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वनमाली जी’ की 113वीं जयंती पर वनमाली सृजन केन्द्रों के पाँचवें राष्ट्रीय सम्मेलन का हुए भव्य शुभारंभ

साहित्य, कला, संस्कृति एवं सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित सैकड़ों वनमाली सृजन केंद्रों ने की रचनात्मक भागीदारी

भोपाल। सुप्रसिद्ध कथाकार, शिक्षाविद् एवं विचारक  जगन्नाथ प्रसाद चौबे ‘वनमाली जी’ की 113 वीं जयंती के अवसर पर वनमाली सृजन केन्द्रों के ‘पाँचवें राष्ट्रीय सम्मेलन’ का शुभारंभ 1अगस्त 2025 (शुक्रवार) को स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी, भोपाल में पूर्ण भव्यता से किया गया। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में सुदूर अँचलों, गाँव-कस्बों में कला, साहित्य, संस्कृति, सामाजिक सरोकारों की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, आसाम, पश्चिम बंगाल, केरल आदि में स्थापित सैकड़ों वनमाली सृजन केंद्रों के अध्यक्षों, संयोजकों एवं रचनाकार सदस्यों द्वारा रचनात्मक भागीदारी की गई। उल्लेखनीय है कि सुप्रसिद्ध कथाकार, शिक्षाविद् तथा विचारक जगन्नाथ प्रसाद चौबे ’वनमाली जी’ के रचनात्मक योगदान और स्मृति को समर्पित वनमाली सृजन पीठ एक साहित्यिक, सांस्कृतिक तथा रचनाधर्मी अनुष्ठान है, जो विगत पैंतीस वर्षों से परंपरा तथा आधुनिक आग्रहों के बीच संवाद तैयार करने के लिए सतत सक्रिय है। इन वर्षों में वनमाली सृजन पीठ ने अविस्मरणीय सृजन यात्रा तय की है। यह यात्रा अनवरत जारी है। सुप्रसिद्ध कवि–कथाकार, विश्व रंग के निदेशक, वनमाली सृजन पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संतोष चौबे ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमारे घर में वनमाली जी का पुस्तकालय मेरे लिए जादुई पुस्तकालय था। उन्होंने अपने पुस्तकालय में स्थानिकता से लेकर वैश्विक साहित्य को बड़ी संजिदगी से सहेज कर रखा था। वह मुझे अनमोल धरोहर के रूप में मिला। उसी पुस्तकालय से मैं समृद्ध हो पाया। उन्हीं की शिक्षा और सरोकारों के प्रतिफल स्वरूप खंडवा जैसी छोटी जगह से प्रारंभ वनमाली सृजन पीठ और केंद्रों की यात्रा ने विश्व रंग के रूप में समूचे विश्व के 65 से अधिक देशों में अपना परचम लहराया है। हिंदी के लिए वैश्विक स्तर पर एक नई जमीन तैयार की है।

इस अवसर पर श्री संतोष चौबे ने रायपुर (छत्तीसगढ़) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में वनमाली सृजन पीठ स्थापित करने की घोषणा करते हुए कहा कि देशभर में 50 नये वनमाली सृजन केंद्रों की स्थापना की जाएगी। सभी वनमाली सृजन केंद्र आत्मनिर्भरता के साथ मल्टी कल्चरल सेंटर के रूप में विकसित किए जायेंगे। श्री मुकेश वर्मा, अध्यक्ष, वनमाली सृजन पीठ, भोपाल ने कहा कि वनमाली सृजन केंद्रों और विश्व रंग ने दूरदराज के अंचलों में लेखनरत रचनाकारों और विदेशों में निवासरत प्रवासी भारतीय रचनाकारों को साझा वैश्विक मंच प्रदान किया है। श्री लीलाधर मंडलोई, अध्यक्ष, वनमाली सृजन पीठ, दिल्ली ने कहा कि वनमाली सृजन
डॉ. विनीता चौबे, संपादक, इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए’ ने कहा कि उद्घाटन अवसर पर डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, कुलाधिपति, स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, भोपाल ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि वनमाली जी का शिक्षक के रूप में अपने विद्यार्थियों से बहुत जीवंत और गहरा नाता रहा है। वनमाली जी की 113 वीं जयंती पर राष्ट्रीय सम्मेलन में हजारों रचनाधर्मियों द्वारा उनका स्मरण करना इस बात का स्वयं गवाह है। वे बहुत अनुशासन प्रिय थे। शिक्षा और जीवन में अनुशासन को बहुत महत्व देते थे। शिक्षा, जीवन और रचनात्मक लेखन में वे सिम्पलीसिटी पर भी बहुत जोर देते थे।
उद्घाटन सत्र के अवसर पर विश्व रंग मॉरीशस पर केंद्रित फिल्म का प्रदर्शन किया गया।

