टैरो की उत्पत्ति और आधुनिक काल में टैरो का उपयोग

टैरो कार्ड हमें प्ले कार्ड की तरह दिखाई देते हैं वैसे वह होते नहीं है कार्ड का मलिक ही अपने कार्ड का चालक होता है मतलब उसका मालिक ही उसे समझ सकता है दूसरों को समझा सकता है. टैरोट का उपयोग रहस्य और भाग्य बताने के उद्देश्यों के लिए सबसे पहले 1780 के आसपास फ्रांस में हुआ था भाग्य बताने के लिए प्रत्येक टैरो कार्ड को एक अर्थ दिया गया था. प्रश्न करता का खुद का अलग-अलग तरीका होता है कार्ड को स्प्रेड करने के लिए और उनसे सफल सवाल करने के लिए तथा उन्हें अपने सवाल करता हूं को समझने के लिए अगर हम बात करें टैरो के इतिहास की तो 14 शताब्दी में इटली और फ्रांस मैं टैरो सबसे पहले पहुंचा वहां इसकी फर्स्ट सेट का निर्माण किया गया जिसे टेरुचि नाम दिया गया पहले इन्हें सिर्फ गेम की तरह खेला जाता था. 18 वीं शताब्दी में टैरो आॅकल्ट साइंस में शामिल हुआ. 1781 शताब्दी में एंटनी कोर्ट जो कि फ्रांस स्कॉलर थे इन्होंने इजिप्ट मिस्टिकल ओरिजिन को दर्शाया और उसने ही इसके अंदर छुपे हुए विजडम को बताया सबसे पहले इटालियन जिन बिपति साइट अली 18 जोकि फ्रांस के आॅकल्ट साइंटिस्ट थे इन्होंने टैरो दे को डिजाइन किया और डिवाइड करके अलग-अलग कार्ड को बनाया. 19वीं और 20वीं शताब्दी मैं गोल्डन डॉन ने इंग्लैंड के मिस्टिकल समिति से टैरो को एस्ट्रोलॉजी न्यूरोलॉजी और कबल से जोड़ा,1909 में सबसे ज्यादा फेमस टैरोटिक द राइटर वेट स्मिथ बनाई गई जिसका आविष्कार आर्थर एडवर्ड वेट ने किया और जिसे पामेला कलम स्मिथ ने विस्तार से समझाया.
वैदिक ज्योतिष में जिस तरह से किसी व्यक्ति का भविष्य जानने के लिए जन्म कुंडली हस्त रेखा और अंग ज्योतिष का अध्ययन करते हैं इस प्रकार से आधुनिक युग में इन सभी विधाओं में एक और प्रचलित विद्या है जिसे टैरो कार्ड रीडिंग कहा जाता है टैरो कार्ड रीडिंग में टैरो कार्ड के ऊपर अंक रंग संकेत तथा पृथ्वी जल अग्नि वायु आकाश जैसे पांच तत्व आदर्श गए हैं जिनके आधार पर भविष्य का अनुमान लगाया जाता है और जीवन में आने वाली तमाम तरह की समस्याओं को हल करने में यह विद्या काम करती है अगर हम जब टैरो कार्ड के इतिहास की बात करें तो ज्योतिष की इस विधा की शुरुआत लगभग 2000 साल पहले हुई थी. सेलिसी नामक देश के लोगों द्वारा सर्वप्रथम इस विद्या से भविष्य जानने का प्रयास किया जाता था मान्यताओं के अनुसार यह विद्या 1971 से अधिक प्रचलन में आई जब इटली में मनोरंजन के माध्यम के तौर पर इसे अपनाया गया इसके बाद टैरो कार्ड रीडिंग की यह विद्या इंग्लैंड और फ्रांस में भी बहुत लोकप्रिय हो गई वर्तमान में टैरो कार्ड रीडिंग का प्रचलन भारत में भी काफी बढ़ चुका है
