प्रभु श्रीनाथजी जी को चंदन आंवला इत्र और सुगंधित तेल से स्नान कराया गया

ठाकुरानी तीज और हरियाली तीज
आज के दिन को हरियाली तीज और ठाकुरानी तीज भी कहा जाता है पुष्टिमार्ग में ऐसे ठाकुरानी तीज कहा जाता है क्योंकि आज के दिन प्रभु श्री कृष्णा बरसाने में श्री राधा रानी जी के संग झूले में विराजते हैं और प्रभु भी आज सखी भेष बनाकर लाल चुनरी के वस्त्र धारण कर झूला झूलता है इसलिए इसे आज ठाकुरानी तीज कहा जाता है
पुष्टिमार्ग में एक और विशेषता यह है कि आज पुष्टिमार्ग के संस्थापक महाप्रभु श्रीमद् वल्लभाचार्य जी विक्रम संवत 1537 में श्री यमुना जी ने दर्शन दिए और महाप्रभु जी ने ठकुरानी घाट श्री गोकुल में यमुनाष्टक पाठ की रचना कर दी
श्री यमुनाष्टक में श्री यमुना जी के अधी देविक स्वरूप का वर्णन है
आज प्रातः प्रभु श्रीनाथजी जी को चंदन आंवला इत्र और सुगंधित तेल से स्नान कराया गया फिर लाल चुनरी के वस्त्र पहनाए गए और साथ में सिर पर लाल छज्जे दार पाग के ऊपर कलगी पहनाई गई
लाल रंग प्रेम और अनुराग के भाव से होता है
शाम को संध्या आरती के पश्चात प्रभु को लाल चुनरी मोती एवं कौड़ी से निर्मित झूले में विराजमान किया गया और यह कीर्तन गाया जाता है। तीज महातम आयो तुम देखो सखी।।
8 अगस्त को प्रभु चांदी एवं लकड़ी से बने खिलौने के झूले में विराजमान होकर दर्शन देंगे अष्टमी के दिन से जन्माष्टमी की बधाई कीर्तन शुरू हो जाएंगे
मुखिया श्रीकांत शर्मा
श्री जी का मंदिर लखेरापूरा भोपाल