अध्यात्म

शारदीय नवरात्रि 3 से ,पालकी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, मुहूर्त और विधि

हिंदू धर्म में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि को सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर गुरुवार के दिन से होने जा रही है और इसका समापन 11 अक्टूबर को होगा। हर साल मां दुर्गा अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर आएंगी, यह नवरात्रि का शुभारंभ किस दिन से हो रहा है, इस पर निर्भर करता है। माता के वाहन के अनुसार कुछ न कुछ प्रभाव देश-दुनिया पर भी देखने को मिलता है। तो आइए जानते हैं कि इस नवरात्रि माता किस वाहन पर सवार होकर आएंगी।

नवरात्रि में मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर आएंगी, यह नवरात्रि का शुभारंभ किस दिन से हो रहा है, इस पर निर्भर करता है। अगर नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार या शनिवार से हो रही है तो माता की सवारी घोड़ा होता है। वहीं अगर नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार या शुक्रवार से हो रही हो तो मां दुर्गा की सवारी पालकी या डोली होती है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार के दिन से हो रही है इसलिए मां दुर्गा की सवारी डोली होगी।

पालकी पर मां दुर्गा की सवारी होने का यह होगा देश-दुनिया पर असर
देवी पुराण में मां दुर्गा की पालकी या डोली में सवार होकर आना अच्छा संकेत नहीं माना जाता है। मां जब भी पालकी पर सवार होकर आती हैं तो इसका बुरा प्रभाव देश-दुनिया पर देखने को मिलता है। इस वजह से लोगों को कारोबार में धन हानि का सामना करना पड़ सकता है। सेहत में गिरावट देखने को मिलेगी। कोई बड़ी अप्राकृति घटना का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही पारिवारिक जीवन में आपसी मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। डोली पर सवार आ रही मां दुर्गा की पूरे विधि-विधान से पूजा करके जीवन में आने वाली कई समस्याओं से बचा जा सकता है।

शारदीय नवरात्रि तिथि 2024
इस साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्तूबर को सुबह 12 बजकर 19 मिनट से होगा। तिथि का समापन 4 अक्तूबर को सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हो रही है।

कलश स्थापना मुहूर्त 2024
पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त है। पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 19 मिनट से लेकर 7 बजकर 23 मिनट तक रहने वाला है। इसके बाद नवरात्रि के घटस्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर के समय का है। यह मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12:33 तक रहेगा। आप इस दौरान भी कलश स्थापना कर सकते हैं। कलश स्थापना विधि
कलश स्थापना करने से पहले आप एक मिट्टी के पात्र को लें। फिर एक साफ थाली में थोड़ी सी मिट्टी को डाल दें।
अब उसमें जौ के बीज को मिलाएं।
इसके बाद इसे मिट्टी के पात्र में डाल दें, और पानी से छिड़काव करें।
अब आप एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। फिर उसके ऊपरी भाग में मौली बांध लें।अब लोटे में साफ जल के साथ उसमें थोड़ा गंगाजल भी मिला लें। फिर उसके ऊपर दूब, अक्षत, सुपारी और कुछ पैसे रख दें। इसके बाद आप आम या अशोक की पत्तियां कलश के ऊपर रख दें।एक पानी वाले नारियल को लाल चुनरी से लपेटकर मौली बांध दें।फिर इस नारियल को कलश के बीच में रख दें, और बाद में इसे पात्र के मध्य में स्थापित कर दें।इस दौरान माता रानी के मंत्रों का जाप करते रहें, इससे देवी प्रसन्न होती हैं।

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