राष्ट्रीय वनमाली सृजन पीठ की राष्ट्रीय संयोजक सुश्री ज्योति रघुवंशी द्वारा सृजन पीठ और सृजन केंद्रों की रचनात्मक गतिविधियों पर केंद्रित विस्तृत वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।

उद्घाटन सत्र का संचालन युवा कथाकार एवं वनमाली कथा के संपादक, श्री कुणाल सिंह द्वारा किया गया।
*आईसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तकें और पत्रिकाएँ हुई लोकार्पित*

उद्घाटन अवसर पर ‘कला का आदर्श’, ‘वनमाली जी : एक कृती व्यक्तित्व’ वनमाली कथा’, पत्रिका ‘, ‘वनमाली वार्ता’ पत्रिका का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।

*उत्कृष्ट वनमाली सृजन पीठ और केंद्रों को अलंकृत किया गया*

सुदूर अँचलों, गाँव-कस्बों में कला, साहित्य, संस्कृति, सामाजिक सरोकारों की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए स्थापित वनमाली सृजन केंद्रों में से चयनित वनमाली सृजन केंद्रों रतलाम, विदिशा, शहडोल, बुरहानपुर को राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा।
इस अवसर पर वनमाली सृजन पीठ दिल्ली एवं वनमाली सृजन पीठ खंडवा को भी सम्मानित किया गया।

*राष्ट्रीय संगोष्ठी :* *’स्थानीय रचनात्मकता के प्रश्रय और प्रकाशन में वनमाली सृजन पीठ एवं आईसेक्ट पब्लिकेशन की भूमिका’*

वनमाली सृजन केंद्रों के राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन ‘स्थानीय रचनात्मकता के प्रश्रय और प्रकाशन में वनमाली सृजन पीठ एवं आईसेक्ट पब्लिकेशन की भूमिका’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कथाकार एवं वनमाली सृजन पीठ, भोपाल के अध्यक्ष श्री मुकेश वर्मा ने की।
वक्ता के तौर पर श्री लीलाधर मंडलोई, श्री रामकुमार तिवारी, डॉ. लता अग्रवाल ‘तुलजा’, सुश्री ज्योति रघुवंशी, श्री संतोष परिहार, श्री रफी शब्बीर, श्री घनश्याम सिंह नाग ने अपने विचार व्यक्त किए।
राष्ट्रीय संगोष्ठी का समाहार श्री संतोष चौबे किया। संगोष्ठी का संचालन आईसेक्ट पब्लिकेशन के वरिष्ठ प्रबंधक श्री महीप निगम ने किया।
*’वनमाली की कहानियों से गुजरते हुए’ पुस्तक होगी लोकार्पित*

इस अवसर पर डॉ. लता अग्रवाल ‘तुलजा’ द्वारा रचित पुस्तक ‘वनमाली की कहानियों से गुजरते हुए’ का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।

*’उत्कृष्ट प्रकाशन सम्मान–2025′ से सम्मानित हुए ‘रफी शब्बीर’ और ‘घनश्याम सिंह नाग’*

वनमाली सृजन केंद्रों के राष्ट्रीय सम्मेलन में आईसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा पहला ‘उत्कृष्ट प्रकाशन सम्मान–2025’ सुप्रसिद्ध रचनाकार, नाट्य लेखक एवं पटकथा लेखक रफी शब्बीर को उनकी चर्चित पुस्तक ‘बानो का बाबू’ और छत्तीसगढ़ के रचनाकार घनश्याम सिंह नाग को उनकी पुस्तक ‘बस्तर की प्राचीन राजधानी : बड़े डोंगर’ के लिए प्रदान किया गया।

