
• MIT-WPU ने भारत के पहले टनलिंग और अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन एक्सीलेंस सेंटर का शुभारंभ किया।
• इस वर्कशॉप में, भारत के लिए किसी भी मौसम का सामना करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती ज़रूरत के साथ-साथ शिक्षा और उद्योग जगत के बीच साझेदारी की अहम भूमिका पर ज़ोर दिया गया।
• भारत, यूरोप, यूके और अमेरिका के विशेषज्ञों ने हिमालय जैसे कठिन इलाकों में सुरंग बनाने के आधुनिक तरीकों और नए इनोवेशन पर चर्चा की।
पुणे, 26 जून, 2025: आज MIT वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (MIT-WPU) में माननीय केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, श्री नितिन गडकरी ने ‘सस्टेनेबल टनलिंग फॉर बेटर लाइफ’ पर इंटरनेशनल वर्कशॉप का उद्घाटन किया, जिसका आयोजन सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन की शिक्षा एवं प्रशिक्षण समिति (ITA-CET) के सहयोग से दो दिनों के इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें भारत, यूरोप, यूके और अमेरिका के ग्लोबल एक्सपर्ट एकजुट हुए।
MIT-WPU में टनलिंग और अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन एक्सीलेंस सेंटर का उद्घाटन इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण था, जो भारत में इस तरह की पहली फैसिलिटी है। टनल मॉनिटरिंग लैब के साथ-साथ ड्रिलिंग एवं ब्लास्टिंग लैब की सुविधा भी उपलब्ध है। इस एक्सीलेंस सेंटर को सैंडविक और टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के साथ मिलकर बनाया गया है, जिसका उद्देश्य अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी में एडवांस्ड रिसर्च तथा ट्रेनिंग में सहयोग देना है।
इस वर्कशॉप में मुख्य संबोधन के अलावा तकनीकी सत्र और पैनल चर्चाओं का भी आयोजन किया गया, जिनकी अध्यक्षता श्री अर्नोल्ड डिक्स (इंटरनेशनल टनलिंग एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष) और इस क्षेत्र के अन्य जाने-माने विशेषज्ञों ने की।
माननीय केंद्रीय मंत्री, श्री नितिन गडकरी ने अपने संबोधन में कहा: “भारत इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के सबसे अच्छे दौर में कदम रख रहा है, जिसमें सुरंगें कनेक्टिविटी, सुरक्षा और सस्टेनेबिलिटी में बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं। हम अगले 10 सालों में ₹2.5 से ₹3 लाख करोड़ रुपये के टनल प्रोजेक्ट्स पूरा करने की योजना बना रहे हैं। इसे हकीकत में बदलने के लिए, हमें क्वालिटी से कोई समझौता किए बिना कंस्ट्रक्शन के खर्च को कम करना होगा। इसका मतलब है कि, हमें नई टेक्नोलॉजी के साथ-साथ सीएनजी, इथेनॉल, हाइड्रोजन और डीजल के इलेक्ट्रिक विकल्पों जैसे सस्टेनेबल फ्यूल का उपयोग करना होगा। हमें पुरानी टनलिंग मशीनों की मरम्मत करके उसे फिर से नया बनाना होगा, ऑस्ट्रिया, नॉर्वे और स्पेन जैसे यूरोपीय देशों से पुरानी मशीनों का आयात करना होगा, और सबसे बड़ी बात हमें अपनी खुद की मशीनें बनानी होंगी। भारत की भौगोलिक संरचना देश के हर हिस्से में अलग-अलग है, इसलिए रिसर्च और ट्रेनिंग बहुत ज़रूरी है। फैकल्टी के साथ-साथ इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स और जानकार इंजीनियरों को साथ मिलकर छात्रों को सही राह दिखानी चाहिए। मेरा मंत्रालय इससे जुड़े इक्विपमेंट और ट्रेनिंग के साथ हर तरह का सहयोग देने के लिए तैयार है। इनोवेशन, रिसर्च और सच्ची लगन के साथ, हम भारत को टनलिंग टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में आत्मनिर्भर बना सकते हैं।” इस मौके पर उन्होंने सस्टेनेबल टनलिंग टेक्नोलॉजी में रिसर्च की दिशा में पहला कदम उठाने के लिए MIT-WPU की तारीफ़ की, जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए फिलहाल सबसे बड़ी ज़रूरत है।
इस मौके पर श्री अर्नोल्ड डिक्स ने कहा, “ये एक्सीलेंस सेंटर पूरी दुनिया के लिए काफी मायने रखता है, क्योंकि यह इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता और उसे उपयोग में लाने की काबिलियत के बीच के अंतर को दूर करता है। बहुत बार, युवा कामगार जोखिम में पड़ जाते हैं क्योंकि उन्हें इतनी बारीकी से डिज़ाइन की गई चीज़ों को सुरक्षित तरीके से बनाने के लिए ज़रूरी ट्रेनिंग नहीं मिल पाती है। MIT-WPU में, मुझे फैकल्टी और छात्रों के बीच एक अनोखा जुड़ाव दिखता है, जो एक परिवार की तरह लगता है। जिन ग्रेजुएट्स से मैं यहाँ दो साल पहले मिला था, वे अब देश का इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रहे हैं, जो वाकई काबिले तारीफ है। यह एक्सीलेंस सेंटर सिर्फ़ ज़रूरी ही नहीं है, बल्कि उन मुश्किलों को भी स्वीकार करता है जिनसे हम जूझ रहे हैं। मुझे पूरा यकीन है कि, यह देश और दुनिया में क्षमता विकसित करने, लोगों की जान बचाने और सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।”
