भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार प्रौद्योगिकी को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया है। साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने के मामले में आधार को और अधिक लचीला बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है। आइए इस बारे में जानें।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार प्रौद्योगिकी को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया है। साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने के मामले में आधार को और अधिक लचीला बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है। यूआईडीएआई के अध्यक्ष नीलकंठ मिश्रा की अध्यक्षता में इसके लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति बनाई गई है।
इसमें यूआईडीएआई के सीईओ भुवनेश कुमार, न्यूटानिक्स के संस्थापक धीरज पांडे, एमओएसआईपी के इंजीनियरिंग प्रमुख शशिकुमार गणेशन, ट्राइलीगल पार्टनर राहुल मथान, अमृता यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रभाकरण पूर्णचंद्रन, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अनिल जैन, यूआईडीएआई के उप महानिदेशक अभिषेक कुमार सिंह, सर्वम एआई के सह-संस्थापक विवेक राघवन और आईआईटी जोधपुर के प्रोफेसर मयंक वत्स शामिल हैं।
तेजी से बदलते तकनीकी और नियामक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए, यूआईडीएआई ने एक नए ‘आधार विजन 2032’ ढांचे के जरिए आधार के विकास के अगले दशक को आकार देने के लिए एक व्यापक रणनीतिक और तकनीकी समीक्षा शुरू की है। इस महत्वाकांक्षी बदलाव की राह दिखाने के लिए यूआईडीएआई ने अध्यक्ष नीलकंठ मिश्रा की अगुवाई में एक उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ समिति बनाई है।
बयान में कहा गया है कि विजन 2032 रोडमैप में न केवल आधार के तकनीकी नेतृत्व को बनाए रखने पर ध्यान दिया जाएगा, बल्कि एक सुरक्षित, समावेशी और जन-केंद्रित डिजिटल पहचान के रूप में इसकी भूमिका को भी मजबूत किया जाएगा। समिति आधार विजन 2032 दस्तावेज विकसित करेगी, जिसमें भारत के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम और गोपनीयता एवं साइबर सुरक्षा के उभरते वैश्विक मानकों के अनुरूप अगली पीढ़ी के आधार आर्किटेक्चर के लिए रूपरेखा तैयार की जाएगी।
बयान में कहा गया है, “आधार विजन 2032 फ्रेमवर्क आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग, एडवांस्ड एन्क्रिप्शन और अगली पीढ़ी के डेटा सुरक्षा तंत्र जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाने पर केंद्रित होगा। ये सुनिश्चित करेंगे कि आधार उभरते साइबर सुरक्षा खतरों के प्रति लचीला बना रहे, भविष्य की मांग के लिए मापनीय हो और तेजी से बदलते डिजिटल परिदृश्य के अनुकूल हो।”