खबर

टैरिफ का पासा पलटने वाला है: चीन पर 100% अमेरिकी शुल्क का भारत पर क्या असर? जानकारों से यहां समझिए

अमेरिका ने जब भारत पर 50 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगाने का एलान किया तो कयास लगने लगे कि इससे हमें नुकसान होगा। भारत पर टैरिफका फायदा चीन या बाकी देशों को मिलेगा। हालांकि, अब हालात एक बार फिर बदलते दिख रहे हैं। क्या हैं ताजा समीकरण? आइए जानते हैं विस्तार से।

अमेरिका ने जब भारत पर 50 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगाने का एलान किया तो कयास लगने लगे कि इससे हमें नुकसान होगा। भारत पर टैरिफका फायदा चीन या बाकी देशों को मिलेगा। हालांकि, अब हालात एक बार फिर बदलते दिख रहे हैं। अमेरिका ने अब चीन पर नवंबर महीने से 100 टैरिफ लगाने का एलान कर दिया है। ऐसे में अब भारत को टैरिफ के मोर्चे पर राहत मिलने के असार हैं। जानकार ऐसा मानते हैं? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

चीन पर सख्ती से भारत को निर्यात बढ़ाने में मिल सकता है फायदा

जानकारों का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव से भारतीय निर्यातकों को अमेरिका के बाजार में अपना निर्यात बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है। वे कहते हैं कि चीन पर अमेरिका का हालिया टैरिफ भारत जो पहले से टैरिफ निपटने की तैयारी कर रहा, को मदद पहुंचा सकता है।भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (पीटीआई) के अध्यक्ष एससी रल्हन के अनुसार अमेरिका की ओर से चीन पर मोटा टैरिफ लगाने से मांग भारत की ओर शिफ्ट हो सकती है। भारत ने 2024-25 में अमेरिका को 86 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया। रल्हन ने कहा, ” अब चीन पर अगर अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि होती है, तो हमें लाभ हो सकता है।अमेरिका ने 1 नवंबर, 2025 से चीनी वस्तुओं पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे चीनी आयात पर कुल टैरिफ दर लगभग 130 प्रतिशत हो जाएगी। यह कदम बीजिंग की ओर से 9 अक्टूबर 2025 को रेयर अर्थ मैटेरियल्स के निर्यात पर व्यापक नए नियंत्रण लगाने फैसले के जवाब में उठाया गया है। ये मैटेरियल्स अमेरिकी रक्षा, इलेक्ट्रिक वाहनों और स्वच्छ ऊर्जा उद्योगों के लिए जरूरी माना जाता है। वर्तमान में, भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ 50 प्रतिशत है और वर्तमान में चीन पर लागू टैरिफ 30 प्रतिशत के अलावे है। इसके अतरिक्त, ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी कंपनियों के सभी महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर पर निर्यात भी नियंत्रण लगा दिया है।

 

वस्त्र निर्यातकों को अपने उत्पाद अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने में मिलेगी मदद

एक कपड़ा निर्यातक ने कहा, “अब चीनी वस्तुओं पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ से हमें बढ़त मिलेगी।” उन्होंने कहा कि चीन से आयात पर अमेरिका द्वारा उच्च सीमा शुल्क लगाने से भारत के लिए अमेरिका को निर्यात के बड़े अवसर पैदा होंगे। एक अन्य निर्यातक के अनुसार टैरिफ से चीन से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर असर पड़ेगा। अमेरिका के इस कदम से अमेरिकी बाजार में चीन के माल की कीमतें बढ़ जाएंगी और इससे वे कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे।

खिलौना निर्यातक मनु गुप्ता ने भी कहा कि चीनी वस्तुओं पर अधिक टैरिफ से खरीदारों को आकर्षित करने में हमें मदद मिलेगी। गुप्ता ने कहा, “हमें मदद मिलेगी। अधिक टैरिफ से वस्तुओं के मूल्य में समानता आएगी और हमें समान अवसर मिलेंगे।” उन्होंने कहा कि खुदरा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टारगेट जैसे अमेरिकी खरीदार नए उत्पादों के लिए उनसे संपर्क कर रहे हैं।

थिंक टैंक जीटीआरआई के अनुसार अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव से वैश्विक बाजारों में इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों और सेमीकंडक्टर पार्ट्स की कीमतें बढ़ेंगी। जीटीआरआई के अनुसार अमेरिका इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, जूते, सफेद वस्तुओं और सौर पैनलों के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर है।

अमेरिका 2024-25 में लगातार चौथे वर्ष भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहेगा, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 131.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर (86.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात) होगा। भारत के कुल वस्तु निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और देश के कुल वस्तु व्यापार में 10.73 प्रतिशत है। भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।

 

हम अपनी क्षमताओं में सुधार करें तब ही चीन पर अधिक टैरिफ से फायदा

चार्टर्ड अकाउंटेंट और वैश्विक व्यापार से जुड़े मामलों के जानकार शुभम सिंघल मानते हैं कि अमेरिका की ओर से चीन पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का कदम दुनिया में व्यापारिक समीकरणों को बदलने वाला साबित हो सकता है। यह निर्णय न केवल अमेरिका-चीन के बीच तनाव को और बढ़ाएगा, बल्कि भारत जैसे उभरते विनिर्माण वाले देशों के लिए नए अवसर भी खोलेगा।

