एजुकेशनखबरमध्य प्रदेश

ये शैक्षणिक सत्र ई अटेंडेंस और SIR की भेंट चढ़ गया है

भोपाल।प्रिय भाइयों और बहनों, हम शुरुआत से ही ई अटेंडेंस की व्यवहारिक समस्याओं को लेकर शासन प्रशासन को अवगत करवा रहे हैं, इसके बावजूद वे हमारी समस्याओं के निराकरण व एप निर्माण और उसकी विश्वसनीयता तथा डेटा प्रोटेक्शन एक्ट जैसी आशंकाओं से आश्वस्त करने के बजाय अपने प्रशासनिक अधिकारो का उपयोग कर शिक्षकों को भयभीत कर ई अटेंडेंस लगाने के लिए प्रताड़ित कर रहे हैं।पूरे तंत्र के दबाव के बाद भी हमारे शिक्षक साथी इस अव्यवहारिक व्यवस्था के खिलाफ डटे हुए हैं। “हमारे शिक्षक ऐप” एवं e HRMS App में गंभीर तकनीकी विसंगतियाँ हैं,परंतु कोई हमारी बात सुनने को तैयार ही नहीं हैं।हमारे पास स्पष्ट प्रमाण हैं कि शिक्षक रोज़ ई-अटेंडेंस लगा रहे हैं,फिर भी सिस्टम उन्हें अनुपस्थित दिखा रहा है या 50 किमी दूर बता रहा है।इसका सकारात्मक जवाब आज तक कोई भी अधिकारी नहीं देना चाहते हैं।अब तक की धमकियों के बावजूद एक भी कानूनी कार्रवाई नहीं हुई,क्योंकि विभाग को स्वयं पता है कि ई-अटेंडेंस के आधार पर दंड देना न्यायोचित नहीं है।लेकिन यदि कोई अधिकारी भावावेश में आकर कलेक्टर या प्रशासन की नजर में अपने नंबर बढ़ाने के चक्कर में हमारे साथियों पर कार्रवाई करता है,तो यह हमारे लिए प्रमाण होगा कि बिना अधिकृत आदेश के हम पर कार्रवाई की गई है। साथ ही इस ऐप से पूरे महीने कार्य करने के बाद भी अतिथि शिक्षकों का वेतन कटने के प्रमाण भी हमारे पास हैं।यह लड़ाई सिर्फ ई अटेंडेंस की ही नहीं है बल्कि नौनिहालों की शिक्षा,शासकीय विद्यालयों के अस्तित्व व शिक्षक की गरिमा को अक्षुण्य बनाए रखने की लड़ाई है।इस वर्ष जुलाई माह से ही शिक्षक पढ़ाने से कहीं अधिक इस ऐप में उपस्थिति लगाने में उलझे हैं।विभाग शिक्षा की गुणवत्ता नहीं देख रहा बल्कि ऐप की उपस्थिति देख रहा है। आप इस बात के लिए आश्वस्त रहे कि जिस दिन किसी भी साथी पर कार्रवाई हुई या वेतन कटा तो उसके लिए सड़क पर संघर्ष करने से पीछे नहीं हटेंगे।हमारी तैयारी पूर्ण है।इस पूरे सत्र में शिक्षकों को जिस तरह प्रताड़ित और परेशान किया जा रहा है शायद ही विगत 70 वर्षों में किया गया होगा।इन प्रताड़ना भरी सारी व्यवस्थाओं के खिलाफ आगामी माह में बड़ा आंदोलन करने के मजबूर होना पड़ रहा है।लोकतंत्र में नीतिगत बातों से सरकार को अवगत कराना हमारा अधिकार है और उनका निराकरण करना सरकार की जिम्मेदारी है। इसके अतिरिक्त हम माननीय न्यायालय में भी तर्क संगत अपना पक्ष रखेंगे जिससे कानून स्वयं हमारे पक्ष में खड़ा हो जाएगा। सरकार से माननीय न्यायालय ने पूछा है “शिक्षक ऐप न उपयोग करने से क्या क्षति हुई?” और अभी तक हम इसका उत्तर नहीं दे पाए हैं।आपसे विनम्र आग्रह हैं कि हम शिक्षार्थियों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिले इस पर पूरा पूरा ध्यान दे। ई अटेंडेंस से बिल्कुल भी भयभीत न हो…
आपका जगदीश यादव प्रदेश अध्यक्ष राज्य शिक्षक संघ मध्यप्रदेश

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