऐलान भी किया गया।
मध्य प्रदेश बिजली उपभोक्ता संगठन की प्रदेश संयोजिका रचना अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को बताया कि आज मध्य प्रदेश सहित देश भर में बिजली उपभोक्ताओं द्वारा बिजली के प्रीपेड स्मार्ट मीटर का विरोध किया जा रहा है यह विरोध कोई औपचारिकता या कोई निहित स्वार्थ पर आधारित राजनीतिक विरोध नहीं है बल्कि हमारी दैनिक आय और जीवन मरण के प्रश्न के साथ ओत प्रोत रूप से जुड़ा हुआ है हाल ही में हम इसके दुष्परिणामों को पूरे देश भर में देख सुन रहे हैं मध्य प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है लेकिन जो लोग नीतिगत तौर पर इस योजना को देख रहे हैं वह जानते हैं की ये योजना बिजली जैसी अत्यंत आवश्यक सेवा को बड़े-बड़े कॉर्पोरेट के हाथों मुनाफा कमाने के लिए छोड़ देने की एक योजना है , प्रीपेड स्मार्ट मीटर “रिवेम्प्ड डिस्ट्रिव्यूशन सेक्टर स्कीम” के तहत लगाये जा रहे हैं जो कि संसद में लंबित बिजली संशोधन विधेयक 2022 लागू करने का चोर दरवाजा है। प्रदेश की राजधानी भोपाल में आम उपभोक्ताओं ने यह बताया है कि प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनके बिजली के बिल महीने में दो बार आ रहे हैं हर 15 दिन में बिजल बिल दिया जा रहा है और बिल की राशि 5000 से लेकर 50000,तक आ रही है जिसके कारण उपभोक्ता बिल नहीं भर पा रहे हैं और बिल न भरने पर उनकी बिजली काट दी जा रही है लोग अंधेरे में रहने पर मजबूर है यही हाल पूरे प्रदेश का है।जहां स्मार्ट मीटर लगे हैं उन सभी जिलों में उपभोक्ता बिजली बिलों से पीड़ित है ।
लोग अपने गहने और बर्तन बेचकर बिल भर रहे हैं। अखबारों ने भी यह रिपोर्ट छापी है। मध्य प्रदेश में 2019 में बिजली कंपनियों को निजी हाथों में बेचने की घोषणा की गई।कहा गया की बिजली कंपनी घाटे में चल रही है। जबलपुर हाई कोर्ट में जब किसी ने याचिका दायर की तब यह ज्ञात हुआ कि मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा बिजली कंपनी के निजी बिजली उत्पादक कंपनियों के साथ ऐसे बिजली खरीद समझौते करवाए गए हैं जिसके अनुसार बिजली कंपनी निजी कंपनी से बिजली ले या ना ले लेकिन उसको एक निश्चित पैसा चुकाना होगा । यह राशि कितनी अधिक है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकारी बिजली कंपनी के द्वारा निजी बिजली उत्पादक कंपनी को 2018 में इस बिजली खरीद समझौते के तहत 6625 करोड रुपए चुकाए । जिससे मध्य प्रदेश की बिजली कंपनी घाटे में आ गई और उसको दिखाकर मध्य प्रदेश में बिजली क्षेत्र का निजीकरण शुरू कर दिया गया है। जबकि वास्तविकता यह है कि बिजली कानून 2003 बनाकर बिजली क्षेत्र में निजीकरण
का रास्ता पहले ही तैयार कर लिया गया था।
मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लोग स्वत: स्फूर्त इस प्रीपेड मीटर का विरोध इसलिए कर रहे हैं कि इन मीटरों से उनका बिल हजारों और कहीं कहीं लाखों रुपये में पहुंच गया है।
