अध्यात्म

आज से शुरू हुआ अगहन मास, जानिए क्यों कहा जाता है इसे धर्म और दान का महीना

Margashirsha Month 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के बाद शुरू हुआ अगहन या मार्गशीर्ष मास धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है. आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि क्यों कहा जाता है अगहन मास को धर्म और दान का महीना.

 कार्तिक मास समाप्त होते ही अघान मास की शुरुआत होती है. यह मास आज से शुरू होकर अगले अमावस्या तक चलेगा. मान्यता है कि इस महीने भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है.

क्यों कहा जाता है धर्म और दान का महीना

अघान मास को धर्म और दान का महीना इसलिए कहा गया है क्योंकि इस समय किया गया हर शुभ काम सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक फल देता है. ठंड के मौसम में जरूरतमंदों को कपड़े, अन्न या गुड़-तिल का दान करने से न केवल पुण्य मिलता है बल्कि मन को संतोष भी प्राप्त होता है. शास्त्रों में लिखा है कि इस मास में किए गए दान और अच्छे कर्म व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं.

भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना

श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात “महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं.

इसलिए यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय माना गया है. इस दौरान उनकी आराधना करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

गीता जयंती भी इसी मास में आती है, जिससे इस महीने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व और बढ़ जाता है.

गोपियों के उपवास की कथा

धार्मिक मान्यता के अनुसार, मार्गशीर्ष मास में वृंदावन की गोपियों ने श्रीकृष्ण को पाने के लिए व्रत रखा और यमुना स्नान किया था. इस कथा के कारण यह महीना भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक बन गया. कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से इस महीने उपवास और पूजा करता है, उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है.

मृगशीर्ष नक्षत्र का प्रभाव और नाम का अर्थ

मार्गशीर्ष मास का नाम पूर्णिमा को आने वाले मृगशीर्ष नक्षत्र के कारण पड़ा. “मार्ग” का अर्थ है रास्ता और “शीर्ष” का मतलब है श्रेष्ठ — यानी यह महीना हमें धर्म और सदाचार के श्रेष्ठ मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है.

स्नान और दान से मिलती है आध्यात्मिक शुद्धि

इस महीने सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना और भगवान विष्णु को अर्पण करना शुभ होता है.

गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से आत्मिक शुद्धि होती है.

इस महीने तिल, गुड़, चावल, कंबल और अन्न का दान करना सर्वोच्च पुण्य कर्म माना गया है.

इस महीने किसकी पूजा करनी चाहिए?

भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और तुलसी की पूजा सबसे शुभ मानी जाती है.

कौन-सी चीजें दान करनी चाहिए?

अन्न, गुड़, तिल, कपड़े और कंबल का दान सर्वोत्तम माना गया है.

क्या गंगा स्नान जरूरी है?

अगर संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ होता है.

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