प्रशांत मुद्रा के धारी 108 विराग सागर महाराज की अनायास , समाधि की सूचना पा कर पूरा जैन समाज स्तब्ध
भोपाल 4 जुलाई. पूज्य गणाचार्य ,वात्सल्य मूर्ति ,उपसर्ग विजेता ,प्रशांत मुद्रा के धारी 108 विराग सागर महाराज की अनायास , समाधि की सूचना पा कर मैं ही नहीं पूरा जैन समाज।स्तब्ध हो।गया है,ऐसा।घोर वज्रपात ,शायद किसी सदी में हुआ हो,अभी संत शिरोमणि विद्या सागर के विछोह के अश्रु सूखे भी नहींथे,की दूसरे आचार्य विराग सागर जी की समाधि ने समाज को निढाल ,वे सहारा, किंकर्तव्य विमूढ़ कर दिया ,शब्द नहीं। हैं वेदना के बेहद गमगीन क्षणों में लिखने को,मुझ पर।विशेष आशीर्वाद रहा,2बार उपसर्ग के क्षणों में मुझे,श्रेयांश गिरि,एवं भिलाई में ढाल बन कर अपने कर्तव्य का निर्वाह करने का अवसर मिला, भोपाल प्रवास पर जैन नगर में लगभग 100 चौकों में हमें खोज कर नेत्रों से संकेत कर पड़ गहन देकर गुरु प्रतीक्षा में आहार ग्रहण कर हमारे परिवार को कृतार्थ किया, ऐसे न्याय विद,वात्सल्य रत्नाकर के चरणों में अंतस की पवित्रता से कोटि कोटि नमोस्तु,👉👉👉👉🙏🙏 डॉ नरेंद्र जैन,चंद्रसेन जैन कवि बंधु,गुरु प्रतीक्षा परिवार भोपाल,