
आज यानी 18 अक्तूबर को कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन खरीदारी और पूजा-पाठ के लिए बहुत शुभ होती है। आइये जानते हैं तिथि, पूजा विधि और खरीदारी का शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर सोना और बर्तन इसलिए खरीदना है शुभ
धनतेरस के दिन सोना या चांदी खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ये धातुएं देवी लक्ष्मी और कुबेर को प्रिय हैं। सोना वैभव और स्थायित्व का प्रतीक है जबकि चांदी शुद्धता और सौभाग्य का संदेश देती है। इस दिन खरीदी गई इन धातुओं को घर में रखने से आर्थिक समृद्धि और संपदा बनी रहने की उम्मीद होती है। धनतेरस को धन्वंतरि त्रयोदशी भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए तांबा, पीतल, चांदी अथवा स्टील के नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। पौराणिक दृष्टि से ये बर्तन स्वास्थ्य, दीर्घायु और पारिवारिक सुख के सूचक माने जाते हैं। नई रसोई की चीजें घर में संपन्नता लाने का संकेत देती हैं।
Dhanteras Muhurat 2025: धनतेरस खरीदारी का चौघड़िया मुहूर्त
शुभ काल: सुबह 7:49 बजे से 9:15 बजे तक
लाभ (उन्नति) मुहूर्त: दोपहर 1:32 बजे से 2:57 बजे तक
अमृत काल: दोपहर 2:57 बजे से शाम 4:23 बजे तक
चर काल: दोपहर 12:06 बजे से 1:32 बजे तक
धनतेरस पर खरीदारी और पूजा के लिए मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। खरीदारी के दो शुभ मुहूर्त बीत चुके हैं और अब तीसरा और आखिरी मुहूर्त बचा हुआ है। धनतेरस का तीसरा मुहूर्त शाम 7 बजकर 16 मिनट लेकर रात 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस पर मिट्टी के दीये खरीदना शुभ
आज के दिन मिट्टी के बर्तन, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति,हटरी या दिए खरीदना भी बेहद शुभ माना जाता है। मिट्टी के बर्तन से घर में सकारात्मकता आती है। पंचतत्वों में शामिल मिट्टी से बने दीयों से पूजन अच्छा माना जाता है।
धनतेरस पर पीतल खरीदना क्यों उत्तम
भगवान धन्वंतरि की प्रिय धातु पीतल है और उनके हाथ में अमृत कलश होता। आज के दिन पीतल के बर्तन खरीदना उत्तम माना गया है। समय परिवर्तन के साथ आजकल धनतेरस का भी बाजारीकरण हो गया है और इस दिन को विलासिता पूर्ण वस्तुओं के क्रय का दिन घोषित कर रखा है जो सही नहीं है।
धनतेरस पर धनिया क्यों खरीदा जाता है
धनतेरस पर बहुत से लोग धनिया के बीज खरीदकर घर में रखते हैं। इसे सौभाग्य व सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है। दीपावली पर लक्ष्मी पूजा की थाली में इसे रखते हैं और बाद में इनको क्यारी,गमलों,खेतों आदि में बोया जाता है।