स्थानांतरण प्रक्रिया और पद संरचना में मनमानी परिवर्तन से बेहद नाराज़ शिक्षक

विगत वर्ष की अतिशेष प्रक्रिया में पोर्टल अपडेट नहीं था फिर भी संकुल प्राचार्यों के तथ्यों को नजरंदाज कर अधिकारियों ने अतिशेष प्रक्रिया से हटाए गए शिक्षकों को उन शालाओं में पदस्थ कर दिया था जहां पहले से पर्याप्त शिक्षक थे। जिसकी शिकायत भी शालाओं में कार्यरत शिक्षकों ने बार-बार की थी लेकिन उस पर अधिकारियों ने ध्यान नही दिया। समस्याओं को जस का तस बने रहने दिया। जिसके कारण अब वर्तमान स्थानांतरण प्रक्रिया में पहले से उन शालाओं में कार्यरत शिक्षकों को अतिशेष घोषित कर स्थानांतरण के लिए आवेदन करने बाध्य किया जा रहा है। वर्तमान स्थिति में भी पोर्टल अपडेट नहीं है। अतिशेष घोषित शिक्षकों की संख्या ज्यादा हो गई है और रिक्त पदों की संख्या कम हो रही है। अब शिक्षक जाए तो जाए कहां।
लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा एज्युकेशन पोर्टल 3.0 में पद संरचना में मनमाना और अतार्किक परिवर्तन किया जिससे अतिशेष शिक्षकों की भयावह स्थिति बन गई है।
एज्युकेशन पोर्टल 3.0 में घोषित वर्तमान पद संरचना भेदभाव पूर्ण है। विशेषीकृत शाला संदीपनी में जो अक्सर शहरी क्षेत्र में होती है वहां छात्र शिक्षक अनुपात 180:1 रखा गया है और गैर विशेषीकृत और ग्रामीण शालाओं में छात्र शिक्षक अनुपात 235:1 रखा गया है। जिससे ग्रामीण शालाओं की शैक्षणिक व्यवस्था धराशाही हो जाएगी और अतिशेष शिक्षकों की संख्या बढ़ जाएगी। विशेषकर भाषाई शिक्षक हिंदी, अंग्रेजी के अधिकांश शिक्षक अतिशेष की श्रेणी में आएंगे।विगत वर्ष छात्र शिक्षक का अनुपात 160:1 था। सवाल यह है कि विशेषीकृत शाला संदीपनी और अन्य हाईस्कूल, हायर सेकंडरी शालाओं में छात्र शिक्षक अनुपात अलग-अलग कैसे घोषित किया जा सकता है? इसका कोई तार्किक आधार ही नहीं बनता। सर्व विदित है की अधिकांश ग्रामीण हाईस्कूल, हायर सेकंडरी शालाओं में प्राचार्य, लिपिक और भृत्य नियुक्त ही नहीं है। शिक्षकों पर अधिक कालखंड पढ़ाने का बोझ बडा़ दिया जाएगा तो शाला के गैर शैक्षणिक कार्य कौन करेगा? एक राष्ट्र एक शिक्षा तो ग्रामीण क्षेत्र और संदीपनी शालाओं की पद संरचना में अंतर क्यों? सारी सुविधाओं के बावजूद इस वर्ष बोर्ड परीक्षाओं में संदीपनी शालाओं का परीक्षा परिणाम और मेरिट सूची स्थान के मामले में अन्य शालाओं से फिसड्डी ही साबित हुए हैं फिर इन्हें कितनी सुविधा देने का क्या औचित्य है?
प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं की पद संरचना में भी परिवर्तन किया गया है और परिवर्तन का कोई ठोस कारण भी नहीं बताया गया है। जिसके कारण भी अतिशेष शिक्षकों की बाढ आ गई है।
नि:शुल्क अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 की धारा (25) अनुसूची संलग्न किया जाकर प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के लिए पृथक से छात्र शिक्षक अनुपात के आधार पर विद्यालय वार पद संरचना वर्णित की गई है जिसके अनुसार
प्राथमिक विद्यालय कक्षा 01 से 05 तक के लिए छात्र संख्या 01 से 60 पर- 2 शिक्षक , छात्र संख्या 61 से 90 पर -3 शिक्षक, छात्र संख्या 91 से 120 पर-4 शिक्षक, छात्र संख्या 121 से 200 पर-5 शिक्षक, छात्र संख्या 150 से ऊपर जाने पर 5+1(एक प्रधानाध्यापक पद स्वीकृत), 200 से अधिक छात्र संख्या होने पर छात्र शिक्षक अनुपात 40 से अधिक नहीं होगा ।
माध्यमिक विद्यालय कक्षा 6 से 8 तक के लिए प्रत्येक कक्षा (प्रत्येक कक्षा में अधिकतम सिर्फ 35 छात्र रहेंगे) के लिए तीन शिक्षक विषय क्रम निम्न अनुसार-1.गणित/विज्ञान, 2.सामाजिक विज्ञान, 3.भाषा
इस प्रकार तीन शिक्षक के ऊपर शिक्षक संख्या जानी है तो 35:01 छात्र: शिक्षक के अनुपात से यदि विद्यालय में 105 से अधिक छात्र रहते हैं तो अतिरिक्त शिक्षक पद निर्मित व स्वीकृत रहेगा। यह व्यवस्था भारत की संसद से पास कानून नि:शुल्क अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 की धाराओं के अनुसार थी।
लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा तैयार किए गए अपग्रेड स्कूल शिक्षा पोर्टल 3.0 में जो नवीन पद संरचना विद्यालय वार फीड की गई है उसके अनुसार प्राथमिक विद्यालय कक्षा 1 से 5 तक के लिए छात्र संख्या 01 से 74 पर 2 शिक्षक, छात्र संख्या 75 से 104 पर 3 शिक्षक, छात्र संख्या 105 से 134 पर 4 शिक्षक, छात्र संख्या 135 से 200 पर 5 शिक्षक निर्धारित किया है।
माध्यमिक विद्यालय कक्षा 6 से 8 तक के लिए छात्र संख्या 122 तक 3 शिक्षक (गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान), 122 से 157 तक 4 शिक्षक, 158 से 192 तक 5 शिक्षक,193 से 227 तक 6 शिक्षक, 228 से 262 तक 7 शिक्षक, 263 से 297 तक 8 शिक्षक लगभग होने चाहिए की पद संरचना जारी की गई है । जिसे देखकर ज्ञात होता है की जो छात्र संख्या प्रति शिक्षक बढ़ाई गई है वह नि:शुल्क अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 की विभिन्न धाराओं की विपरीत है। इसी से समस्त विद्यालयों में छात्र शिक्षक अनुपात सेटअप प्रभावित हुआ है और ज्यादातर शिक्षक अतिशेष की श्रेणी में आ गए हैं।
अतिशेष घोषित शिक्षकों की संख्या पूरे प्रदेश में बहुत ज्यादा है जिन्हें समायोजित करना भी लोक शिक्षण संचालनालय के लिए बड़ी समस्या बनेगी। अपनी गलतियों के लिए लोक शिक्षण संचालनालय को न्यायिक अड़चनों का भी सामना करना पड़ेगा।
प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल, हायर सेकंडरी शालाओं में पुराना छात्र शिक्षक अनुपात का सेटअप यथावत रखने की मांग प्रदेश का शिक्षक समुदाय करता है।