
कभी शैतान की पूजा करने वाला बार्तोलो लोंगो अब ‘भगवान का आदमी’ बन गया. वेटिकन ने 19 अक्टूबर 2025 को इस पूर्व शैतानी पुजारी को संत घोषित किया. जानिए कैसे बार्तोलो लोंगो ने अंधकार छोड़कर भलाई की राह चुनी और पॉम्पेई में आशा का प्रतीक बन गया.रोम का सेंट पीटर स्क्वायर. जहां आमतौर पर प्रार्थना होती है, झंडे लहराते हैं, लेकिन इस बार कुछ और हुआ. 7 लाख से ज्यादा लोग वहां मौजूद थे, क्योंकि वेटिकन में एक ऐसा फैसला हुआ जिसने सबको हैरान कर दिया. 19 अक्टूबर 2025 को पोप लियो चौदहवें (Pope Leo XIV) ने बार्तोलो लोंगो नाम के एक व्यक्ति को, छह अन्य लोगों के साथ, कैथोलिक चर्च का संत (Saint) घोषित किया. वो पहले शैतान की पूजा करने वाला व्यक्ति था यानी एक Satanic priest. अब वही आदमी चर्च के मंच पर भगवान का आदमी बन चुका था.
1841 में इटली के लातियानो में जन्मे बार्तोलो लोंगो एक वकील बने. लेकिन पिता की मौत के बाद उनकी जिंदगी अचानक बदल गई. लोंगो को ईश्वर से भरोसा उठ गया, और उन्होंने तांत्रिक और गुप्त साधनाओं की राह पकड़ ली. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने उपवास, आत्माओं से बात करने वाले सियांस (séances) और शैतान के साथ समझौता जैसी अजीब प्रथाओं में हिस्सा लिया. इतना ही नहीं, उन्हें शैतान का पुजारी भी कहा जाने लगा. लेकिन फिर एक रात, कुछ हुआ जिसने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी.
अपने मृत पिता की आवाज सुनी
उन्होंने अपने मृत पिता की आवाज सुनी कि ईश्वर के पास लौट आओ. इस आवाज ने लोंगो को अंदर तक हिला दिया. डरे-सहमे वे अपने दोस्त प्रोफेसर विनचेंजो पेपे के पास पहुंचे और सबकुछ बताया. पेपे खुद एक धार्मिक व्यक्ति थे. उन्होंने कहा कि तुम पागलपन की ओर बढ़ रहे हो. डेली मेल के मुताबिक, ये शब्द लोंगो के लिए चेतावनी की तरह थे. उन्होंने मदद के लिए डॉमिनिकन पादरी, फादर अल्बर्टो रादेंते का रुख किया. फिर शुरू हुआ एक महीने भर का आत्मस्वीकार और प्रायश्चित का दौर. लोंगो ने शैतानवाद को पूरी तरह त्याग दिया, ब्रहमचर्य की प्रतिज्ञा ली, और खुद को सेवा और भलाई के कामों में झोंक दिया.


