
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का समय विज्ञान का क्रांति काल माना जा सकता है. उस समय सबसे ज्यादा शोध अंतरिक्ष में हो रहे थे. विशेषकर यह घातक हथियारों के डर से उपजी सुरक्षा के लिए जरूरी था. अमेरिका और रूस के बीच चांद पर पहुंचने की होड़ मची थी. उससे पहले अंतरिक्ष की बाधा को भी पार करना था. अमेरिका और सोवियत संघ के बीच स्पेस रेस अपने चरम पर थी. दोनों देश यह जानना चाहते थे कि क्या अंतरिक्ष यात्रा इंसानों के लिए सुरक्षित हो सकती है या नहीं. अमेरिका अपने बंदर को वापस लाने में नाकाम रहा, तो रूस ने एक आवारा कुतिया पर इसका प्रयोग किया.
अंतरिक्ष में पहला कुत्ता कब भेजा गया था?
68 साल पहले, 3 नवंबर 1957 को दुनिया में एक ऐतिहासिक मोमेंट था, जब मॉस्को की एक आवारा कुतिया लाइका पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने वाली पहली जीवित प्राणी बनी. सोवियत अंतरिक्ष यान स्पुतनिक-2 पर सवार लाइका का यह मिशन स्पेस रिसर्च की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि था. लाइका एक मिश्रित नस्ल की आवारा कुतिया थी, जिसे मॉस्को की सड़कों से पकड़ा गया था. उसे इसलिए चुना गया क्योंकि उसका स्वभाव शांत था और वह कठिन परिस्थितियों को झेलने में सक्षम थी.
कुत्ते को स्पेस में भेजने के लिए कैसी तैयारी की गई?
वह मॉस्को की सड़कों पर भटकने वाली एक मिक्स-ब्रीड स्ट्रे डॉग थी, जिसका वजन लगभग 6 किलोग्राम और उम्र करीब दो साल थी. वैज्ञानिकों ने उसे स्पेस मिशन के लिए विशेष ट्रेनिंग दी. उसे छोटे, बंद कैबिन में रहने की आदत डाली गई, वेटलेस कंडीशन (गुरुत्वाकर्षण की कमी) को झेलने और स्पेशल फूड्स खाने की ट्रेनिंग दी गई. लाइका का खाना एक जेली जैसी पदार्थ के रूप में तैयार किया गया था ताकि वह जीरो ग्रेविटी में आसानी से खा सके.
कुत्ते को अंतरिक्ष में क्यों भेजा गया था? सोवियत वैज्ञानिकों ने लाइका को अंतरिक्ष में इसलिए भेजा था ताकि यह जांचा जा सके कि कोई जीवित प्राणी अंतरिक्ष में कितनी देर तक जीवित रह सकता है. शुरुआत में सोवियत मीडिया ने दावा किया था कि लाइका कई दिनों तक जिंदा रही, लेकिन दशकों बाद यह सच्चाई सामने आई कि लॉन्च के कुछ घंटों के भीतर ही लाइका की मौत हो गई थी.
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