अध्यात्ममध्य प्रदेश

श्रीरामावतार में अधूरे रह गये कार्यों को पूर्ण करने श्रीराम ने द्वापर में कन्हैया बनकर लिया पुनः अवतार:पं०सुशील महाराज

मास दिवस कर दिवस भा मर्म न जाने कोय

मां शीतला माता मंदिर प्रांगण जनता नगर कॉलोनी फेस 1 करोंद भोपाल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा की पांचवें दिवस श्री कृष्ण जन्म की कथा को सुनाते हुए कथावाचक पंडित सुशील महाराज ने बड़ी ही गूढ जानकारी देते हुए श्रोताओं को बताया कि श्रीराम अवतार में प्रभु श्री राम द्वारा कुछ कार्य अधूरे अपूर्ण रह गए थे । उन्हें पूर्ण करने के लिए श्री राम ने द्वापर युग में कन्हैया बनकर उन्होने पुनःअवतार लिया । और उन अधूरे कार्यों को पूर्ण किया । महाराज श्री ने जानकारी देते हुए बताया कि एक बार प्रभु श्री राम अयोध्या में अपने महलों में एकांत में बैठे हुए थे। उसी समय उनके पास 16 स्त्रियां कामुक्त होकर उनके पास आईं।तब प्रभु श्री राम ने उन्हें समझाया कि मेरा यह अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में हुआ है। अतः जब द्वापर में मेरा अवतार श्री कृष्ण के रूप में होगा तब आपकी इच्छा पूर्ति अवश्य पूर्ण करूंगा। यह बात प्रभु श्री राम ने जब अपने गुरु वशिष्ट जी को बताई। तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे दरबार से यदी कोई प्राणी प्यासा भूंखा लौट गया है। तो उसका पाप तुम्हें लग चुका है । इस पाप को दूर करने के लिए जितनी स्त्रियां आई थी । आप 16 सोने की स्त्रियां बनाकर के ब्राह्मण को भोजन करवायें और उन सोने की स्त्रियों को ब्राह्मणों को दान में दे देवें। तो आप इस पाप से मुक्त हो जाएंगे।तब प्रभु श्री राम ने 16 सोने की स्त्रियां बनवाईं।और ब्राह्मणों को बुलाकर भोजन करवा कर उन्हें दान में दे दिया। तब ब्राह्मणों ने सहस्र गुना फल प्राप्त होने का आशीर्वाद उन्हें दे दिया। इसी वजह से द्वापर में श्रीराम को कन्हैया के रूप मैं 16 सोने की स्त्रियों के बदले16000 (सोलह हजार)स्त्रियां प्राप्त हुई थीं।वैसे तो श्रीराम द्वारा कन्हैया वनकर जन्म लेने की कई कारण थें।लेकिन उनमें प्रमुख कारण यह भी था। त्रेतायुग में प्रभु श्री राम दिन ने दिन में 12:00 बजे जन्म लिया था। तब प्रभु श्री राम के दर्शन पाने के लिए सूर्य देवता एक महीने तक एक ही स्थान पर स्थिर हो गए थे।यह बात का रामायण में स्पष्ट लेख है।कि “मांस दिवस कर दिवस भा,मर्म न जाने कोय,रवि समेत रथ थाकेउ निशा कवन विधि होय”इस बात से चंद्र देवता रुष्ट हो गए थे। तब प्रभु श्री राम ने सूक्ष्म रूप धारण करके चंद्रमा को प्रसन्न करने के लिए अपने नाम के साथ चंद्र लगाने का आश्वासन दिया। कि आज के बाद मेरे नाम के साथ राम की स्थान पर श्री रामचंद्र नाम बोला जाएगा । लेकिन चंद्र देवता फिर भी प्रसन्न नहीं हुये। तब प्रभु श्री राम ने उन्हें वरदान दिया कि त्रेता युग में मैं दिन के बजाय रात को 12:00 (बारह बजे अवतार लूंगा ।उस समय मेरे दर्शन का पूर्ण लाभ तुम्हें प्राप्त होगा।तब चन्द्र देवता प्रसन्न हो गये। श्री कृष्ण के जन्म के कई गुण रहस्यों को कथावाचक पंडित सुशील महाराज ने श्रद्धालुओं को बताया । आज कथा में श्री कृष्ण जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया गया । इस अवसर पर व्यवस्थापक डॉ मायाराम अटल, श्री कृष्णा राठौर एवं डॉ पी डी सोनी द्वारा श्रीमद् भागवत कथा की आरती को विधि पूर्वक संपादित किया गया । कार्यक्रम संरक्षक श्री विजय सिंह ने समस्त कार्यकर्ताओं को पंडाल में सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से बनाए रखने के निर्देश दिए। एवं व्यवस्थापक भैरव सिंह जी ने कथा समापन के समय हवन यज्ञ में लगने वाली सामग्री की व्यवस्था बनाने के लिए सभी साथियों से आग्रह किया कि हवन सामग्री समय पर उपलब्ध करवाई जावे। श्री कन्हैया जी की आरती उतारने का कार्य श्री आदित्य पाठक जी दिनेश असाटिया, पंडित रामेश्वर प्रसाद त्रिपाठी ,श्री संतोष जैन,डॉ पी डी सोनी श्री राधेश्याम विश्वकर्मा,लखन परमार, सुनील विश्वकर्मा, महेश साहू, राजा ठाकुर, मदन एवं राकेश टेंटवार,दया राम लोधी, ओ पी विश्वकर्मा तथा समस्त जनता नगर वाशियो द्वारा कृष्ण भगवान की पूजा करके आरती उतारने का कार्य पूर्ण किया गया। सैकड़ो श्रद्धालुओं ने धूमधाम से नृत्य गायन करते हुए श्री कृष्ण भगवान का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया।

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