*भोपाल के वरिष्ठ रचनाकारों और वनमाली सृजन केन्द्रों के रचनाकारों ने प्रस्तुत की उम्दा रचनाएँ*

*’कविता जल में निमग्न अग्नि है– लीलाधर मंडलोई*

वनमाली सृजन केंद्रों के राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर ‘भोपाल एवं वनमाली सृजन केंद्रों के आमंत्रित कवियों की काव्य गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ कवि श्री लीलाधर मंडलोई एवं वरिष्ठ कवि बलराम गुमास्ता की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
श्री लीलाधर मंडलोई ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज हमने समकालीन कविता के वरिष्ठ हस्ताक्षर श्री संतोष चौबे, श्री रामकुमार तिवारी, श्री बलराम गुमास्ता और श्री मोहन सगोरिया को सुना। यह सभी नये रचनाकारों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहा।
इसके साथ ही सृजन केंद्रों से जुड़े नये रचनाकारों की काव्य संवेदनाओं को भी सुना, उनमें एक गहरी उम्मीद हैं, लेकिन कविता की धारा अभी सिमित है। कविता लिखने से पहले जीवन, समाज और अपने समय को गहराई से पढ़ने की जरूरत होती है क्योंकि ‘कविता जल में निमग्न अग्नि है।’
वरिष्ठ कवि श्री बलराम गुमास्ता ने कहा कि राष्ट्रीय सम्मेलन में काव्य पाठ का यह आयोजन एक तरह से नये रचनाकारों के लिए रचनात्मक लेखन कार्यशाला की तरह रहा है। इसमें अलग–अलग रेंज की कविताएं हमारे सामने आई हैं। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई देते हुए आपने अपनी कविता ‘जब बेटी घर आई’ एवं ‘सूचना’ का बहुत ही मार्मिक पाठ किया।

काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि श्री रामकुमार तिवारी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस काव्य पाठ में रचनाकारों ने अपनी रचनाओं को बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति दी है। इस अवसर पर उन्होंने ‘आकाश उड़ रहा है’ कविता का बहुत उम्दा पाठ किया।

श्री संतोष चौबे ने अपनी लंबी कविता ‘रानी कमलापति’ कविता का भावपूर्ण पाठ किया।
इस अवसर पर श्री संजय सिंह राठौर, श्री मोहन सगोरिया, नेहलशाह, डॉ. विशाखा राजुरकर राज, श्री विक्रांत भट्ट, शालू अवस्थी, अर्पिता स्नेह (पटना), मनीष शर्मा (देवास), संतोष परिहार (बुरहानपुर), निरूपमा खरे, हिमांशु खरे (देवास), प्रतिभा मंडलोई (शिरपुर), अनिल अयान (सतना), रवीन्द्र यादव (टीकमगढ़), गोपी नवीन (शहडोल), डॉ. अनुपमा वंदना, याशी सक्सेना, अनिल वर्मा (बरेली), वंदना श्रीवास्तव आदि ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।
काव्य गोष्ठी का संचालन युवा कवियित्री डॉ. विशाखा राजुरकर किया। इस अवसर पर सुश्री शालू अवस्थी का काव्य संग्रह ‘सिर्फ तुम’ का लोकार्पण किया गया।

*टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के कलाकारों ने दी कविताओं की सांगीतिक प्रस्तुति*

टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा वनमाली सृजन केंद्रों के राष्ट्रीय सम्मेलन की पहली शाम वरिष्ठ संगीतकार संतोष कौशिक के निर्देशन में देश के स्थापित महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं की सांगीतिक प्रस्तुति दी। इसमें ‘वह तोड़ती पत्थर'(निराला), ‘चंदू मैंने सपना देखा’ (नागार्जुन), ‘घर रहेंगे हमीं उनमें रह न पायेंगे’ ( ), थोड़ा हूँ थोड़ा बाहर (संतोष चौबे), ‘यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में आग लगी हो’ (सर्वेश्वरदयाल सक्सेना), बहुत सुंदर लगेगा सूर्य (अरुण कमल) ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ (राजेश जोशी), खून अपना हो या पराया (शाहिर) की रचनाओं की बहुत ही अविस्मरणीय प्रस्तुतियाँ दी।

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