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क्या अदाणी समूह में 34000 करोड़ का निवेश करने वाली थी एलआईसी? विवाद के बाद बीमा कंपनी ने दिया यह जवाब

एलआईसी का निवेश मूल्य बढ़कर 10 गुना हुआ

भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में, बुनियादी बातों और विस्तृत जांच-पड़ताल के आधार पर विभिन्न कंपनियों में निवेश के फैसले लिए हैं। भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में इसका निवेश मूल्य 2014 से 10 गुना बढ़कर 1.56 लाख करोड़ रुपये से 15.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो मजबूत फंड प्रबंधन को दर्शाता है।

बात दें कि यह बीमा कंपनी कोई छोटा-मोटा, एकल-उद्देश्य वाला फंड नहीं है, बल्कि 41 लाख करोड़ रुपये (500 अरब डॉलर से ज़्यादा) की संपत्ति के साथ भारत का सबसे बड़ा संस्थागत निवेशक है। यह लगभग हर बड़े व्यावसायिक समूह और क्षेत्र में फैले 351 सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध शेयरों (2025 की शुरुआत तक) में निवेश करता है। एलआईसी के पास पर्याप्त सरकारी बॉन्ड और कॉर्पोरेट ऋण भी हैं। इसका पोर्टफोलियो अत्यधिक विविधीकृत है, जिससे जोखिम का वितरण होता है।

अदाणी के ऋण में वैश्विक निवेशकों का विश्वास

एलआईसी का अदाणी समूह पर कर्ज, समूह के कुल कर्ज का दो प्रतिशत से भी कम है, जिसका नेतृत्व भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अदाणी करते हैं। अमेरिका के सबसे बड़े फंड ब्लैकरॉक, अपोलो, जापान के सबसे बड़े बैंक मिजुहो, एमयूएफजी और जर्मनी के दूसरे सबसे बड़े बैंक डीजेड बैंक जैसे वैश्विक निवेशकों ने भी हाल के महीनों में अदाणी ऋण में निवेश किया है, जो समूह में वैश्विक विश्वास को दर्शाता है।

अदाणी एलआईसी की सबसे बड़ी होल्डिंग नहीं

सूत्रों के अनुसार, अदाणी का कुल 2.6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज 90,000 करोड़ रुपये के वार्षिक परिचालन लाभ और 60,000 करोड़ रुपये की नकदी पर निर्भर है। इसका मतलब है कि अगर अदाणी नए बुनियादी ढांचे के निवेश को रोक दे, तो वह तीन साल से भी कम समय में अपना पूरा कर्ज चुका सकता है। इक्विटी के मामले में, अदाणी एलआईसी की सबसे बड़ी होल्डिंग नहीं है बल्कि इस मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, आईटीसी और टाटा समूह अदाणी से आगे हैं।

एलाईसी का अलग-अलग कंपनियों में हिस्सा

एलआईसी के पास अदाणी समूह के 4 प्रतिशत (60,000 करोड़ रुपये) शेयर हैं, जबकि रिलायंस में 6.94 प्रतिशत (1.33 लाख करोड़ रुपये), आईटीसी लिमिटेड में 15.86 प्रतिशत (82,800 करोड़ रुपये), एचडीएफसी बैंक में 4.89 प्रतिशत (64,725 करोड़ रुपये) और एसबीआई में 9.59 प्रतिशत (79,361 करोड़ रुपये) शेयर हैं। एलआईसी के पास टीसीएस का 5.02 प्रतिशत हिस्सा है, जिसका मूल्य 5.7 लाख करोड़ रुपये है।

भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी ने बीमा कंपनी के निवेश पर सवाल उठाने वाली द वाशिंगटन पोस्ट की उन रिपोर्टों का खंडन किया है। एलआईसी ने कहा है कि निवेश के फैसले एलआईसी की ओर से विस्तृत जांच-पड़ताल के बाद और बोर्ड की ओर से  जिन नीतियों को हरी झंडी दिखाई जाती है, उनके अनुसार स्वतंत्र रूप से लिए जाते हैं। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।

भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी ने बीमा कंपनी के निवेश पर सवाल उठाने वाली द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्टों का खंडन किया है। एलआईसी ने पुष्टि की है कि उसके सभी निवेश पूरी ईमानदारी और उचित मापदंडों के तहत किए गए हैं। अमेरिका के अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि भारतीय अधिकारियों ने मई में एक प्रस्ताव तैयार किया था। इस प्रस्ताव के तहत देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी से करीब 3.9 अरब डॉलर (करीब 34,000 करोड़ रुपये) की रकम अदाणी समूह की कंपनियों में निवेश की जानी थी। हालांकि, अब एलआईसी ने इन दावों को सरासर झूठ करार दिया है।

बीमा कंपनी ने किया वाशिंगटन पोस्ट के लेख का खंडन 

देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ने वाशिंगटन पोस्ट के निवेश से जुड़े आरोपों को सिरे से खारिज किया है। कंपनी ने कहा,”एलआईसी के निवेश से जुड़े निर्णय बाहरी कारणों से प्रभावित होते हैं, ऐसा आरोप झूठे, निराधार और सच्चाई से कोसों दूर हैं। लेख में जो आरोप लगाए गए हैं वैसा कोई दस्तावेज या योजना एलआईसी की ओर से कभी तैयार नहीं की गई है, जिसके जरिए एलआईसी की ओर से अदाणी समूह की कंपनियों में निवेश का रोडमैप तैयार करती हो।”

निवेश के फैसले जांच-पड़ताल के बाद लिए जाते हैं: एलआईसी

एलआईसी ने कहा, “निवेश के फैसले एलआईसी की ओर से विस्तृत जांच-पड़ताल के बाद और बोर्ड की ओर से  जिन नीतियों को हरी झंडी दिखाई जाती है, उनके अनुसार स्वतंत्र रूप से लिए जाते हैं। वित्तीय सेवा विभाग या किसी अन्य निकाय की ऐसे निर्णयों में कोई भूमिका नहीं होती है। एलआईसी ने जांच-पड़ताल के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित किया है और इसके सभी निवेश निर्णय मौजूदा नीतियों, अधिनियमों के प्रावधानों और नियामक दिशानिर्देशों के अनुपालन में, इसके सभी हितधारकों के सर्वोत्तम हित में किए गए हैं। लेख में दिए गए ये कथित बयान एलआईसी की सुव्यवस्थित निर्णय लेने की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने और एलआईसी की प्रतिष्ठा और छवि और भारत में वित्तीय क्षेत्र की मजबूत नींव को धूमिल करने के इरादे से दिए गए महसूस होते हैं।”

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