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भाजपा सरकार की प्रतिशोध की राजनीति के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचे रवि परमार

 

हाईकोर्ट पहुंचा नर्सिंग घोटाले के व्हिसलब्लोअर को परीक्षा से वंचित करने का मामला, कल होगी सुनवाई

एमएससी नर्सिंग चयन परीक्षा 2025 से वंचित किए जाने पर दायर की याचिका, शुक्रवार को होगी सुनवाई

भोपाल – प्रदेश के चर्चित नर्सिंग घोटाले के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले व्हिसलब्लोअर एवं एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार को एमएससी नर्सिंग चयन परीक्षा 2025 से जानबूझकर वंचित किए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में परमार ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर सुनवाई शुक्रवार, 27 जून 2025 को होगी। परमार ने इसे भाजपा सरकार द्वारा की जा रही राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बताया है। रवि परमार ने बताया कि उन्होंने एमएससी नर्सिंग चयन परीक्षा 2025 के लिए मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MPESB) द्वारा जारी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से विधिवत आवेदन किया था। आवेदन प्रक्रिया के दौरान फार्म में पूछी गई सभी जानकारी – जिसमें उनके विरुद्ध दर्ज एफआईआर से संबंधित जानकारी भी शामिल थी – पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से दी गई। इसके बावजूद उनका फॉर्म निरस्त कर दिया गया और उन्हें परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया।रवि परमार ने आरोप लगाया है कि यह कोई तकनीकी त्रुटि नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश है। नर्सिंग घोटाले को उजागर करने और छात्रों की आवाज़ बनने की सजा मुझे इस तरह दी जा रही है। भाजपा सरकार छात्रों को दबाने और डराने की कोशिश कर रही है। मैं यह अन्याय सहन नहीं करूंगा और इसके खिलाफ न्यायालय में हरसंभव लड़ाई लड़ूंगा।”बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब रवि परमार को इस तरह से परीक्षा से वंचित किया गया है। वर्ष 2024 में भी एमएससी नर्सिंग चयन परीक्षा के दौरान उनका फॉर्म निरस्त किया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने 14 अक्टूबर 2024 को जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उस मामले में 16 अक्टूबर 2024 को हुई सुनवाई में माननीय न्यायमूर्ति श्री संजीव सचदेवा ने आदेश पारित करते हुए कहा था कि ज्ञात हो कि याचिकाकर्ता रवि परमार एक छात्र नेता हैं और उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर राजनीतिक कारणों से हैं। यह सभी धाराएं नैतिक अधमता से संबंधित नहीं हैं और न ही वे दोषसिद्ध हैं। ऐसे में किसी विद्यार्थी को सिर्फ FIR के आधार पर शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। यह मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है।” इसके बावजूद, एक बार फिर 2025 में परीक्षा फॉर्म निरस्त किया जाना, न्यायालय के पूर्व निर्देशों की अवहेलना और छात्र के शैक्षणिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। रवि परमार ने बताया कि पिछली बार तो कोर्ट के आदेश के बावजूद मुझे परीक्षा परिणाम देर से दिया गया जिससे मैं काउंसलिंग में शामिल नहीं हो पाया। अब फिर मेरे साथ वही दोहराया जा रहा है। सरकार नहीं चाहती कि कोई छात्र नेता सच्चाई के साथ खड़ा हो। रवि परमार के अधिवक्ता अभिषेक पांडे द्वारा दाखिल की गई इस याचिका में मांग की गई है कि फॉर्म निरस्तीकरण के आदेश को तत्काल निरस्त करते हुए परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए। रवि परमार ने कहा कि मैं इस अन्याय के खिलाफ सिर्फ अपनी नहीं, बल्कि उन तमाम छात्रों की लड़ाई लड़ रहा हूं जो अपनी आवाज़ उठाने से डरते हैं उच्च न्यायालय में इस बार फिर न्याय की जीत अवश्य होगी ।”

 

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