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भोपाल में सर्किल रेट में प्रस्तावित वृद्धि का रियल एस्टेट उद्योग, आम जनता और प्रधानमंत्री के ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ मिशन के लक्ष्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा

भोपाल में प्रोपर्टी के लैंड यूज पिछले 20 सालों से यथावत रखे गए हैं, परन्तु गाइडलाइन दरों और संपत्ति के मूल्यांकन में प्रतिवर्ष बदलाव जारी

भोपाल। विडंबना है कि भोपाल में प्रोपर्टी के लैंड यूज पिछले 20 सालों से यथावत रखे गए हैं, परन्तु गाइडलाइन दरों और संपत्ति के मूल्यांकन में प्रतिवर्ष बदलाव जारी हैं, बल्कि इस वित्तीय वर्ष से तो लगता है सरकारी रेट पूरे साल डायनैमिक या रियल टाइम बेसिस पर रखने के प्रयास हो रहे हैं, जबकि प्रॉपर्टी की वास्तविक क़ीमतें जानने की कोई वैज्ञानिक विधि निर्धारित नहीं है। भोपाल क्रेडाई अध्यक्ष मनोज मीक ने कहा कि गाइडलाइन दरों में बदलाव के उल्लेखित सिद्धांतों में कई बिंदु मात्र अनुमान पर आधारित हैं। अनियोजित राजधानी में प्रस्तावित इन्फ़्रास्ट्रक्चर की घोषणा ज़मीनों की क़ीमतों में अवांछनीय अटकलबाज़ी बढ़ाती है। योजनाओं का अत्यन्त धीमा ज़मीनी क्रियान्वयन और इसपर आधारित क़ीमतों में अनावश्यक वृद्धि बाज़ार और राजस्व पर विपरीत प्रभाव डालती हैं।भोपाल में सर्किल रेट में प्रस्तावित वृद्धि का रियल एस्टेट उद्योग, आम जनता और प्रधानमंत्री के ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ मिशन के लक्ष्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। पिछले दशक में इंदौर के मुकाबले भोपाल में सर्किल रेट में कई गुना वृद्धि पहले ही हो चुकी है, जिससे संपत्ति बाजार अस्थिर हो गया है। इसका परिणाम यह हुआ कि भोपाल में निवेश में कमी आई है और संपत्तियों की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए घर खरीदना एक बड़ी चुनौती बन गया है। सर्किल रेट बढ़ाने से प्रापर्टी टेक्स में सीधी वृद्धि होती है जिससे आमजन बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।इसके अतिरिक्त, इस प्रकार की नीतियों का प्रतिकूल प्रभाव राज्य के राजस्व पर भी पड़ सकता है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों के अनुभव से यह साबित हुआ है कि अत्यधिक सर्किल रेट से संपत्ति लेन-देन में कमी आती है, जिससे राजस्व में अपेक्षित वृद्धि नहीं होती। हमारी मांग है कि राज्य सरकार गाइडलाइन रेट प्री-कोविड इयर के स्तर लाए, उपबंधों को तत्काल समाप्त करे तथा अगले तीन वर्षों के लिए सर्किल रेट में कोई वृद्धि न करे और इस अवधि में निवेश, व्यापार, और राजस्व की स्थिति का निष्पक्ष आकलन किया जाए। यह कदम जनहित में होगा राज्य, राजधानी और राजस्व के विकास में योगदान देगा। सरकार से आग्रह है कि इस वृद्धि पर पुनर्विचार कर लोकहित और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करें।क्रेडाई का प्रतिनिधि मंडल विगत तिमाही में प्रस्तावित वृद्धि पर पहले ही उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री से मिलकर विरोध और आपत्ति दर्ज करा चुका है। हमारी तीन वर्षों के स्टेबल लॉक-इन पीरियड की मांग यथावत है। हमारे सदस्य संपदा पोर्टल पर अपलोड की गयी गाइडलाइन में प्रस्तावित वृद्धि का अध्ययन कर रहे हैं, क्रेडाई पुनः सुझाव आपत्ति दर्ज करेगा।

अपलोड की गई प्रस्तावित गाइडलाइन की आनलाइन लिंक उपलब्ध नहीं कराई गयी है. संपदा पोर्टल पर लॉगिन करना की प्रक्रिया आम नागरिक के लिए लंबी तथा जटिल है.
चूँकि प्रॉपर्टी टैक्स की गणना भी गाइडलाइन मूल्यांकन से जुड़ी हुई है इस कारण आम नागरिक के हित इससे जुड़ते हैं. लाखों अचल संपत्ति धारकों के लॉगिन करने पर पहले से धीमें सर्वर और बैंडविड्थ से जूझ रहे संपदा पोर्टल पर संकट बढ़ सकता है तथा नागरिकों को तीन कार्य दिवसों में आपत्ति दर्ज कराना कठिन होगा.

 

 

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