



इसके बाद वह वापस फरीदाबाद आया और अल-फलाह विश्वविद्यालय के कैंपस के आसपास अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट व सल्फर जैसी सामग्री जुटाकर छिपाई। फिर 10 नवंबर की शाम वह पुरानी दिल्ली के वॉल्ड सिटी की एक मस्जिद में करीब तीन घंटे तक छिपा रहा। माना जा रहा है कि मस्जिद से निकलने के बाद वह अपनी हुंडई आई-20 लेकर चला और कुछ ही देर में लाल किले के पास उमर ने गाड़ी में घबराकर धमाका कर दिया।
कब, कैसे बनी थी आतंकी कड़ी
अधिकारियों के अनुसार, उमर और गनई 2021 में तुर्किये गए थे, जहां उन्होंने जैश के कुछ ओवरग्राउंड वर्करों से मुलाकात की थी। लौटने के बाद दोनों ने फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी परिसर में अमोनियम नाइट्रेट, पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर जैसे विस्फोटक जुटाने शुरू कर दिए थे। दोनों इंटरनेट से VBIED (विहिकल बेस्ड इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाना सीख रहे थे।
कबूलनामे से खुली साजिश की पूरी कहानी
सुरक्षा एजेंसियों को मिली जानकारी के अनुसार, उमर ने अपने रिश्तेदारों से कहा था कि वह तीन महीने तक संपर्क में नहीं रहेगा। संभवतः धमाका करने के बाद वह भूमिगत होने की योजना में था। लेकिन श्रीनगर पुलिस की सतर्कता और गनई की गिरफ्तारी से सारा नेटवर्क खुल गया। यह मॉड्यूल अब तक के सबसे हाई-टेक आतंकी नेटवर्क्स में से एक माना जा रहा है, जिसमें उच्च शिक्षित युवाओं की संलिप्तता सामने आई है।