खबरमध्य प्रदेश

अनुपम है बोलियों की सहजता का आनंद : कुमकुम गुप्ता

भोपाल । “भाषाएँ संस्कृति की वाहक होती हैं और बोलियाँ भाषा को समृद्ध करती हैं ” यह बात बुन्देली कवयित्री और लेखिका संघ की अध्यक्ष श्रीमती कुमकुम गुप्ता नर आज यहाँ मध्यप्रदेश लेखक संघ की प्रादेशिक लोकभाषा गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन देते हुए कही । आपने कहा कि बोलियों की सहजता का आनन्द अनुपम है । हिन्दी भवन में सम्पन्न गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए संघ के प्रादेशिक उपाध्यक्ष श्री ऋषि श्रंगारी ने कहा कि लोक भाषा वह है जो मानव द्वारा अनुभूत भाव को सहजता से संप्रेषित करने में सक्षम हो।
गोष्ठी में प्रदेश के विभिन्न अंचलों से पधारे साहित्यकारों ने मालवी, निमाड़ी, बुन्देली एवं बघेली रचनाएँ प्रस्तुत कीं ।
किसने क्या सुनाया –
श्रीमती कुमकुम गुप्ता-
बुढ़ापो सबखों आने है,
एक दिनां मर जाने है ।
जो तो जानत हैं सब कोऊ,
फिर भी सीनो ताने हैं ।
डाॅ. राम वल्लभ आचार्य-
स्वारथ के सब मीत जगत में,
बिन स्वारथ कोऊ घास न डारे ।
खीर में भेले महेरी में न्यारे ।
विनोद मिश्र सुरमणि-
भुनसारे सें बाई उठत्तीं
गेउँ पीसें दरिया दरत्तीं ।
आईं बहुयें मिटे मढ़ा तो
न्यारी भई चकिया।
श्री विजय कुमार जोशी-
कोई खेंचे रास ने कोई खेंचे पीराणो।
गाड़ी में जोत्या डोबला बैल
अब सफर को कई ठिकाणों ।
डॉ मीनू पांडेय नयन-
नईं कोंपें जब धीरें से मुस्कात
सुनो सखी साउन आत है।
धान कौ बिचडा, फिर कऊं हरयात,
सुनो सखी साउन आत है।
सत्यदेव सोनी सत्य-
अद्धा    पौन  सवैया   जानेंन,
जानेंन  डेढ़  अढ़ाई।
रही नही स्कूल गाँव मा,
बरा तरी हम किहेन पढ़ाई।।
गोविन्द सिंह गिदवाहा-
मुगलन कै काल छत्रसाल जू
मातृभूमि जी खौं बड़ी प्यारी ।
ककर कचनाए मोर पहारी
छत्रसाल जन्में जितै औतारी ।
गोष्ठी में श्री हरिकृष्ण हरि, श्री माँगीलाल कुलश्रेष्ठ, श्री अवनीन्द्र खरे एवं श्री दीपक चाकरे ने भी काव्यपाठ किया । गोष्ठी का संचालन लोकप्रिय कवयित्री डाॅ. मीनू पांडेय ने किया । प्रारंभ में अतिथियों द्वारा सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद श्री सुनील चतुर्वेदी ने स्वागत वक्तव्य दिया तथा अंत में सुश्री प्रार्थना पंडित ने आभार प्रदर्शन किया ।
सादर प्रकाशनार्थ –
भवदीय –
मनीष श्रीवास्तव बादल
प्रादेशिक मंत्री

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button