MIT-WPU के संस्थापक, डॉ. विश्वनाथ कराड ने कहा: “शिक्षा, विज्ञान और टेक्नोलॉजी में इतनी तरक्की — फेसबुक से लेकर एआई तक — के बावजूद हमारे पास आज भी ऐसे टूल्स नहीं हैं, जो सही मायनों में शांति को बढ़ावा दें। 1996 में, हमने साइंस, स्पिरिचुअलिटी और फिलॉसफी को एक साथ जोड़कर शांति की राह ढूंढने के लिए दुनिया की पहली कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था। फिर भी, जैसे-जैसे अशांति बढ़ रही है, जिसे देखकर मैं बस यही पूछता हूँ, क्या कोई ऐसा सस्टेनेबल तरीका है जिससे हमेशा कायम रहने वाली शांति हासिल की जा सके? आध्यात्मिक सोच रखने वाले इंजीनियर होने के नाते, मैं मानता हूँ कि सिर्फ इनोवेशन करना ही असली तरक्की नहीं है, बल्कि अपनी हर कोशिका के अंदर की चार ताकतों: यानी अपने तन, दिमाग, मन और आत्मा के बीच बेहतर तालमेल बनाना ही असली तरक्की है। अपने भीतर के इसी तालमेल से ही हम कॉन्शसनेस को समझना शुरू कर सकते हैं, और मेरा मानना है कि यही अंतिम सच्चाई और सुकून भरी दुनिया की बुनियाद है।”
इस कार्यक्रम में MIT-WPU के एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट, डॉ. राहुल कराड ने अपनी राय जाहिर करते हुए कहा: “इन दोनों लैब्स का उद्घाटन अकादमिक और उद्योग जगत के बीच साझेदारी को बढ़ावा की दिशा में एक बड़ा कदम है। टाटा और सैंडविक ने लगभग ₹2 करोड़ के इक्विपमेंट के साथ हमें दिल खोल कर अपना सहयोग दिया, जिसकी मदद से हम एक ऐसा मजबूत इकोसिस्टम तैयार कर रहे हैं, जहाँ रिसर्च, इनोवेशन और देश का विकास एक साथ हो सके। माननीय मंत्री श्री नितिन गडकरी ने अपनी मौजूदगी से जो हमारा हौसला बढ़ाया है, उससे जाहिर होता है कि सरकार देश में रिसर्च की क्षमता को बढ़ाने के इरादे पर अटल है। हम यही चाहते हैं कि भारत के संस्थान, देश और दुनिया के भागीदारों के साथ मिलकर टनल इंजीनियरिंग जैसे बेहद खास डोमेन की अगुवाई करें।”
इन सत्रों में कई विषयों पर चर्चा हुई, जिनमें एडवांस्ड टनलिंग के तरीके, बिल्डिंग इंफॉर्मेशन मॉडलिंग (BIM) और लेजर स्कैनिंग जैसे डिजिटल टूल्स का उपयोग, और टनल कंस्ट्रक्शन में पर्यावरण पर होने वाले असर को कम करने की स्ट्रेटजी शामिल थी। बातचीत के दौरान, बड़े-बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में बिजली की बचत करने वाली और किसी भी मौसम का सामना करने वाली टेक्नोलॉजी की सख्त ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया।
कार्यक्रम में MIT-WPU ने पहली बार MIT-WPU टनलिंग अवॉर्ड्स की मेज़बानी की, जिसमें भारत के बेहतरीन टनलिंग प्रोजेक्ट्स को सबसे उम्दा इनोवेशन, सुरक्षा, क्वालिटी और सस्टेनेबिलिटी के लिए सम्मानित किया गया। इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के बेहद सम्मानित टेक्नोक्रेट, श्री एस. के. धर्माधिकारी को टनल इंजीनियरों की अगली पीढ़ी को तैयार करने और उन्हें निखारने में बहुमूल्य योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, लार्सन एंड टूब्रो, नागपुर मुंबई सुपर कम्युनिकेशन एक्सप्रेसवे लिमिटेड (NMSCEL), जे. कुमार इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड जैसी कंपनियों को कभी अलग-अलग कैटेगरी में अवॉर्ड दिए गए।
कार्यक्रम में एक पेपर कंपटीशन भी आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों, प्रोफेशनल युवाओं और रिसर्च करने वालों को टनल डिज़ाइन और उभरती हुई कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी के बारे में अपने विचारों को प्रस्तुत करने का एक मंच मिला।
इस आयोजन की हर ओर तारीफ़ की जा रही है, क्योंकि इसने सभी भागीदारों के बीच उपयोगी बातचीत को बढ़ावा दिया, साथ ही इसने भारत की इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी चुनौतियों को सस्टेनेबल तरीके से और ज़िम्मेदारी के साथ दूर करने के लिए शिक्षा जगत, उद्योग जगत और सरकार के बीच साझेदारी को मज़बूत किया।