सच्चे नायकों को सलाम’- मणिपाल हॉस्पिटल्स ने एम्बुलेंस चालकों की सर्वांगीण भलाई और प्रशिक्षण के लिए एक नई पहल की शुरुआत की
कोलकाता, 9 जनवरी, 2025: भारत में स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने वाले सबसे बड़े संगठनों में से एक, मणिपाल हॉस्पिटल्स ने गुमनाम नायकों के प्रति सम्मान जताने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, आज “सच्चे नायकों को सलाम” नामक एक नई पहल की शुरुआत की। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एम्बुलेंस चालकों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए उन्हें सम्मानित करने के उद्देश्य से यह नई पहल शुरू की गई है। पूरी दुनिया में हर साल 8 जनवरी को विश्व एम्बुलेंस दिवस मनाया जाता है, और इसी उपलक्ष्य में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। कोलकाता के मणिपाल हॉस्पिटल्स की सभी इकाइयों के प्रमुख कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट और ईआर विशेषज्ञों ने इस अवसर पर आयोजित बेहद रोचक सत्रों में भाग लिया, तथा उन्होंने इस तरह की पहल के साथ-साथ एम्बुलेंस चालकों के लिए बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) के प्रशिक्षण की अहमियत के बारे में अपने अनमोल विचार साझा किए।
मणिपाल हॉस्पिटल्स के प्रमुख चिकित्सकों ने इस आयोजन में भाग लिया, जिनमें डॉ. पी.के. हाजरा, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, मणिपाल हॉस्पिटल, ढकुरिया; डॉ. अप्रतिम चटर्जी, कंसल्टेंट, न्यूरोलॉजिस्ट, मणिपाल हॉस्पिटल, ब्रॉडवे; डॉ. विकास कपूर, वाइस चेयरमैन, ग्रुप डायरेक्टर, जॉइंट रिप्लेसमेंट एवं आर्थ्रोस्कोपिक सर्जन, मेडिका इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक साइंसेज, मेडिका सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल (मणिपाल हॉस्पिटल्स की एक इकाई); डॉ. निर्मल्या रे, कंसल्टेंट, न्यूरो इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट, मेडिका सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल (मणिपाल हॉस्पिटल्स की एक इकाई), तथा; डॉ. अयनाभ देबगुप्ता, रीजनल सीओओ, मणिपाल हॉस्पिटल्स (ईस्ट) शामिल थे।
भारत में, दिल के दौरे से पीड़ित हर दो में से एक मरीज इसके लक्षण दिखने के 400 मिनट से ज़्यादा समय बाद अस्पताल पहुँचता है। इसके लक्षणों की शुरुआत के बाद 30 मिनट की अवधि में अस्पताल पहुँचना सबसे बेहतर होता है, लेकिन यह देरी इससे लगभग 13 गुना ज़्यादा है। अक्सर चिकित्सक इस बात पर ज़ोर देते हैं कि, कार्डियक अरेस्ट होने पर 18 मिनट से ज़्यादा विलंब होने और समय पर उपचार नहीं मिलने से खून की आपूर्ति में रुकावट आती है, जिससे शरीर को होने वाले नुकसान को ठीक करना कभी-कभी असंभव हो सकता है। इससे जाहिर होता है कि लोगों की ज़िंदगी बचाने में बीएलएस प्रशिक्षण बेहद महत्वपूर्ण है, जो एम्बुलेंस चालकों के लिए और भी मायने रखता है क्योंकि आपात स्थिति में सबसे पहले वे ही हालात को संभालते हैं।
