मध्य प्रदेश

उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न महापर्व छठ

भक्ति, लोक परंपरा और आस्था का अनुपम संगम

भोपाल, 28 अक्टूबर। बिहार सांस्कृतिक परिषद् द्वारा सरस्वती देवी मंदिर, बरखेड़ा परिसर में चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन आज प्रातःकाल उदीयमान सूर्य को उषा अर्घ्य अर्पण के साथ पूर्ण श्रद्धा, उल्लास एवं पारंपरिक गरिमा के बीच सम्पन्न हुआ। छठ व्रतियों ने प्रातः के स्वच्छ जल में खड़े होकर परिषद् द्वारा निर्मित चारों कुंड में सूर्य देव तथा छठी मैया की आराधना के साथ ही परिवार, समाज तथा राष्ट्र की समृद्धि के लिए मंगलकामनाएँ हेतु उगते सूर्य को अर्घ्य दिया । इससे आज पूरे वातावरण में भक्ति और उल्लास की लहर दौड़ गई। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण और आत्म-अनुशासन की शिक्षा भी देता है।
छठ पूजा की लोक परंपराएं इस पर्व को अनोखा बनाती हैं। अंतिम दिन की शुरुआत सुबह-सुबह हुई जब व्रती महिलाएं और पुरुष बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल की लाई, गन्ना और अन्य प्रसाद सजाकर परिषद् परिसर में निर्मित कुंड के किनारे बने घाट पर आये । लोक परंपरा में ‘डाला’ या ‘सूप’ तैयार करना एक महत्वपूर्ण रस्म है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है।
छठ व्रतियों में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारीगण सहकारिता आयुक्त मनोज पुष्प, अपर कलेक्टर मनोज वर्मा, समाजसेवी कामेश्वर सिंह ने पारंपरिक लोकगायन के बीच श्रद्धालुओं ने ठेकुआ, नारियल, गुड़, हल्दी-अद्रा और मौसमी फलों से भरे सूप से अर्घ्य अर्पित किया। पारिवारिक एकता, पवित्रता, संयम, और पर्यावरण-पोषक रीति-रिवाजों के संग यह पर्व लोक जीवन में आस्था का दीप जलाता है। सूर्योदय के साथ ही भोजपुरी साहित्य अकादमी के सहयोग से पटना के गायक समूह द्वारा छठ गीतों और भजनों की मधुर गूंज ने वातावरण को भावविभोर कर दिया।
भजन और लोकगीत इस उत्सव का अभिन्न अंग हैं। श्रद्धालु ‘उग हे सुरुज देव, भइल भिनसरवा’ जैसे पारंपरिक भजन गाते हुए सूर्य देव की स्तुति करते हैं। ये भजन बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश की लोक संस्कृति से जुड़े हैं, जहां भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा में गाए जाने वाले गीत भावुकता और भक्ति से ओत-प्रोत हैं। इन गीतों में सूर्य की महिमा, छठ मैया की कृपा और परिवार की खुशहाली की कामना की गयी ।
महापर्व छठ पूजा के संयोजक सतेन्द्र कुमार ने बताया कि महापर्व छठ पूजा की खासियत इसकी शुद्धता और सरलता है – कोई मूर्ति पूजा नहीं, केवल प्रकृति की आराधना है। यह पर्व पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देता है, क्योंकि सभी प्रसाद प्राकृतिक और जैविक होते हैं, और जलाशयों और जल के प्राकृतिक स्रोतों की सफाई पर जोर दिया जाता है।
आगे सतेन्द्र कुमार ने कहा कि महापर्व छठ पूजा का महत्व आज के समय में और बढ़ गया है। यह न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि सामाजिक बंधन मजबूत करने, लिंग समानता (महिलाओं की प्रमुख भूमिका) और स्वास्थ्य लाभ (उपवास से detox) प्रदान करता है। इस वर्ष की महापर्व की छठ पूजा ने एक बार फिर सिद्ध किया कि परंपराएं कैसे आधुनिक जीवन में प्रासंगिक बनी रह सकती हैं।
जनमेजय शर्मा, आर के सिंह, एस के चौधरी, रामरतन प्रसाद, पृथ्वीराज सिन्हा, सूर्या कुमार सिंह, सुरुचि कुमार, कृष्णा कुमार राम ,अक्षय कुमार राम, रंजीत कुमार राम, प्रवीण कुमार राम, संजीव कुमार, विकास चौधरी, आयुष चौधरी, राजकुमार प्रसाद, राकेश सिंह, नरेंद्र सिंह, मनोज कुमार पाठक, अनंत साहू, राम स्नेही, अनिल यादव, राहुल रंजन, प्रांजल कुमार, दिनेश सिंह, संदीप सिंह, हरिशंकर प्रसाद, अरुण विश्वकर्मा, नितेश कुमार, संजय शाह, सौरभ वर्मा,शुभम पाठक, सौरभ पाठक, सीताराम शाह, प्रभात कुमार एवं कार्यकर्ताओं के सहयोग से कार्यक्रम सफल रहा।
सभी श्रद्धालुओं को छठ मैया की कृपा प्राप्त हो। जय छठ मैया ।

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