शिवलिंग पर चढाये प्रसाद को खाने के कारंण हुई पापी गुणनिधि की मौत:पं०सुशील
शिवलिंग से स्पर्श हुआ प्रसाद खाना वर्जित

(शिवलिंग से स्पर्श हुआ प्रसाद खाना बर्जित)
आज दिनांक 8-8-2024 को श्री दुर्गा मंदिर देवकी नगर बैरसिया रोड भोपाल में आयोजित श्री शिव महापुराण की कथा में कथावाचक पं०सुशील महाराज ने सती चरित्र एवं पापी गुणनिधि की कथा श्रोताओं को सुनाई।महाराज श्री ने वताया कि कांपिल्यनगर में देवदत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था।उसके 8 बर्ष के पुत्र का नाम गुणनिधि था।जो संगत खराब मिलने के कारंण दुराचारी वनकर चोरी आदि करने लगा था।अपने पिता की अंगूठी ज्वारियों को बेंच दी थी।यह बात गुणनिधि की मां ने उसके पिता से छिपाई थी।जिसकी बजह से देवदत्त ब्रहामण ने अपनी पत्नी और पुत्र को छोडकर दूसरी शादी कर ली थी।तब पापी गुणनिधि भूख-प्यास से पीडित होकर एक शिव मंदिर में गया।और उसने शिवलिंग पर चढाया गया प्रसाद चोरी करके खा लिया ।जिसके कारंण लोगों ने उसकी पिटाई कर दी।और उसी दिन उसकी मौत हो गई ।शिवलिंग पर चढे अभक्ष्य प्रसाद को खाया इसलिए दंण्ड स्वरुप उसके मौत हो गई । लेकिन प्रसाद चोरी करते समय अंधेरा होने के कारण उसने अपने बस्त्र फाडकर जलाकर मंदिर में उजाला किया ।तब प्रसाद चोरी किया था।मंदिर में उजाला करने के फलस्वरूप भोले शिव उस पापी गुणनिधि पर प्रशन्न हो गये और उसे शिवलोक में स्थान देकर उसका उद्धार कर दिया ।
शिवपुराण में विद्वैश्वर संहिता के श्लोक नं०- 4 से लेकर 9 तक शिवलिंग पर चढे नैवेद्य को खाने से एवं जलहरी के जल को पिने से मनुष्य का कल्याण होना बताया है।लेकिन श्लोक नंबर -11 में शर्त लगा दिया है । कि शिव मंत्र से दीक्षा प्राप्त ब्यक्ति प्रत्येक शिवलिंग का जल एवं सामग्री ग्रहण कर सकता है। तब तो कोई बिरला ब्यक्ति हि शिवलिंग के सामग्री को ग्रहण कर पायेगा।क्योकि पांच करोड शिवमंत्र के जाप करने पर दिक्षा मंत्र ब्यक्ति को पात्र बनाता है। इसके बाद नौ करोड जपने पर सिद्धि प्राप्त होती है। इसके बाद प्रत्येक तत्व पर विजय प्राप्त करने के लिये प्रत्येक तत्व के लिए अलग-अलग नौ-नौ करोड जाप करना पडेंगे।
इसलिए विद्धेश्वर संहिता के श्लोक नंबर 20 में स्पष्ट लिख दिया है ।कि शिवलिंग से स्पर्श हुआ प्रसाद अग्राह्य है।इसे नहीं खाना चाहिए ।जो प्रसाद शिवलिंग पर चढाने के वाद शेष बचा है । वह महाप्रसाद कहलाता है। उस प्रसाद को भाई -बांधव समाज के के सभी लोगों को खिलाना चाहिए ।
(पं०सुशील महाराज)
कथाबाचक