अंतरराष्ट्रीय जिझौतिया ब्राह्मण महासंघ का दो दिवसीय महाअधिवेशन संपन्न
16वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया बुंदेलखंड पहले जिझौतीखंड था -पं.कपिल देव मिश्रा

भोपाल, 1 सितंबर। राजधानी स्थित मानस भवन में अंतरराष्ट्रीय जौतिया ब्राह्मण महासंघ का दो दिवसीय महा अधिवेशन संपन्न हुआ। महा अधिवेशन में राजधानी भोपाल मध्य प्रदेश और देश-विदेश से काफी संख्या में समाज के बंधु शामिल हुए। अयोध्या केंद्रीय धर्म संसद सभापति पंडित श्री कपिल देव मिश्रा और पंडित रविशंकर पाठक प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि यह कार्यक्रम समाज के बांधों को एक सूत्र में बांधने तथा अपनी युवा पीढ़ी को विद्या समाज की संस्कृति इतिहास और विरासत का बोध कराने और इसे बनाए रखने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि 31 अगस्त और 1 सितंबर तक चल दो दिन से अधिवेशन में कई सत्र आयोजित किए गए जिसमें समाज के वक्ताओं ने अपने अनुभव साझा किया और समाज को एक जुट रहने की अपील की।
समाज के वरिष्ठ लोगों को किया गया सम्मानित
कार्यक्रम के अंतिम दिन समापन के अवसर पर समाज के उत्थान के लिए कार्य करने वाले वरिष्ठ जनों को सम्मानित किया गया।
समाज के केन्द्रीय अध्यक्ष विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि जो संकल्प शुरू किया गया है उसे पूरा करना है। आजादी से पहले जिझौतिया समाज के लोगों ने 200 साल तक राज्य किया। अपना इतिहास जानने की जरूरत है। उन्होंने इतिहास बताते हुए कहा कि अंतिम राज कुमार ने देवी के सामने सिर का बलिदान कर दिया था लेकिन देवी जी ने रक्त के एक बूंद से जीवित कर दिया था इसलिए बुंदेला कहलाए। समापन दिवस पर पंडित कपिल देव मिश्रा ने बताया कि बुंदेलखंड 16 वीं से 17 वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया। यह पहले जिझौतीखंड था।