अध्यात्म
ऐसे करें ठाकुरजी को प्रसाद अर्पित, प्रेमानंद जी ने बताया भगवान को भोग लगाने का सही तरीका



स्वामी प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि भगवान को भोग लगाना सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि यह भक्ति का सबसे पवित्र तरीका है. जब कोई व्यक्ति सच्चे मन से भोग लगाता है, तो वह अपने अहंकार, स्वार्थ और अभिमान को छोड़कर भगवान के चरणों में समर्पित हो जाता है.
भोग लगाने से पहले खुद को शांति और पवित्रता में रखें. महाराज जी कहते हैं, “जिस मन में अशुद्धि या जल्दबाजी है, वहां भक्ति पूरी नहीं होती.”इसलिए भगवान को भोग लगाने से पहले थोड़ा समय ध्यान या नाम जप में लगाएं. साफ कपड़े पहनें और मन में यह भाव रखें कि भगवान आपके घर पधारे हैं
भोग में हमेशा सात्त्विक भोजन चढ़ाना चाहिए. प्याज, लहसुन या मांसाहार से बना खाना भोग में नहीं देना चाहिए. अगर फल चढ़ा रहे हैं, तो उनके बीज पहले निकाल लें. महाराज जी कहते हैं, “जिस भोजन में पवित्रता और सच्ची भावना हो, वही भगवान को प्रिय लगता है.”
महराज जी के अनुसार भोग का असली अर्थ सिर्फ भोजन देना नहीं, बल्कि अपना प्रेम और समर्पण व्यक्त करना है. आँखें बंद करके भगवान का स्मरण करें और मन ही मन कहें “हे प्रभु, यह आपका ही दिया हुआ है, इसे आपको ही अर्पित करता हूँ.” इसके बाद वही भोजन प्रसाद मानकर आदर से ग्रहण करें.
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, भोग लगाते समय यह मंत्र बोल सकते हैं
“त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।”
इसका अर्थ है: “हे गोविंद, यह आपकी ही वस्तु है, आपको ही समर्पित करता हूँ.”
हाँ, लेकिन भावना और श्रद्धा से लगाया गया छोटा भोग भी बहुत प्रभावी होता है.
हाँ, मन में भगवान का स्मरण करके भी भोग अर्पित किया जा सकता है.