अध्यात्म
जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर पैर रखना क्यों है वर्जित? जानिए यम शिला का रहस्य



श्री जगन्नाथ मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि इसमें कई ऐसे रहस्य छिपे हैं जो आज भी लोगों को आश्चर्य में डाल देते हैं. मंदिर के मुख्य द्वार से अंदर जाते समय भक्तों को जो 22 सीढ़ियां दिखाई देती हैं, वे केवल पत्थरों की नहीं बल्कि भक्ति और जीवन के गहरे अर्थों की प्रतीक हैं. इन सीढ़ियों पर चढ़ना माना जाता है जैसे भक्त अपने पाप, दुख और मोह को पीछे छोड़कर भगवान के दरबार में प्रवेश कर रहे हों.
पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने के लिए कुल 22 सीढ़ियां हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में “बैसी पहाचा” कहा जाता है. ‘बैसी’ का अर्थ होता है 22 और ‘पहाचा’ का अर्थ होता है सीढ़ियाँ. इन 22 सीढ़ियों को मानव जीवन के 22 दोषों, इंद्रियों और तत्वों का प्रतीक माना गया है. जब भक्त इन सीढ़ियों पर चढ़ते हैं, तो यह समझा जाता है कि वे अपने मन के पाप, अहंकार और नकारात्मकता को पीछे छोड़कर मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं.
धार्मिक मान्यता के अनुसार-
पहली पाँच सीढ़ियां हमारी पाँच इंद्रियों का प्रतीक हैं.
अगली पाँच सीढ़ियां जीवन के पाँच प्राण तत्वों को दर्शाती हैं.
उसके बाद की सीढ़ियां शब्द, रूप, रस, गंध और स्पर्श जैसे तत्वों से जुड़ी हैं.
अंतिम सीढ़ियां पंचमहाभूत – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतिनिधित्व करती हैं.
इस तरह 22वीं सीढ़ी तक पहुँचते-पहुँचते भक्त अपने सारे दोषों को पीछे छोड़, शुद्ध भाव से भगवान के दरबार में प्रवेश करते हैं.