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नेक्स्टकेम (MAIRE) के साथ मिलकर टेक्निमॉन्ट ने भारत में ग्रीन अमोनिया प्लांट के लिए इंजीनियरिंग डिज़ाइन युक्त अध्ययन का अनुबंध प्राप्त किया, जो नेक्स्टकेम के स्वामित्व वाले ARCHY डिजिटल टूल का लाभ उठायेगा

• टेक्निमॉन्ट प्रति वर्ष 200,000 मीट्रिक टन ग्रीन अमोनिया प्लांट के लिए इंजीनियरिंग डिज़ाइन युक्त अध्ययन (FEED का चरण 1) करेगा।
• नेक्स्टकेम अक्षय ऊर्जा के उपयोग को इष्टतम बनाने हेतु अपना स्वयं का डिजिटल उपकरण, ArcHy प्रदान करेगा, जिसके परिणामस्वरूप इस प्लांट के जीवनचक्र की पूँजीगत और परिचालन दक्षता बेहतर होगी और अमोनिया का ख़र्च कम होगा।

मिलान / मुंबई, 16 जुलाई 2024 – MAIRE (MAIRE.MI) ने घोषणा की है कि टेक्निमॉन्ट (एकीकृत ई&सी समाधान), भारत की अपनी सहायक कंपनी टेक्निमॉन्ट प्राइवेट लिमिटेड (टी.सी.एम.पी.एल.) के माध्यम से, नेक्स्टकेम (सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी सोल्यूशंस) के साथ मिलकर, भारत में स्थापित किए जाने वाले एक हरित अमोनिया प्लांट के लिए सेम्बकॉर्प ग्रीन हाइड्रोजन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा इंजीनियरिंग डिज़ाइन युक्त अध्ययन (फ्रंट-एंड इंजीनियरिंग डिज़ाइन का पहला चरण) अनुबंध प्रदान किया गया है।
यह अध्ययन नेक्स्टकेम के डिजिटल टूल ArcHy (आर्किटेक्चर ऑफ़ हाइड्रोजन सिस्टम) का लाभ उठायेगा, ताकि अक्षय ऊर्जा के उपयोग की रुकावट की समस्या को दूर किया जा सके, जिसके परिणामस्वरूप प्लांट के जीवनचक्र की पूँजीगत और परिचालन दक्षता में वृद्धि होगी। विशेषतः, ArcHy डिजिटल टूल अमोनिया की स्तरिकृत ख़र्च को घटाने के उद्देश्य से इलेक्ट्रोलाइज़र, भंडारण की प्रणालियों और हरित अमोनिया के उत्पादन की सुविधाओं जैसे संयंत्र के तत्वों के आकार को निर्धारित करने के लिए, मौसम के अलग-अलग परिदृश्यों में अक्षय ऊर्जा के 1 वर्ष की अवधि में एकत्र की गईं उत्पादन की प्रोफाइलों का उपयोग करेगा। इस विश्लेषण के परिणामों के आधार पर, टी.सी.एम.पी.एल. अत्यधिक विशिष्ट इंजीनियरिंग सेवायें प्रदान करके इस सुविधा के सभी तत्वों को डिज़ाइन करेगा।
MAIRE के सी.ई.ओ. एलेसेंड्रो बर्निनी ने कहा, “दुनिया भर में ऊर्जा परिवर्तित करने की परियोजनाओं, विशेष रूप से हरित अमोनिया संयंत्रों में, में हमारी संबद्धता इस उद्योग की डीकार्बोनाइजेशन और किफ़ायत की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले इंजीनियरिंग और तकनीकी समाधानों के प्रस्ताव में सभी स्तरों पर समूह की विश्वसनीयता को प्रमाणित करती है, जो इस हमारे सहक्रियात्मक और समाकलित दृष्टिकोण के कारण संभव हो पाया है।”

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