शांता और सरोज ने मटके पर उकेरा पानी का संसार

भोपाल। सदियों से ही मटके का इस्तेमाल पानी रखने के लिए किया जाता रहा है। यह घरेलू आवश्यकताओं के लिए जल के संरक्षण का माध्यम है। भारत भवन में आयोजित पेंटिंग कार्यशाला में भील कलाकार शांता भूरिया ने मटके पर ही मछली सहित विभिन्न जलीय जीवों की पेंटिंग बनाकर सभी के लिए जल की आवश्यकता को रेखांकित किया। भारत के अलावा फ्रांस सहित विभिन्न देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकीं शांता भूरिया ने कहा कि वह 30 वर्षों से इस पेंटिंग विधा से जुड़ी है और कई प्रकार की पेंटिंग्स को आकर दे चुकी हैं। उन्होंने कहा कि पानी मानव, पेड़ -पौधे और सभी जीवों के लिए जरूरी है, जल के बिना जीवन संभव नहीं है। बारिश के पानी का संरक्षण करना चाहिए ताकि भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
वही सरोज व्यंकट श्याम ने कहा कि पेंटिंग हमारी कला, जीविका और संस्कृति है। उन्होंने कहा कि वह भारत के अलावा यूरोप और अमेरिका सहित कई देशों में प्रदर्शनी लगा चुकी हैं और कार्यशालाओं में प्रशिक्षण भी प्रदान किया है। सरोज वेंकट श्याम ने कहा उन्होंने हाल ही में लंदन और वाशिंगटन स्थित विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में पेंटिंग का प्रशिक्षण कलाकारों को दिया।