अपना भविष्य जानने की मानवीय उत्कंठा उतनी ही प्राचीन है जितना प्राचीन है हमारा ज्योतिष शास्त्र रामचरित्र मानस रामायण व महाभारत जैसे महान पुराणों में भी हमें ज्योतिष शास्त्र द्वारा मार्गदर्शन का संकेत मिलता है प्राचीन काल से ही ज्योतिष के अनेक प्रकार प्रचलित रहे हैं जिनमें सामुद्रिक शास्त्र हस्तरेखा विज्ञान मुख्य ज्योतिष अंक शास्त्र नष्ट जातक काम के साथ-साथ प्रश्नावली रमल जैसी विधियां भी शामिल है वर्तमान काल में ज्योतिष की ऐसी ही एक विधि अत्यंत ही प्रचलित और प्रमाणिक सिद्ध हो रही है जिसका नाम है टैरो कार्ड रीडिंग है इसमें टैरो कार्ड के माध्यम से प्रश्न करता के प्रश्नों का समाधान कर उसे मार्गदर्शन दिया जाता है ऐसी मान्यता है कि यह मार्गदर्शन हमें सीधे देवी शक्तियों वह हमारे ईस्ट के द्वारा दिया जाता है जो टैरो कार्ड के माध्यम से हमें प्राप्त होता है
टैरो कार्ड के अंतर्गत दो लोगों का होना अनिवार्य होता है प्रथम प्रश्न करता और दूसरा रीडर होता है इसकी प्रक्रिया में जो व्यक्ति प्रश्न करता होता है वही कार्ड को सफल करता है और उसे स्प्रेड करता है इसके पश्चात कार्ड रीडर इन कार्ड को एक नियमित क्रम देता है तत्पश्चात प्रत्येक कार्ड से एक के बाद एक भविष्य में होने वाली घटनाओं का उत्तर मिलता है कार्ड रीडर पहले कार्ड में निहित अर्थ को स्वयं समझता है फिर प्रश्न करता के प्रश्नों का उत्तर देता है ज्योतिष की यह विद्या आस्था और विश्वास पर आधारित है यदि प्रश्न करता को इस विधा पर विश्वास नहीं है तो उसे इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए
आस्था व श्रद्धावन को ही इसका लाभ होता है बिना किसी आशंका और पूर्वाग्रह के पवित्र भाव से पूछे गए प्रश्नों का उत्तर 90% सही होता है केवल एक अनुभवी टैरो कार्ड रीडर ही आपको स्थिति का वर्णन कर सकता है तथा वही संकेत को समझता है और सवालों का जवाब दे सकता है
टैरो कार्ड की रहस्यमई दुनिया और भविष्य आकलन की सर्वप्रिय विद्या है धार्मिक समूह और विभिन्न भूमिगत जातियों का गुप्त शिक्षा अंकन टैरोट का दर्शन कब्बल से उत्पन्न हुआ है शब्दों और अंकों की देवी शक्तियों से संपन्न टैरोट आज भविष्य दर्शन का लोकप्रिय माध्यम है टैरोट रहस्य और भविष्य दर्शन की अनोखी विद्या है
टैरो 21st सेंचुरी में अब बहुत ज्यादा उपयोग किया जा रहे हैं जिससे लोगों का विकास हो रहा है तथा उनकी अध्यात्म मार्गदर्शन विद्या बढ़ रही है टैरो साइकोलॉजी को भी समझने में सहायक होते हैं इसे एनर्जी हीलिंग अगर कोई बीमार है तो उसकी हीलिंग भी की जा सकती है जिससे उनकी हेल्थ में प्रोग्रेस होती है और वह एक अच्छी सोच के साथ आगे बढ़ पाते हैं टैरो हमारे शरीर के चक्र से जुड़े होते हैं टैरो के जो कलर है वह हमारे चक्रास को प्रदर्शित करते हैं इसके अलावा टैरो में उपस्थित नंबर हमारे जीवन में हमारे नंबरों को प्रदर्शित करते हैं और उसमें उपस्थित सिंबल्स हमारे ग्रहों को तथा स्थितियों को दर्शाते हैं टैरो तत्वों से मिलकर बना होता है जैसे मनुष्य का शरीर अलग-अलग तत्वों से मिलकर बना होता है इसलिए टैरो कार्ड एक रहसमयी विज्ञान है.
पंडित पूजा दुबे ‘ मोहिनी ‘,टैरो कार्ड रीडर न्यूमैरोलॉजिस्ट
रेकी ग्रैंडमास्टर,कवित्री, फाउंडर एंड ओनर ऑफ़
द एस्ट्रो विजडम 108 भोपाल मध्य प्रदेश.