उपोसत व्रत रखने वाले ही उपासक कहलाते है – पूज्य भन्ते प्रज्ञारत्न
करुणा बुध्द विहार में वर्षावास काल में पड़ने वाली भाद्रपद पूर्णिमा पर उपासकों ने पूज्य भन्ते प्रज्ञारत्न थेरो जी से लिया उपोसत व्रत

भोपाल के तुलसी नगर स्थित करुणा बुध्द विहार में पूज्य भन्ते प्रज्ञारत्न थेरो जी व्दारा आषाढ़ पूर्णिमा से निरंतर जारी वर्षावास का आज 61 वा दिन है, आज भाद्रपद पूर्णिमा के पावन अवसर पर बौद्ध उपासक उपासिकाओं व्दारा पूज्य भन्ते जी से उपोसत व्रत लेकर उसका पालन करने का संकल्प पर लिया। इस अवसर पर पूज्य भन्ते जी ने बुध्द वंदना के साथ ही सभी उपासक उपासिकाओं को पंचशील एवं अष्टशील ग्रहण कराया गया। तत्पश्चात भन्ते जी को भोजन दान कराया गया। साथ ही उपोसत व्रत धारण करने वाले सभी उपासकों ने भी दोपहर 12.00 बजे के पूर्व भोजन ग्रहण किया।
भोजन दान के पश्चात पूज्य भन्ते प्रज्ञारत्न थेरो जी धम्म देशना देते हुए कहा कि वैसे तो बौद्ध धम्म में वर्षावास अवधि में पड़ने वाली सभी पुर्णिमा, अमावस्या और अष्टमी का अपने-अपने स्थान पर बहुत महत्व है। उन्होंने कहा कि भाद्रपद पूर्णिमा का बौद्ध धम्म क्या महत्व है, इसकी विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि आज ही के दिन हाथी व्दारा भगवान बुद्ध की सेवा कर उससे प्राप्त किये जा रहे पूण्य से प्रेरणा लेकर बंदर व्दारा मधुमक्खी का छत्ता तोड़कर भगवान बुद्ध को शहद दान किया था, इसलिए इस पूर्णिमा को बुध्द धम्म में मधु पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसके अलावा वैशाली में इसी पूर्णिमा पर भिक्षुणी संघ की स्थापना की गई थी। इसलिए इसे भिक्षुणी संघ स्थापना दिवस के रुप में भी मनाया जाता है।
धम्म देशना की निरंतरता में पूज्य भन्ते जी ने यह भी बताया कि उपोसथ व्रत रखने वालों को ही उपासक कहा जाता है, उपोसथ से ही उपासक शब्द की उत्पत्ति हुई है। उन्होंने यह भी कहा है कि जो व्यक्ति उपोसथ व्रत नहीं रखता, किन्तु वह बुध्द और डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी को मानने वाला बौद्ध धर्मावलंबी है, तो वह अनुयाई कहलायेगा।
वर्षावास काल में उपोसथ व्रत लेकर शीलों का पालन करने पर इन्सान अद्भुत लाभ प्राप्त होता है। वह जीवन में सदैव प्रगति की ओर अग्रसर रहता है।
इस अवसर पर आयु. सुलोचना नारायण रंगारी जी और उनके परिवार की ओर से उपस्थित सभी उपासक उपासिकाओं को भोजन दान कराया गया।
पूज्य भन्ते जी की धम्मदेशना में दि बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया एवं प्रबुद्ध महिला मंडल की सभी पदाधिकारियों के साथ साथ बड़ी संख्या में भोपाल के अन्य बुद्ध विहारों के पदाधिकारी तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।