खबरमध्य प्रदेश

सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से मेडिकली अनफिट और वीआरएस ले चुके विशेष सहायक के  बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने के आदेश

भोपाल। हाईकोर्ट के विद्वान न्यायमूर्ति  विवेक जैन की एकलपीठ ने अपने एक आदेश  में सेन्ट्रल बैंक से सक्षम अधिकारी को सागर शाखा से स्वैच्छिक सेवा ग्रहण  लेने वाले विशेष सहायक मोहम्मद इकबाल के पुत्र बिलाल अख्तर बेहना को सैट्रल बैंक ऑफ इंडिया में क्लर्क के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति देने के आदेश प्रसारित किये। सैन्ट्रल बैंक सागर जिले की बेहरोल संशाई साजी शाखा में कार्यरत विशेष सहायक मोहम्मद इंकबाल मेडिकली अनफिट होने के कारण 55 वर्ष की उम्र के पहिले वीं आर एस ले लिया था एवं अपने स्थान पर अपने पुत्र बिलाल अख्तर बेहना, उम्र 23 वर्ष को अनुकंपा नियुक्ति देने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसको अस्वीकार करते हुये बैंक ने  20 मई 2019 को सूचित कर दिया था । कि स्टाफ विशेष सहायक को वी आर एस लिये हैं । उनकी स्थिति निर्धन श्रेणी (indigent) में नहीं आती है अतः अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जायेगी। लिहजा, याचिकाकर्त्ता की ओर से द्वय अधिवक्ता एवं पूर्व वरिष्ठ शाखा प्रबंधक  नर्मदा प्रसाद चौधरी एवं अमित चौधरी ने पक्ष रखा उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्त्ता के पिता सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 30 वर्षों की सेवा की है सेवा निवृत्ती के समय हर कर्मचारी को सेवांश लाभ ग्रेज्यूटी पी. एफ. छुट्टी नगदीकरण एवं बीमा की राशि मिलती है। किन्तु पुत्र जो अविवाहित एवं बेरोजगार है नव युवक की स्थिति तो बेरोजगार ही होती है। लिहाजा पिता को सेवा निवृत्ति के लाभ मिलने से पुत्र को नौकरी देने से वचिंत नही किया जा सकता वह स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण है एवं 23 वर्ष का है एवं निर्धन (indigent ) जैसी किसी परिभाषा को सेन्ट्रल बैंक ने अनुकम्पा नियुक्ति स्कीम में कहीं स्पष्ट नहीं किया है। बैक का यह तर्क बेईमानी से प्रेरित है क्योंकि पिता को मिलने वाली माहवारी पेंशन परिवार के गुजारे के लिये है, इससे महज उन्हीं का भरण-पोषण होता है अनुकम्पा नियुक्ति की पॉलसी के रूल 17 (ii) एवं 17 (v) में सब स्टाफ के बच्चों को विशेष सहानुभूमि देते हुए अनुकम्पा नियुक्ति दिये जाने का प्रावधान है।  नर्मदा प्रसाद चौधरी एवं अमित कुमार चौधरी, द्वय अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के ताजे दृष्टांत (2015) 7 एस एस सी  412 केनरा बैंक वि.एम. महेश कुमार एवं (2005 ) 11 एस एस सी  508 स्टेट बैंक वि. अकील अहमद प्रस्तुत किये जिससे प्रभावित होकर माननीय न्यायालय ने 2 माह के अंदर अनुकम्पा नियक्ति दिये जाने का निर्णय दिया एवं बैंक द्वारा जारी आदेश  20 मई 2019 को रद्द (Reject) कर दिया।

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