अध्यात्ममध्य प्रदेश

भौतिक सुख सुविधाओं से दूर रहकर तप त्याग संयम की साधना के साथ भगवान जिनेंद्र की आराधना में लीन इंद्र और इंद्राणी

कल्पद्रम विधान में उमड़ रहा श्रद्धा भक्ति और आस्था का सैलाब

आज आर्यिका विमल श्री माता जी आर्यिका माताओं का पिच्छिका परिवर्तन

भोपाल। शंकराचार्य नगर जैन मंदिर जिनालय के समीप विशाल परिसर में कल्पद्रम महामंडल विधान के मुख्य मंडल और साथ 108 समवशरण की भव्य रचना की गई है यहां आचार्य विनम्र सागर महाराज के सानिध्य और आर्यिका विमल श्री माताजी के निर्देशन में भव्य अनुष्ठान हो रहा है सत्य अहिंसा जीव दया और करुणा का संदेश देता हुआ अनुष्ठान का आयोजन भक्तों के जीवन में उत्साह उमंग के साथ सात्विक अनुशासन तय करता है विधान के प्रमुख पात्र और इंद्र इंद्राणी भौतिक सुख सुविधाओं से दूर रहकर आचार्य श्री से लिए गए संकल्पों के साथ भगवान जिनेंद्र की आराधना में लीन हे प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया क्या युवा क्या बुजुर्ग यहां तक बच्चे भी अनुष्ठान में सम्मिलित हुए हैं और विशेष बात यह है अपने जीवन को अनुशासन मय बनाने और जीवन जीने की कला सीखने के साथ छोटे-छोटे नियम भी आचार्य श्री से लेकर अनुष्ठान में बैठे हैं आज समवशरण विराजमान भगवान जिनेंद्र की प्रतिमाओं के अभिषेक के साथ अष्ट द्रव्यों से भगवान की आराधना की गई विधानाचार्य के निर्देशन में धार्मिक क्रियाएं की गई अनुष्ठान के विशेष सहयोगी राजेश भारिलय और मनोज इंजीनियर एम आर परिवार हैं आचार्य श्री को अनेक भक्तों ने श्रीफल भेंट किया और शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु परिवार को प्राप्त हुआ आचार्य श्री ने वचन में कहा धार्मिक अनुष्ठान जीवन में उत्साह उमंग और उल्लास से भर देते हैं हमेशा मांगलिक क्रियाएं जीवन को उत्सव ममय बना देती हैं जीवन में दुख और सुख कर्मों पर आधारित है बुराई और भलाई नजरिए पर हमेशा अपना नजरिया अच्छा रखना चाहिए धार्मिक अनुष्ठान धार्मिक क्रियाएं जीवन का पल-पल मंगल मय देती हैं आवेदन समिति के प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया आज रविवार को दोपहर १ बजे परिसर में आर्य का विमल श्री माताजी सहित आर्यक माता जी का पिच्छिका का परिवर्तन भी होगा,,,,,, अंशुल जैन

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