मेडिका सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल (मणिपाल हॉस्पिटल्स की एक इकाई) के इमरजेंसी प्रमुख डॉ. इंद्रनील दास, मणिपाल हॉस्पिटल्स, ब्रॉडवे के इमरजेंसी प्रमुख डॉ. किशन गोयल, मणिपाल हॉस्पिटल्स, मुकुंदपुर के इमरजेंसी प्रमुख डॉ. सुजॉय दास ठाकुर, और मणिपाल हॉस्पिटल्स, ढकुरिया के इमरजेंसी प्रमुख डॉ. अशोक कुमार मिश्रा की अगुवाई में प्रशिक्षण सत्रों के साथ इस आयोजन की शुरुआत हुई। चिकित्सा संबंधी आपात स्थितियों को कारगर तरीके से संभालने के लिए एम्बुलेंस चालकों को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) जैसी जान बचाने वाली महत्वपूर्ण तकनीकों के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें स्ट्रोक और दिल के दौरे के लक्षणों की पहचान करना सिखाया गया, साथ ही उन्हें सी.टी. या एम.आर.आई. मशीनों और कैथीटेराइजेशन लैब जैसे आवश्यक डायग्नोस्टिक उपकरणों के साथ मरीजों को अस्पताल ले जाने के महत्व के बारे में बताया गया। अनुभवी चिकित्सकों द्वारा संचालित इस प्रशिक्षण में एम्बुलेंस चालकों के लिए आपात स्थितियों में उचित प्रक्रियाओं का पालन करने की जरूरत पर भी विशेष ध्यान दिया गया, ताकि वे मरीजों को समय पर और सही देखभाल प्रदान करने में सक्षम बन सकें।
मणिपाल हॉस्पिटल्स ने लोगों की ज़िंदगी बचाने में एम्बुलेंस चालकों के योगदान का सम्मान करने के साथ-साथ निजी तौर पर चालकों और उनके परिवारों की भलाई को बढ़ावा देने के लिए एक कल्याण योजना तैयार की है, जिसमें सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। “सच्चे नायकों को सलाम” को ध्यान में रखते हुए, मणिपाल हॉस्पिटल्स ने एम्बुलेंस चालकों और उनके परिवारों को सम्मानित करने के लिए पारिवारिक मेल-जोल, सैर-सपाटा और वर्कशॉप जैसी कई अलग-अलग पहलों की घोषणा की है। मणिपाल हॉस्पिटल्स की ओर से एम्बुलेंस चालकों के बच्चों को पढ़ाई में मदद उपलब्ध कराई जाएगी, तथा उन्हें सही करियर चुनने में मदद करने के लिए शिक्षा के पेशे से जुड़े जानकार लोगों द्वारा सत्र आयोजित किए जाएंगे। गौरतलब है कि, न्यूरोलॉजिस्ट की अगुआई में सेमिनार भी आयोजित किए जाएंगे, ताकि बच्चों की याददाश्त में सुधार करके उन्हें पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिल सके। सर्वांगीण भलाई की इस पहल के तहत, एम्बुलेंस चालकों और उनके परिवारों के बीच हेल्थ-कार्ड भी बांटे जाएंगे। ये कार्ड उनके इलाज पर होने वाले खर्चों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएंगे, साथ ही बेहतर गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ उनके लिए भी सुलभ हो जाएगी।
मणिपाल हॉस्पिटल, ढाकुरिया के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. पी.के. हाजरा ने कहा, “भारत में देरी से मिलने वाले इलाज की वजह से मरीजों की सेहत पर काफी बुरा असर पड़ता है, और कार्डियक अरेस्ट के मामले में 50% से ज़्यादा मरीज देर से अस्पताल पहुँचते हैं। यहाँ सही समय पर इलाज मिलना बहुत फ़ायदेमंद हो सकता है, जो कार्डियक अरेस्ट या दुर्घटनाओं जैसी आपात स्थितियों में काफी मायने रखता है। बीएलएस प्रशिक्षण प्रदान करके, हम लोगों को तुरंत हालात को संभालने में सक्षम बनाते हैं, जिससे संभावित रूप से अनगिनत लोगों की जान बच सकती है। मणिपाल हॉस्पिटल्स एक ऐसे लोगों को प्रशिक्षण देने और ऐसी टीम बनाने के संकल्प पर कायम है, जो जानलेवा परिस्थितियों पर कारगर तरीके से काबू पा सकें।”
