अध्यात्ममध्य प्रदेश

श्रावण मास के मंगलवार को लाल मंसूर की दाल एवं लाल पुष्प से किया गया भोले शिव का श्रृंगार होता है सर्वोत्तम : पं०सुशील

श्रावण मास के मंगलवार को लाल मंसूर की दाल एवं लाल पुष्प से किया गया भोले शिव का श्रृंगार होता है सर्वोत्तम : पं०सुशील
(नंदी और जलहरी का मुख आमने-सामने होता है कल्यांणकारी )
श्री शिव शक्ति धाम सिद्धाश्रम निपानिया जाट बैरसिया रोड भोपाल में श्रवणण मास के पावन पर्व पर मंगलवार के दिन आज धान्य लाल रंग की मसूर की दाल से दिन के रंग के हिसाब से भोले शिव ज्योतिर्लिंग का भव्य श्रृंगार किया गया । आचार्य पंडित सुशील कुमार पांण्डेय ने बताया है।कि सोमवार के दिन सफेद रंग के धान्य से भोले शिव का सिंगार उत्तम होता है। एवं दिन के हिसाब से मंगलवार के दिन लाल रंग के धान्य से भोले शिव की करी गई पूजा सर्वोत्तम पूजा होती है।इसके बाद 12 शिवाज्योतिर्लिंग का भी लाल मशहूर की दाल एवं पुष्पों से द्वादश शिव ज्योतिर्लिंग का भव्य सिंगार किया गया। इसके बाद में बिल वृक्ष के नीचे विल्व की जड़ को शिव ज्योतिर्लिंग मानकर लाल मसूर की दाल एवं पुष्पों से सिंगार कर भोले शिव का पूजन किया गया। पंडित सुशील ने बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया है। कि शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल एवं दूध जलहरी से होकर उत्तर दिशा में गिरना अत्यंत शुभकारी होता है।यदि इसके विपरीत दिशा में जल और दूध गिरता है।तो यह विनांश का प्रतिक होता है। इसके अलावा एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया है । कि रुद्राक्ष की एक ही माला में को भोले शिव एवं नदी के गले में एक साथ आधा-आधा कभी नहीं पहनना चाहिए । क्योंकि भोले शिव ईश्वर हैं। और नंदी उनकी सवारी है । भोले शिव और नंदी को एक ही माला में लपेट देना अत्यंत आशुभकरी होता है । नंदी का मुख दक्षिण दिशा में और जलहरी का मुख सदैव उत्तर की दिशा में होता है। नंदी और जलहरी का मुख सदैव एक दूसरे के सामने रहता है। यदि नंदी को जलहरी के मुख के सामने नंदी का मुख करके स्थापित नहीं किया जाता है। तो यह बहुत ही अशुभकारी होता है।
पंडित सुशील महाराज
शिव शक्ति धाम सिद्धाश्रम निपानिया जाट भोपाल मध्य प्रदेश

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