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IPS Puran Kumar: ADGP सुसाइड केस में क्यों खुलकर सामने नहीं आए IAS-IPS एसोसिएशन; प्रदेश एसो. के हैं अलग सुर

आईपीएस वाई पूरन कुमार के सुसाइड मामले को पांच दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। चंडीगढ़ पुलिस ने इस केस की जांच के लिए आईजी पुष्पेंद्र कुमार के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई है। इसमें दो एसपी रैंक, दो डीएसपी रैंक और एक एसएचओ को शामिल किया गया है।हरियाणा के सीनियर आईपीएस वाई पूरन कुमार के सुसाइड केस में शनिवार को रोहतक के एसपी को हटाया दिया गया है। हालांकि आरोपियों पर दर्ज एफआईआर को देखें तो वे इस केस में छोटी कड़ी हैं। एफआईआर में मौजूदा डीजीपी के अलावा पूर्व डीजीपी और आईएएस को मिलाकर, दर्जनभर से अधिक अफसरों का नाम शामिल है। अब यह मामला, दिल्ली तक पहुंच चुका है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और पूर्व यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। केंद्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई दूसरे नेता भी इस केस में कूदते हुए नजर आ रहे हैं। इन सबके बीच हैरानी वाली बात ये है कि देश की आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन इस मामले में खुलकर सामने नहीं आ रही हैं। विपक्षी नेताओं ने जब इन एसोसिएशनों पर निशाना साधा तो शुक्रवार को आईपीएस एसोसिएशन की ओर से इस मामले में दुख जताया गया है। आईएएस, एसोसिएशन अभी तक मौन है। दूसरी ओर, हरियाणा में प्रदेश स्तर की आईएएस/आईपीएस अफसरों की एसोसिएशन के सुर भी एक नहीं हैं।

बता दें कि आईपीएस वाई पूरन कुमार के सुसाइड मामले को पांच दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। चंडीगढ़ पुलिस ने इस केस की जांच के लिए आईजी पुष्पेंद्र कुमार के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई है। इसमें दो एसपी रैंक, दो डीएसपी रैंक और एक एसएचओ को शामिल किया गया है। शनिवार को वाई पूरन के भाई ने अपने आवास के बाहर इस मामले को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, सरकार और पुलिस, इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे। आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन, जो सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती है, इस केस में चुप रहीं। विपक्षी नेताओं के द्वारा और सोशल मीडिया में जब इन दोनों एसोसिएशनों की चुप्पी को लेकर तीखे कटाक्ष किए गए तो शुक्रवार को आईपीएस एसो. सामने आई। हालांकि इसमें भी घटना पर केवल दुख ही जताया गया है। दूसरी तरफ, आईएएस एसोसिएशन ने अभी तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह बात उल्लेखनीय है कि आईपीएस वाई पूरन कुमार की पत्नी हरियाणा में सीनियर आईएएस अधिकारी हैं। आईपीएस एसोसिएशन ‘हरियाणा कैडर’ की तरफ से 10 अक्तूबर को प्रतिक्रिया दी गई है। इसके अध्यक्ष आईपीएस संजय कुमार हैं। शोक प्रस्ताव में कहा गया है कि एसोसिएशन इस दुख की घड़ी में पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। हरदीप सिंह दून, एडीजीपी टेलीकॉम/हाईवे एंड ट्रैफिक के नेतृत्व में आईपीएस अफसरों का एक प्रतिनिधिमंडल, पूरन कुमार की पत्नी आईएएस अमनीत पी. कुमार से मिलने गया है। एसोसिएशन ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा। खास बात है कि आईपीएस एसोसिएशन ‘हरियाणा कैडर’ ने इस केस की जांच को लेकर कुछ नहीं कहा। दूसरी तरफ ‘हरियाणा आईएएस ऑफिसर एसोसिएशन’ ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि दिवंगत आईपीएस वाई पूरन कुमार की जनसेवा को लेकर जो इच्छाशक्ति रही, सम्मान के साथ याद रखी जाएगी।

हरियाणा आईएएस ऑफिसर एसोसिएशन’ ने कहा, यह अमनीत पी. कुमार ‘आईएएस’ के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। एसो. ने हरियाणा सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन से आग्रह किया है कि वे अमनीत पी. कुमार द्वारा 9 अक्तूबर को दिए गए प्रतिवेदन पर गौर करें। इसके अलावा आठ अक्तूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर 11 स्थित पुलिस स्टेशन में जो शिकायत दी गई है, उसकी गंभीरता और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कार्रवाई की जाए। रोहतक पुलिस के पास छह अक्तूबर को जो शिकायत दी गई थी, उसकी सभी तथ्यों के साथ निष्पक्षता से जांच की जाए। एसोसिएशन ने हरियाणा सरकार से यह प्रार्थना भी की है कि वाई पूरन कुमार की पत्नी अमनीत पी. कुमार को पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाए। उन्हें लीगल मदद और संस्थागत सहयोग दिया जाए।

वहीं, सीएपीएफ में एडीजी रैंक से रिटायर हुए एक अधिकारी ने कहा, आज आईपीएस एसो. अपने ही एक सदस्य के मामले में आगे नहीं आ रही। महज दुख जताकर खानापूर्ति कर रही है। साल 2019 में जब केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के कैडर अधिकारी, अपनी पदोन्नति एवं दूसरे हितों के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे थे, तब आईपीएस एसोसिएशन हमारे खिलाफ अदालत पहुंच गई। पहली बार उनकी याचिका स्वीकार ही नहीं की गई। एसोसिएशन वाले दोबारा क्लेरीफ़िकेशन पेटीशन लेकर अदालत में पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान ये बात भी सामने आई कि एसो. किस आधार पर इस केस में कूदी है। क्या एसो. का कोई वैधानिक आधार है। पूर्व अधिकारी के अनुसार, गृह मंत्रालय में पूरी तरह से आईपीएस लॉबी का दबदबा था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को टालने की हर जुगत लगाई गई। आईपीएस एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में यह अर्जी तक दे दी थी कि उसे भी इस मामले में पार्टी बनाया जाए। हालांकि अदालत ने यह याचिका खारिज कर दी थी। अब आईपीएस ने सुसाइड किया है कि तो एसो. वाले पीड़ित परिवार के लिए न्याय की लड़ाई में साथ नहीं दे रहे।

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