SC कोटे में कोटा पर कांग्रेस चुप, BJP चुप, लेकिन चंद्रशेखर ने कसा तंज
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक फैसले में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण दिया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं. हालांकि, साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के ‘मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों’ के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, ना कि ‘मर्जी’ और ‘राजनीतिक लाभ’ के आधार पर. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सात-सदस्यीय संविधान पीठ पीठ ने 6:1 के बहुमत के निर्णय के जरिये ‘‘ई वी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार” मामले में शीर्ष अदालत की पांच-सदस्यीय पीठ के 2004 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों (एससी) के किसी उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि वे अपने आप में स्वजातीय समूह हैं. एक तरफ कोटे में कोटा वाले फैसले पर बीजेपी और कांग्रेस समेत ज्यादातर पार्टियां चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं इस मामले में लोकसभा सांसद चंद्रशेखर ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोले चंद्रशेखर आजाद
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आजाद समाज पार्टी के नेता और लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि जिन जजों ने ये ऑर्डर दिया, उसमें एससी, एसटी के कितने हैं. ये बहुत जरूरी है कि अगर आप वर्गीकरण करना ही चाह रहे हैं तो सुप्रीम कोर्ट से इसकी शुरुआत होनी चाहिए. वहां तो लंबे समय से कुछ ही परिवारों का कब्जा है. एससी और एसटी के लोगों को आप घुसने नहीं दे रहे हो लेकिन क्या सामान्य जाति के लोगों में अवसर नहीं है.उनको भी आप मौका नहीं दे रहे. अगर आपको वर्गीकरण करना ही है तो सर्वोच्च संस्था से ही क्यों ना किया जाए, नीचे से क्या करना चाहते हैं. क्या एससी, एसटी की मॉनिटिरिंग की है. जो आपने ऑर्डर दिया था रिजर्वेशन में प्रमोशन का. क्या एससी और एसटी का बैकलॉग भरा गया. क्या आपको जानकारी है कि क्या आंकड़े है जो एससी और एसटी को आरक्षण मिल रहा है. आर्थिक स्थिति के क्या आंकड़े है आपके पास. बंद कमरे में बैठकर कुछ भी फैसला ले लिया जाएगा. क्या ये आर्टिकल 341 का उल्लंघन नहीं है. आपने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के आधार पर ईडब्ल्यूएस के फैसले को मान्यता दी.