धूप की सुगंध से महक उठा जिनालय, सुगंध दशमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया

निश्चय के बिना व्यवहार सच्चा नहीं होता-पं.अरविन्द जी शास्त्री
भोपाल। श्री 1008 भगवान महावीर दिगम्बर जैन मंदिर साकेत नगर समाज द्वारा दस लक्षण पर्व के छठे दिन सुगंध दशमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। दस लक्षण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म के अवसर पर मंदिर जी में उल्लास छा गया। मूलनायक 24 वें तीर्थंकर श्री 1008 भगवान महावीर स्वामी के चरणों में धूप अर्पित की गई। साकेत नगर जिनालय में सुबह से शाम तक धूप अर्पित करने के लिए समाजजनों का ताँता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने अष्ट कर्म का नाश करने के लिए मंदिरों में धूप का खेवन किया जिससे धूप की सुगंध से सम्पूर्ण जिनालय महक उठा। जैनागम के अनुसार इस दिन श्री भगवान जी को धूप अर्पण करने से सभी कष्टों का निवारण होता है। दूसरी ओर दसलक्षण पर्व में उत्तम संयम पूजन हुआ। इससे पूर्व दसलक्षण महापर्व के छठे दिन सुबह श्री जी के अभिषेक पूजन के पश्चात् विश्व शान्ति के लिए शान्ति धारा का पाठ तथा तत्वार्थ सूत्र वाचन किया गया। पं.अरविन्द जी शास्त्री (रांची) ने सुगन्ध दशमी के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रानी मनोरमा को मुनि महाराज के अपमान के कारण कर्मों का बंधन हुआ। ऐसे में प्रायश्चित भाव से भगवान शीतलनाथ की आराधना करने पर उन्हें अपने कर्मों से मुक्ति मिली। उसी प्रसंग के उपलक्ष्य में सुगन्ध दशमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन विधि-विधान से व्रत को करने से मनुष्य के सारे अशुभ कर्मों का क्षय होकर पुण्य प्राप्त कर मोक्ष की प्राप्ति होती है। दसलक्षण धर्म के उत्तम संयम धर्म पर आपने अपने उद्बोधन में कहा कि “उत्तम संयम धर्म, वह धर्म है जिसके लिए देव भी तरसते हैं, तो सोचिये कि उस संयम धर्म की कितनी महिमा हो सकती है। उत्तम संयम धर्म दो प्रकार का होता है, इन्द्रिय संयम, प्राणी संयम। जब तक जीवन में छ: काय के जीवों के प्रति दया के परिणाम नहीं होंगे तब तक निश्चित ही धर्म जीवन में नहीं उतर सकता हम जीवों का घात भी करते रहें और संयम धर्म भी हो जाये ऐसा कभी नहीं हो सकता। निश्चय के बिना व्यवहार सच्चा नहीं होता और सच्चे व्यवहार बिना निश्चय जीवन में नहीं उतर सकता।” साकेत नगर में धूप खेने के लिए आने वाले सभी धर्मावलंबियों के लिए साकेत नगर मंदिर अध्यक्ष नरेंद्र टोंग्या द्वारा जलपान की विशेष व्यवस्थाएं की गई थीं। मंदिर प्राङ्गण में सुंदर साज-सज्जा की गई थी। इसके पूर्व साकेत नगर पाठशाला के नन्हें कलाकार बच्चों प्रभुता, निर्जरा, हिया, अभिश्री, अनव, अनय,संयम, अवयांश, श्रद्धान एवं रेयांश द्वारा नाटक “भावो के रंग” का शानदार प्रदर्शन किया गया। बच्चों ने नाटक के माध्यम से अपेक्षाकृत कठिन विषय लेश्या को बहुत ही सरल और सहज भाषा में सभी को समझाया गया जिसे सभी दर्शकों द्वारा बहुत सराहा गया। प्ज्ञातव्य है कि पाठशाला में बच्चों को मार्गदर्शन प्रदान करने वाली सदस्यों में प्रमुख रूप से प्रतिभा टोंग्या, डॉ पारूल जैन, डॉ. प्रज्ञा जैन, शैलेन्द्र जैन, अभिषेक जैन तथा टीम की कड़ी मेहनत और लगन के परिणामस्वरूप समाज के बच्चे इतनी भली-भांति शास्त्रों का अध्ययन कर उसे ग्राह कर रहे हैं।