मेडिका इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक साइंसेज, मेडिका सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल (मणिपाल हॉस्पिटल्स की एक इकाई) के वाइस चेयरमैन, ग्रुप डायरेक्टर, जॉइंट रिप्लेसमेंट एवं आर्थ्रोस्कोपिक सर्जन, डॉ. विकास कपूर ने कहा, “मेडिकल इमरजेंसी का लम्हा बेहद नाजुक होता है, और ऐसे मौके पर एक प्रशिक्षित व्यक्ति किसी पीड़ित इंसान को मौत से बचाकर ज़िंदगी दे सकता है। ‘सच्चे नायकों को सलाम’ पहल के ज़रिये हम उन्हें बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) का बेहद महत्वपूर्ण प्रशिक्षण दे रहे हैं, ताकि आपात स्थिति के दौरान समय पर देखभाल प्रदान करने की उनकी क्षमता बढ़ सके। हालाँकि, हम समझते हैं कि उनका अपार योगदान एक प्रोफेशनल के तौर पर उनकी भूमिका से कहीं बढ़कर है। इसलिए हम पारिवारिक मेलजोल कार्यक्रम, शैक्षिक परामर्श और हेल्थ-कार्ड जैसी पहलों के माध्यम से उनकी भलाई पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं। हमने एक प्रोफेशनल के तौर पर उनकी प्रगति के साथ-साथ निजी तौर पर उनकी भलाई में सहयोग देकर उन्हें सक्षम बनाने का लक्ष्य रखा है, ताकि वे पूरे आत्मविश्वास और गर्व की भावना के साथ अपनी अमूल्य सेवा जारी रख सकें।”
मणिपाल हॉस्पिटल, ब्रॉडवे के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट, डॉ. अप्रतिम चटर्जी ने कहा, “अक्सर स्ट्रोक, दिल के दौरे और दुर्घटनाओं जैसे आपात स्थिति में एम्बुलेंस चालक ही सबसे पहले मौके पर पहुँचकर हालात को संभालते हैं। ऐसे मौकों पर तुरंत फैसला लेने की उनकी क्षमता और काबिलियत का सीधा असर मरीज की जान बचाने पर पड़ता है। उनकी यह काबिलियत गोल्डन आवर के दौरान और भी मायने रखती है, क्योंकि यह अवधि सही समय पर इलाज से पीड़ित व्यक्ति की जान बचाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मणिपाल हॉस्पिटल्स इस पहल के ज़रिये इन गुमनाम नायकों को आवश्यक कौशल प्रदान करके सक्षम बनाना और उनके परिवारों को उपयोगी सहायता प्रदान करना चाहता है।”
मणिपाल हॉस्पिटल्स (ईस्ट) के रीजनल सीओओ, डॉ. अयनाभ देबगुप्ता ने कहा, “मणिपाल हॉस्पिटल्स में हम स्वास्थ्य सेवा में सहायता प्रदान करने वाले उन सभी लोगों का सम्मान करते हैं, जो मरीजों को समय पर अस्पताल पहुँचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। वे हमेशा पर्दे के पीछे रहकर अपना काम करते हैं, जिनसे लोग अनजान और अपरिचित हैं। हम इस पहल के ज़रिये उन्हें सबसे आगे लाने की उम्मीद करते हैं, ताकि लोग समझ सकें कि ये एम्बुलेंस चालक कितने महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, हम उन्हें सभी पहलुओं में प्रशिक्षण भी दे रहे हैं, ताकि वे ऐसे जुड़ी सारी बातों से अच्छी तरह अवगत हों और मरीज के परिवारों को भी सही राह दिखा सकें। मणिपाल में हम ऐसे एम्बुलेंस चालकों का एक समूह बनाने के इरादे पर अटल हैं, जिन्हें मरीजों को अस्पताल लाते समय आपातकालीन स्थितियों को संभालने की जानकारी हो। मणिपाल उनके परिवार की शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा में भी अपना सहयोग देगा, क्योंकि हम मानते हैं कि उन्हें पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से सक्षम बनाकर हम उनका आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं और समाज में योगदान देने की उनकी क्षमता को बेहतर बना सकते हैं।”