कुडियट्टम की परम्परा का प्रशिक्षण ले रहे हैं देशभर के प्रतिभागीछात्र- प्रो रमाकान्त पाण्डेय निदेशक

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर में (दिनांक 1-21जून 2025 ) तक आयोजित 21 दिनों तक चलने वाली राष्ट्रीय नाट्यकार्यशाला में कुडिमट्टम का प्रशिक्षण देने शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय कालडी (केरल )से आये विषयविशेषज्ञ श्री मार्गी मधु एवं श्रीमती इन्दु ने नाट्यभ्यास में कुडियट्टम परम्परा की बारीकियाँ सिखाई। कुडिमाट्टम भारतीय पारम्परिक नृत्यशैली का अभिनय है जो केरल के लोकजीवन में परम्परा से प्राप्त है। मार्गी मधु इस परम्परा के विशेषज्ञ गुरु हैं। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत के साथ कला संस्कृति और परम्पराओ के संरक्षण संवर्धन तथा प्रशिक्षण की दिशा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह कर रहा है। देश भर से विद्वानों को आमन्त्रित कर इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर देश की परम्पराओ को संरक्षित कर रहा है।भोपलपरिसर के निदेशक प्रो रमाकान्त पाण्डेय ने बताया कि हम पारम्परिक नृत्त,संगीत,लोकनाट्य तथा संस्कृति से सबद्ध देश की प्रतिष्ठा बढाने के लिए जो भी होगा उन सबको इस विश्वविद्यालय में सिखाएगे। देश और संस्कृति सबसे प्रथम है यही हमारी पहचान होती है। जो देश अपनी भाषा संस्कृति और सभ्यता को सुरक्षित रूप से व्यवहार में लेते है उनका विश्व में उच्च स्थान दिखलाई देता है। भारत अपनी संस्कृति के लिए सदैव विश्वगुरु की भूमिका में रहा है। हमारा प्रयास है की नयी पीढी के विद्यार्थियों को कुडियट्टम भरतनाट्यम कथक माच भगोरिया राई तथा शास्त्रीय संगीत आदि से अवगत कराया जाए। कार्यशाला में प्रतिभागी खूब प्रसन्नता के साथ प्रशिक्षण ले रहे है।ये सभी प्रशिक्षणार्थी अभिषेक नाटक प्रस्तुत करेगें।