
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने दावा किया है कि डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट (डीपीडीपी एक्ट) की धारा 43(3) आरटीआई एक्ट को कमजोर कर रही है। विपक्ष इस धारा को हटाने की मांग कर रहा है। गौरव गोगोई ने कहा कि विपक्षी गठबंधन के 130 सांसदों ने इस धारा को हटाने की मांग को लेकर याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन एक्ट की धारा 43 सरकार को कानून के प्रभावी प्रवर्तन या निष्पादन में बाधा डालने वाली किसी भी बाधा को दूर करने का अधिकार देती है।गौरव गोगोई और द्रमुक के एमएम अब्दुल्ला सहित इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने नई दिल्ली में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने डीपीडीपी अधिनियम की धारा 44 (3) को निरस्त करने की मांग की। विपक्षी सांसदों ने कहा, उन्होंने इसके लिए एक संयुक्त ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं और इसे सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को सौंपा जाएगा। ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और द्रमुक के टीआर बालू शामिल हैं।
120 से अधिक सांसदों ने संयुक्त ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के 120 से अधिक सांसदों ने इस धारा को निरस्त करने के लिए एक संयुक्त ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। ज्ञापन सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को सौंपा जाएगा।
संवाददाता सम्मेलन में ये नेता हुए शामिल
संवाददाता सम्मेलन में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता एमएम अब्दुल्ला, शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता जॉन ब्रिटास, सपा नेता जावेद अली खान और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नवल किशोर शामिल हुए।
नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने धारा 44(3) का विरोध किया
गोगोई ने कहा कि नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने डीपीडीपी अधिनियम की धारा 44(3) का विरोध किया है, जिसके जरिये आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(जे) को प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जे) के तहत व्यक्तिगत जानकारी देने से रोकने की अनुमति दी गई है, यदि उसका खुलासा किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से संबंधित नहीं है या इससे निजता का अनुचित उल्लंघन होता है।