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गरज-तूफ़ानों की निगरानी और विमानन सुरक्षा पर दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम नागपुर में संपन्न

देश के सभी 107 हवाई अड्डों से लगभग 400 प्रतिभागियों ने भाग लिया

नागपुर, 22 अप्रैल 2025 – भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के एयरोड्रोम मौसम विज्ञान कार्यालय, नागपुर द्वारा 21 और 22 अप्रैल को गरज-तूफान निगरानी और विमानन सुरक्षा” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया। यह कार्यक्रम क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (RMC) नागपुर और IMS चैप्टर्स नागपुर, भोपाल एवं रायपुर के सहयोग से आयोजित किया गया। इसमें देश के सभी 107 हवाई अड्डों से लगभग 400 प्रतिभागियों ने भाग लिया।कार्यक्रम का उद्घाटन श्री गजेन्द्र कुमार प्रमुख, CAMD नई दिल्ली द्वारा किया गया, जिन्होंने ICAO और DGCA की गाइडलाइनों का हवाला देते हुए बताया कि मौसम विज्ञान से संबंधित अधिकारियों के लिए हर छह महीने में रिफ्रेशर कोर्स आवश्यक हैं ताकि उनकी संचालनात्मक दक्षता बनाए रखी जा सके। स्वागत भाषण RMC नागपुर के प्रमुख श्री आर. बालासुब्रमणियन द्वारा दिया गया, जिन्होंने प्रशिक्षण की रणनीतिक भूमिका और क्षेत्रीय समन्वय को रेखांकित किया।इस प्रशिक्षण का नेतृत्व डॉ. रिज़वान अहमद निदेशक एवं वैज्ञानिक डी, AMO नागपुर द्वारा किया गया। उन्होंने तकनीकी समन्वय के साथ-साथ ‘सैटेलाइट आधारित गरज तूफान निगरानी पर विशेषज्ञ व्याख्यान भी दिया, जिसे प्रतिभागियों द्वारा अत्यंत उपयोगी माना गया। समापन सत्र में उन्होंने सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों और सह-संस्थाओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में और अधिक उन्नत प्रशिक्षण आयोजित करने का आश्वासन भी दिया।

प्रथम दिवस (21) अप्रैल 2025) का विवरण

कार्यक्रम के पहले दिन का फोकस गरज-तूफानों की जलवायु विशेषताओं, पूर्वानुमान मॉडल, और क्षेत्रीय विश्लेषणों पर रहा। दिन की शुरुआत डॉ. शशिकांत मिश्रा (NWFC, नई दिल्ली) के व्याख्यान से हुई, जिसमें उन्होंने भारत में गरज-तूफानों की दीर्घकालिक प्रवृत्तियों और जलवायु विश्लेषण को प्रस्तुत किया। इसके पश्चात डॉ. अखिल श्रीवास्तव (NWP, नई दिल्ली) ने HRRR मॉडल द्वारा तूफानों के उच्च-रिज़ॉल्यूशन पूर्वानुमान की विधियाँ साझा कीं।

श्रीमती लता श्रीधर (MC बेंगलुरु) ने विदर्भ क्षेत्र की विशिष्ट संवहनीय परिस्थितियों और स्थानीय तूफ़ानों की घटनाओं का विश्लेषण प्रस्तुत किया, जो क्षेत्रीय विमानों के संचालन में विशेष महत्व रखता है। इसके बाद, डॉ. रिज़वान अहमद ने उपग्रह प्रेक्षण के माध्यम से मध्य भारत में गरज-तूफानों की सटीक निगरानी और उसके एयर ट्रैफिक ऑपरेशंस में उपयोगिता पर जोर दिया।

दोपहर के सत्र में श्री वेद प्रकाश सिंह (MC भोपाल) ने अत्यधिक तीव्र और अप्रत्याशित तूफानों की पहचान और ट्रैकिंग तकनीकों को विस्तार से समझाया। इसके बाद डॉ. नीती सिंह (CAMD नई दिल्ली) ने रैपिड टूल्स के माध्यम से तीव्र नाउकास्टिंग की नवीनतम तकनीकों को दर्शाया। अंतिम तकनीकी सत्र में डॉ. गायत्री वाणी (MC रायपुर) ने निदानात्मक और प्रग्नोसिस टूल्स के प्रभावी उपयोग की व्याख्या की। दिन का समापन श्री मिकाला किशोर कुमार (AAI, नागपुर) के व्याख्यान से हुआ, जिन्होंने हवाई नेविगेशन सेवाओं में मौसमीय डेटा की अहम भूमिका को रेखांकित किया।
द्वितीय दिवस (22 अप्रैल 2025) का विवरण

दूसरे दिन का कार्यक्रम उन्नत पूर्वानुमान विधियों, रडार आधारित सेवाओं और DSS मॉडल पर केंद्रित रहा। डॉ. अनुप कुमार मिश्रा (CAMD, नई दिल्ली) ने उपग्रह और रडार से संयुक्त नाउकास्टिंग तकनीकों पर गहराई से प्रकाश डाला। इसके पश्चात डॉ. राधेश्याम शर्मा (MC जयपुर) ने पश्चिमी विक्षोभों के कारण उत्पन्न तूफ़ानों की व्याख्या की, जो उत्तरी भारत की संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

श्री प्रदीप शर्मा (MC अहमदाबाद) ने गरज-तूफानों की वास्तविक समय में पहचान और नाउकास्टिंग की प्रभावी तकनीकों को साझा किया। डॉ. त्रिसानु बनिक (नई दिल्ली) ने आकाशीय बिजली की जलवायु विशेषताओं और EWRF मॉडल के उपयोग से जुड़ी जानकारी प्रदान की, जो विशेष रूप से उड़ानों के मार्ग निर्धारण में सहायक है।

इसके बाद श्री अमित कुमार (रडार एप्लिकेशन सेल, नई दिल्ली) ने विमानन सेवाओं के लिए रडार आधारित वास्तविक समय की सेवाओं का प्रदर्शन किया। डॉ. प्रवीण कुमार (RMC नागपुर) ने Decision Support System (DSS) मॉडल का प्रयोग करके तूफान पूर्वानुमान में इसका व्यावहारिक उपयोग दिखाया, जो प्रशिक्षण का एक प्रमुख आकर्षण रहा।

अंतिम दो सत्रों में डॉ. जी. पी. सिंह (MTI पुणे) ने मौसमीय खतरों के प्रति अनुकूलन रणनीतियों और सुरक्षा प्रबंधन की चर्चा की, जबकि श्री अजय कुमार पाठक (पूर्व प्रभारी, ATC वाराणसी) ने विमानन सुरक्षा में मौसम विज्ञान की भूमिका पर विचार साझा किए।

समापन और भविष्य की योजना

दोनों दिन के प्रशिक्षण सत्रों के उपरांत खुले संवाद और फीडबैक सत्र आयोजित किए गए, जिसमें प्रतिभागियों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए हर 6 महीने में इस प्रकार के रिफ्रेशर कोर्स आयोजित करने की मांग की। इस व्यापक सहभागिता और तकनीकी समृद्धि से परिपूर्ण प्रशिक्षण ने IMD की वैज्ञानिक नेतृत्व क्षमता और विमानन सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को और अधिक दृढ़ता से स्थापित किया।

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