कल शिव भक्तों के लिए खास दिन, जानें सोम प्रदोष व्रत में क्या करें क्या नहीं

कल मार्गशीर्ष महीने का सोम प्रदोष व्रत पड़ रहा है. सोमवार और प्रदोष काल का संगम भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन व्रत करने वाले लोगों को कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए. आइए जानें कि कल के सोम प्रदोष व्रत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं
धार्मिक ग्रंथों में मार्गशीर्ष महीने को सर्वश्रेठ महीना माना जाता है. इस पूरे मास में की गई पूजा-अर्चना और व्रत का फल कई गुना अधिक मिलता है. जब प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है, तो इसे सोमेश्वर शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने वाला माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई शिव आराधना स्वास्थ्य, धन और पारिवारिक सुख से जुड़ी सभी बाधाओं को दूर कर देती है.
कल है सोम प्रदोष व्रत
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 नवंबर 2025 की सुबह 4:47 बजे शुरू होकर 18 नवंबर की सुबह 7:12 बजे तक रहेगी. उदय तिथि के अनुसार, यह व्रत सोमवार, 17 नवंबर 2025 को रखा जाएगा. इस दिन सोमवार और प्रदोष तिथि का संगम होने से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है.
सोम प्रदोष व्रत में क्या करना चाहिए
- दिन की शुरुआत स्वच्छता और मन की शुद्धि के साथ करें. शिवजी के समक्ष व्रत का संकल्प लें.
- सोम प्रदोष में निर्जल या जल-फलाहार व्रत किया जाता है. अपनी क्षमता के अनुसार उपवास रखें.
- सूर्यास्त के बाद का 1.5 घंटे प्रदोष काल माना जाता है. इसी समय शिवजी की पूजा व्रत का मुख्य भाग है.
- शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है. इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
- मंत्रजप से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.
- ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन–दान करें
सोम प्रदोष में किन चीजों से बचना चाहिए
- क्रोध, अभद्र भाषा और नकारात्मक सोच से दूर रहें.
- व्रत के दिन मन शांत और संयमित रखना आवश्यक है.
- लहसुन, प्याज, मांसाहार व शराब से दूर रहें, व्रतधारी को दिनभर सात्त्विकता बनाए रखनी चाहिए.
- संभव हो तो दिन शांतिपूर्वक घर में बिताएं और शाम की पूजा पर ध्यान दें
- प्रदोष काल में सोना वर्जित माना गया है.
- यह समय शिव आराधना का है, इसलिए इस समय सोना अशुभ माना गया है.
- किसी का अपमान न करें.
- शिवजी की पूजा में टूटे-फूटे या मुरझाए फूल न चढ़ाएं.
कल सोम प्रदोष क्यों है खास?
मार्गशीर्ष मास में आने वाला सोम प्रदोष अत्यंत प्रभावी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन की पूजा और व्रत से स्वास्थ्य, धन, विवाह और परिवार से जुड़े सभी कष्ट दूर होते हैं.
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त
17 नवंबर शाम 5:27 से रात 8:07 मिनट तक पूजा करना शुभ है.




