आयुर्वेद चिकित्सा मानवता को बचाने के लिए प्रकृति का सबसे बड़ा उपहार- वैद्य प्रशांत तिवारी
भोपाल, 27 नवंबर। भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद से बीमारियों का स्थाई रूप से उपचार किया जाता है। इसके किसी प्रकार से साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं। राजधानी के ख्यात आयुर्वेद चिकित्सक वैद्य प्रशांत तिवारी विश्व स्तर पर आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को स्थापित कर रहे हैं। तिवारी धर्म आयुर्वेद को साउथ कोरिया सरकार ने आयुर्वेद पर शोध करने और इस चिकित्सा पद्धति को स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया है। वैद्य तिवारी ने साउथ कोरिया सरकार के केंद्रीय मरीन चिकित्सा मंत्री, वाडो शहर के मेयर, चोसन मेडिकल यूनिवर्सिटी के चेयरमैन और सैकड़ों पीएचडी शिक्षा प्राप्त विद्वानों के समक्ष आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर व्याख्यान देते हुए प्रकाश डाला। करीब एक घंटे तक चली चर्चा में वैद्य तिवारी ने पांच महाभूत तत्वों पृथ्वी, जल, वायु अग्नि और आकाश के माध्यम से होने वाली चिकित्सा तथा समुद्र में पाए जाने वाले शंख, सीपी, मोती रेत व नमक आदि के माध्यम से की जाने वाली आयुर्वेद पंचकर्म चिकित्सा पद्धति के लाभ से अवगत कराया। वैद्य प्रशांत तिवारी ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा मानवता को बचाने के लिए प्रकृति का सबसे बड़ा उपहार है।
कैंसर पीड़ितों की रोग प्रतिरोधी क्षमता में सुधार संभव
आयुर्वेद चिकित्सा में स्वर्ण पदक प्राप्त वैद्य प्रशांत तिवारी वेलपार्क सिटी हास्पिटल गोचांग दक्षिण कोरिया में कैंसर अनुसंधान पर कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने आयुर्वेद के माध्यम से हड्डी से संबंधित रोगों और अल्जाइमर यानी याददाश्त में कमी होने वाली बीमारी पर दक्षिण कोरिया के अनेक विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिया। वैद्य तिवारी ने कहा कि कैंसर का उपचार करने और कीमोथेरेपी के बाद मरीज की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधी क्षमता कमजोर हो जाती है। आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग करके रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार किया जा सकता है। वैद्य तिवारी ने बताया कि गत माह उनके नेतृत्व में आयुर्वेद चिकित्सकों का एक दल योगडेक वेलनेस फेस्टा में दक्षिण कोरिया गया था जहां पर सैकड़ों दक्षिण कोरियाई नागरिकों ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का लाभ लिया।