मध्य प्रदेश

न्यूनतम वेतन के लिए संघर्ष जारी रहेगा: वासुदेव शर्मा

आउटसोर्स, अंशकालीन एवं ग्राम पंचायत कर्मियों ने निकाली रैली, बोर्ड आफिस चौराहे पर किया चक्काजाम

पाल/ शासन प्रशासन द्वारा धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने के बाद भी हजारों आउटसोर्स, अस्थाई, अंशकालीन, ग्राम पंचायतों के कर्मचारी न्यूनतम वेतन की मांग को लेकर चिनार पार्क में जुटे, पुलिस द्वारा वहां से भगाने के बाद यह कर्मचारी रैली निकाल भाजपा कार्यालय के लिए निकले, पुलिस ने इन्हें बोर्ड आफिस चौराहे पर रोक दिया, जहां संगठन के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा की अगुआई में चक्काजाम किया, जो दो घंटे तक चक्काजाम चला, प्रशासन पांच सदस्यीस प्रतिनिधिमंडल अंशकालीन के उमाशंकर पाठक, मनोज उईके, पंचायत कर्मियों के अमित सिंह, सुंदर लिल्हारे एवं आउटसोर्स कर्मचारी नेता विपिन पांडे को सीएम कार्यालय लेकर गए, जहां मांगपत्र दिलवाया गया, इसके बाद ही आंदोलन समाप्त हुआ और न्यूनतम वेतन मिलने तक संघर्ष जारी रखने का निर्णय लिया गया। बोर्ड आफिस पर चले चक्काजाम को सीटू नेता प्रमोद प्रधान, अनिल वाजपेई, आशीष सिंह सिसोदिया, अनिल यादव, नत्थू सिंह कुशवाह, यशवंत गेडाम, राजेंद्र शर्मा, राजभान सिंह, मनोज भार्गव सहित दर्जनों जिलाध्यक्षों ने संबोधित किया।धरना प्रदर्शन को अध्यक्ष संबोधित करते हुए वासुदेव शर्मा ने कहा प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं देने के बाद भी बडी संख्या में कर्मचारियों का शामिल होना बताता है कि प्रदेश के न्यूनतम वेतन से वंचित लाखों कर्मचारी सरकार से निर्णायक संघर्ष के लिए तैयार है, वह न्यूनतम वेतन की लडाई को जीतने के लिए ही भीषण गर्मी में भोपाल आया है, इसलिए हम लोग इस संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लेते है। शर्मा ने कहा कि 20 लाल से चतुर्थ एवं तृतीय श्रेणी की नौकरियां नहीं निकली हैं, लाखों पद खाली पडे हैं, इसलिए सरकार को अंशकालीन, ग्राम पंचायत एवं आउटसोर्स कर्मचारियों का संविलियन करना चाहिए, जिससे इनको नौकरी में सुरक्षा एवं सम्मानजनक वेतन मिल सके।
शर्मा ने कहा कि बडे अफसोस की बात है कि खुद सरकार ही न्यूनतम वेतन के कानून का पालन वहीं कर रही और वह 2 से 5 हजार रूपए में अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मियों से काम करा रही है, यह अन्याय भेदभाव समाप्त होना चाहिए।

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