मुंबई:बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच एवं उनके पति धवल बुच ने रविवार को कहा कि अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने और चेयरपर्सन का चरित्र हनन करने की कोशिश कर रही है. हिंडनबर्ग ने शनिवार रात को जारी एक रिपोर्ट में संदेह जताया है कि अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में पूंजी बाजार नियामक सेबी की अनिच्छा का कारण सेबी प्रमुख और उनके पति धवल बुच की अदाणी समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी हो सकती है. हिंडनबर्ग के इन आरोपों के जवाब में बुच दंपति ने रविवार शाम को जारी एक विस्तृत बयान में कहा कि आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट के एक फंड में उनका निवेश सिंगापुर स्थित निजी नागरिक के रूप में किया गया था.उन्होंने यह भी कहा कि माधवी के सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल होने से दो साल पहले यह निवेश किया गया था. इसके साथ ही दंपति ने कहा कि 2019 से ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार धवल निजी इक्विटी फर्म के रियल एस्टेट पक्ष से नहीं जुड़े हैं. बयान के मुताबिक, वर्ष 2017 में सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में माधवी की नियुक्ति के तुरंत बाद उनकी दो परामर्श कंपनियां निष्क्रिय हो गईं थीं. बयान में कहा गया, “भारत में कई तरह के नियामकीय उल्लंघनों के लिए हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोटिस का जवाब देने के बजाय उसने सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने और सेबी चेयरपर्सन के चरित्र हनन की कोशिश करने का विकल्प चुना है.”हिंडनबर्ग के अपनी ताजा रिपोर्ट जारी करने के तुरंत बाद एक बयान में बुच ने आरोपों को निराधार बताया था. आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए बुच दंपति ने अपने बयान में कहा, “हिंडनबर्ग की 10 अगस्त 2024 की रिपोर्ट के संदर्भ में, हम यह बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में हमारे ऊपर लगाए गए सभी बेबुनियाद आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं.” उन्होंने कहा, “इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. हमारा जीवन और वित्तीय लेन-देन एक खुली किताब की तरह है. पिछले कुछ वर्षों में सेबी को सभी आवश्यक वित्तीय रिकॉर्ड पहले ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं.” बुच दंपति ने कहा कि उन्हें किसी भी प्राधिकारी के समक्ष अपना कोई भी वित्तीय दस्तावेज पेश करने में कोई आपत्ति नहीं है, जिसमें वे दस्तावेज भी शामिल हैं, जो उस अवधि के हैं, जब वे निजी नागरिक थे. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, पूर्ण पारदर्शिता के हित में हम उचित समय पर एक विस्तृत बयान जारी करेंगे.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट राहुल के 3 सवाल:SEBI चीफ ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया, निवेशकों ने पैसा गंवाया तो जिम्मेदारी किसकी, क्या सुप्रीम कोर्ट संज्ञान लेगा
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप की कंपनियों में SEBI चीफ माधबी पुरी बुच की हिस्सेदारी के खुलासे के बाद राजनीति शुरू हो गई है। अब नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी सरकार से 3 सवाल पूछे हैं। राहुल ने X पर लिखा कि SEBI प्रमुख ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया। निवेशकों ने पैसा गंवाया तो यह किसकी जिम्मेदारी बनती है। क्या सुप्रीम कोर्ट इसका स्वत:संज्ञान लेगा।
इससे पहले, कांग्रेस ने X पर लिखा, “अडाणी महाघोटाले की जांच SEBI को दी गई। अब खबर है कि SEBI की चीफ माधवी बुच भी अडानी महाघोटाले में शामिल हैं। मतलब घोटाले की जांच करने वाला ही घोटाले में शामिल है। है ना कमाल की बात! इस महाघोटाले की सही जांच सिर्फ जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) से हो सकती है। हालांकि मोदी सरकार JPC बनाने को तैयार नहीं है। PM मोदी कब तक अडाणी को बचा पाएंगे, एक न एक दिन तो पकड़े जाएंगे।”
हिंडनबर्ग के जरिए भारत में वित्तीय अस्थिरता पैदा करने की साजिश का हिस्सा है विपक्ष : बीजेपी
भारतीय जनता पार्टी ने अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधवी पुरी बीच के खिलाफ जारी रिपोर्ट को खारिज कर दिया और इसे देश के प्रतिभूति बाजार नियामक को बदनाम करने का प्रयास करार दिया. केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर भारत में वित्तीय अस्थिरता और अराजकता पैदा करने की साजिश का हिस्सा होने का आरोप भी लगाया. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कहा कि ये भारत की इकॉनमी को ख़राब करने की कोशिश है. ये रिपोर्ट बिना किसी तथ्य पर बनायी गई है और इसके जरिए भारत को नुकसान पहुंचाने की साजिश है. उन्होंने पूछा कि विपक्ष क्यों झूठे विदेशी रिपोर्ट पर इतना उत्साहित है? क्या उसे सुप्रीम कोर्ट पर भी विश्वास नहीं है? क्या वो बांग्लादेश वाला कंडीशन भारत में भी चाहते हैं?