पेड़ हमारे घर की पहचान और हमारे स्वागत द्वार हुआ करते थे – एडवोकेट तुलसीराम पटेल

आजकल मनुष्य सिर्फ अपनी सुख-सुविधाओं और आराम के लिए काम कर रहा है। लोग अपना आज देख रहे हैं अपनी आने वाली पीढ़ी का कल नहीं। इसी वजह से अधिकांश लोगों को न तो पर्यावरण की चिंता होती है और न ही धरती की। ऐसे लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। आज इस खास दिन पर देशभर में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कहीं जागरूकता रैली तो कहीं सभाएं हो रही हैं।
इसी ख़ास मौके पर अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अल्पसंख्यक अधिवक्ता संघ के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट तुलसीराम पटेल ने कहा कि प्रकृति के संरक्षण के लिए हमें हमारी पुरानी संस्कृति और सभ्यता को अपनाने की अति आवश्यकता है, हमारे पूर्वजों से हमनें सीखा था , कि घर ,खलिहान, खेत की मेड़ों पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाते है, हमनें मार्डन बनने की होढ़ में प्रकृति से खिलवाड़ कर बैठे, ओर आर्टीफिशियल सजावट को अपना बैठे, जबकि पहले हमारे घरों की पहचान ओर स्वागत द्वार पेड़ हुआ करते थे।