आम उपभोक्ता को हजारों हजार रुपया देने के लिए विवश किया जा रहा है जबकि उद्योगपति अडानी को मध्य प्रदेश का बिजली विभाग एक रुपए की लीज पर 35 साल के लिए सौंप दिया गया है । मध्य प्रदेश बिजली विभाग के पास एकत्रित लाख करोड़ की संपत्ति है यह खुद सरकार के द्वारा ही घोषित किया गया है। यह संपत्ति आम उपभोक्ता के टैक्स के पैसे से बनी है लेकिन आज इसको पूंजीपति अडानी के हाथों न केवल मुफ्त में लुटाया जा रहा है अपितु उपभोक्ताओं के कंधो पर एक ऐसा बोझा रख दिया जा रहा है जिसका बोझ उपभोक्ता और उसकी आने वाली पीढ़ियों को जिंदगी भर उठाना होगा ।
बिजली संशोधन विधेयक 2022 की विभिन्न धाराओं में कहा गया है कि ## कम्पनी के खुद की पुलिस और थाने स्थापित होंगे।
कंपनी के द्वारा बनाया हुआ शिकायत निवारण केंद्र होगा समस्याओं को इसी में बताया जा सकेगा जो कि कंपनी के खिलाफ कोई भी एक्शन लेने में अक्षम है। ##हाई कोर्ट तक के कानूनी अधिकार ECEA (electricity contract enforcement authority) को दिए जाएंगे और कंपनी से विवाद होने की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट जाना होगा। ##इस विद्येयक के अनुसार बिजली क्षेत्र में सब्सिडी को पूरी तरह खत्म किया जाएगा। उपभोक्ताओं के ऊपर बिजली के बिल का भारी बोझ डाला जाएगा।भविष्य में बिजली के रेट बढ़ते रहेंगे और गरीब उपभोक्ता के लिए बिजली लेना असंभव हो जाएगा।
## उपभोक्ता अगर बिल न चुका पाए तो कुर्की करके उपभोक्ता की संपत्ति को जब्त करने का अधिकार कंपनी को दिया गया है। यह पूरी तरह बिजली उपभोक्ता विरोधी नीति है।
पूरे प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के द्वारा इस नीति का विरोध किया जा रहा है।
हमारी मांगे –
1.सरकार से मांग करते हैं की बिजली जैसे आवश्यक सेवा क्षेत्र के निजीकरण की नीति रद्द की जाए।
2. बिजली संशोधन विधेयक 2022 को पूरी तरह रद्द किया जाए किसी भी नाम पर लागू न किया जाए।
3. स्मार्ट मीटर लगाने की नीति को रद्द किया जाए।
4. बिजली के बिल हार्ड कॉपी के रूप में और पोस्टपेड ही दिया जाए
5. स्मार्ट मीटर जो लगाए गए हैं उनको हटाकर पुराना डिजिटल मीटर ही लगाया जाए।
6. स्मार्ट मीटर के विरोध की प्रक्रिया में विभिन्न बिजली उपभोक्ताओं पर जो एफ .आई. आर. दर्ज की गई है केस बनाए गए हैं उन्हें निरस्त किया जाए।
7. आम उपभोक्ताओं के अनुचित रूप से बढे हुए बिलों को (स्मार्ट मीटर और डिजिटल दोनों ही मीटरों द्वारा दिए बिलों को) रद्द किए जाए।
8. भविष्य में भी उपभोक्ताओं को उचित व तार्किक बिल ही दिए जाएं।
9. बिजली के रेट कम से कम होने चाहिए जिससे गरीब उपभोक्ता भी बिल भर सके।
10. अगर कोई बिजली का बिल नहीं भर सका हैं उनको तीन माह का समय दिया जाए। उनका बिजली कनेक्शन ना काटा जाए। क्योंकि मध्य प्रदेश की 36 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है ऐसी स्थिति में लोग बड़ी मुश्किल से बिल भर पाते हैं। इसी समय घर में कोई बीमार पड़ जाए या अन्य कोई विपत्ति आ जाए उस स्थिति में गरीब लोग तुरंत बिल भरने की स्थिति में नहीं होते हैं।
11. 200 युनिट बिजली सभी उपभोक्ताओं को निशुल्क दी जाए। बिजली क्षेत्र का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर आम उपभोक्ता के टैक्स के पैसे से खड़ा है। उपभोक्ता का यह अधिकार है।
यह आंदोलन हर बिजली
उपभोक्ता का है ,इसलिए आगामी 6 अक्टूबर को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा हैआम उपभोक्ता से आग्रह है कि इसमें बड़ी संख्या में शामिल हों।