भारत पहले से ही ‘चाइना+1’ रणनीति का लाभ उठा रहा है जबकि वैश्विक कंपनियां चीन का विकल्प तलाश रही हैं। अमेरिका के इस नए टैरिफ कदम से भारत के लिए कपड़ा, फार्मा, इंजीनियरिंग गुड्स, केमिकल्स, जेम्स एंड ज्वेलरी और ऑटो कंपोनेंट्स जैसे कई क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने की संभावनाओं को और मजबूती मिलेगी। जब चीन पर अधिक टैरिफ से अमेरिकी बाजार में चीनी उत्पाद महंगे हो जाएंगे, तब भारतीय उत्पाद अपेक्षाकृत सस्ते और प्रतिस्पर्धी बन जाएंगे।

हालांकि सिंघल यह भी कहते हैं कि यह अवसर तभी वास्तविक लाभ में बदल पायेगा जब भारत अपनी सप्लाई चेन, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर, पोर्ट कनेक्टिविटी और निर्यात प्रक्रियाओं को और अधिक सुगम बनाए। साथ ही, अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ संभावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स पर भारत तेजी से प्रगति कर अपनी स्थिति और मजबूत करे।

अगर भारत इस समय नीतिगत स्तर पर सही कदम उठाता है और अपने विनिर्माण को लागत-प्रतिस्पर्धी बनाता है, तो यह वैश्विक व्यापार परिदृश्य में भारत के लिए पासा पलटने वाला साबित हो सकता है। यह अवसर भारत को “विकल्प” से आगे बढ़कर “वैश्विक विनिर्माण केंद्र” के रूप में स्थापित कर सकता है।

भारत और चीन के बीच और बढ़ेगा व्यापारिक तनाव

विशेषज्ञों का कहना है अमेरिका के इस कदम से दुनिया की सबसे बड़ी दो अर्थव्यवस्था अमेरिका-चीन के बीच व्यापार तनाव एक बार फिर बढ़ेगा। जिसका असर विश्व के अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा, यह एक गंभीर विषय है और इससे इक्विटी सहित जोखिमपूर्ण परिसंपत्तियों वर्गों को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं अमेरिका पर इसका असर मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ेगा, इससे अमेरिका फेडरल रिजर्व के लिए स्थिति और भी परेशानी होगी। जिसके बाद अमेरिका में मंदी गहराने का खतरा बढ़ सकता है। यदि भारत के संदर्भ में देखें तो विशेषज्ञ इसका असर अल्पकालिन बता रहे हैं

जियोजित इंवेस्टमेंट के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार कहते हैं, 1 नवंबर से चीन से आयात पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की ट्रंप घोषणा से भारत सहित वैश्विक स्तर पर कोरोबार और शेयर बाजारों पर अल्पकालिक प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध शुरू होगा, जिसका अन्य देशों की व्यापार पर पड़ेगा। भारत के संदर्भ में बात करें तो मौजूदा समय में 50 प्रतिशत टैरिफ कारोबार को पेरशान कर रहा है। चीन पर लगे टैरिफ का असर भारत के कारोबार पर काफी कम होगा या अल्पकालिक होगा। जबकि अमेरिका और चीन पर इसका प्रभाव नकारात्मक पड़ेगा। विजयकुमार ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मुद्रास्फीतिजनित मंदी की ओर बढ़ने की संभावना बढ़ रही है।

चीन पर अधिक अमेरिकी टैरिफ भारत के लिहाज से सकारात्मक

दी वेल्थ कंपनी रिसर्च प्रमुख प्रशांत ठक्कर कहते भारत पर अमेरिका ने 50 प्रतिशत का टैरिफ पहले से लगा रखा है। गौरतलब है कि अमेरिका और भारत व्यापार वार्ता को आगे बढ़ रही है और यह सकारात्मक है। मेरा अनुमान है कि भारत के कारोबार पर इसको कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। सरकार टैरिफ से निपटने के लिए जीएसटी दरों में कटौती कर कारोबारियों को राहत दी है। यूके सहित यूएई  के साथ व्यापार समझौता कर कारोबारियों को नए बाजार मुहैया करवा रहे हैं।

भारतीय शेयर बाजार पर असर

चीन पर लगाए गए नए टैरिफ का भारतीय शेयर बाजार पर प्रत्यक्ष नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन अमेरिका टैरिफ नीतियों की अनिश्चितता के सूक्ष्म संकेतों के कारण बाजार की धारणा पर इसका असर पड़ सकता है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के रिसर्च प्रमुख जी चोक्कालिंगम कहते हैं, टैरिफ युद्ध का भारतीय शेयर बाजार पर एक छिपा हुआ सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। टैरिफ घोषणाओं के बाद कच्चे तेल की कीमतें गिर गई है और आगे भी गिर सकती है, इससे मुद्रास्फीति में और गिरावट आएगी। इससे भारतीय रुपये को मजबूत होने में मदद होगी और विदेशी पूंजी के प्रवाह के लिए जमीन तैयार होगी। वहीं, तेल और उसके डेरिवेटिव का उपयोग करने वाले क्षेत्रों के मार्जिन में सुधार होगा। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर साबित होकर इक्विटी बाजार में किसी बड़ी गिरावट को थाम सकता है।

वे कहते हैं यदि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात पर इसी तरह की आक्रामकता नहीं दिखाते हैं, तो एफपीआई के लिए चीन बाजारों की तुलना में भारतीय बाजारों को प्राथमिकता देना काफी संभव है। पिछले कुछ दिनों में भारतीय शेयर बाजार ने अच्छी बढ़त देखी गई है। अक्टूबर में अब तक बेंचमार्क निफ्टी 50 में लगभग 3 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू बाजार में जीएसटी कटौती के बाद कॉपोरेट आय में सुधार के साथ अमेरिका व्यापार समझौता बाजार को नई ऊंचाई देने में मदद करेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button