अध्यात्ममध्य प्रदेश

आग्रही बनिये पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं- प्रमाण सागर जी महाराज

प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने आपको सम्हालने वाला जीवन की हर परीक्षा में पास होता है- प्रमाण सागर जी महाराज

पूज्य मुनिश्री 108 विमल सागर जी महाराज, पूज्य मुनिश्री 108 अनंत सागर जी महाराज ससंघ विद्यासागर संस्थान, अवधपुरी, भोपाल में विराजमान हैं। हेमलता जैन रचना ने बताया कि तन को स्वस्थ मन को मस्त तथा आत्मा को पवित्र बनाने वाले भावना योग के माध्यम से अनेकानेक लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु किए जा रहे अभिनव प्रयोग के दौरान अपने सारगर्भित उद्बोधन में श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने कहा कि:- “जीवन की एक बहुत बड़ी सच्चाई यह है कि हमारे अंदर सहनशीलता की कमी है जो हमें असहिष्णु बनाकर कमजोर करती है। जो सहन करता है वही सामर्थ्यवान बनता है।” उपरोक्त उदगार मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने प्रातःकालीन धर्मसभा में व्यक्त किये। मुनि श्री ने कहा कि आजकल छोटी-छोटी बातों में लोग उलझ जाते हैं और अपनी बात पर अड़े रहते हैं वह दूसरे पक्ष की बात को समझना ही नहीं चाहते यदि ऐसा है तो आपके अंदर सहनशीलता की बहुत बड़ी कमी है जो व्यक्ति सहनशील होता है, वह सामने वाले की बात को सुनता है तथा चीजों को इग्नोर करता है। मुनि श्री ने कहा कि आग्रही बनिये पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं, अनुकूल परिस्थितियों में तो सभी सहज और सहनशील दिखाई देते हैं लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियों में जो अपने आपको सम्हाल लेता है वह जीवन की हर परीक्षा में पास होता है उन्होंने कर्कशा सास और सुशील बहु का उदाहरण देते हुए कहा कि पड़ोसियों के सामने नई नवेली बहु पर सास गुस्सा कर रही थी- बोली कि धरती को भी लात मारो तो वह भी आवाज़ करती है लेकिन मेरी इस बहु को तो देखो हमेशा पत्थर की बुत बनी सुनती रहती है। मेरी किसी बात का जबाब नहीं देती तो पड़ोसिन ने कहा कि हम देख रहे हैं कि आपको गऊ जैसी सुंदर, सलोनी, संस्कारित बहु मिली है। यदि तुम्हें लड़ने का इतना ही शौक है तो आओ मैं तुझसे लड़ती हूं, उक्त वार्ता को सुन बहु ने कहा‌ कि चाची जी आप कुछ मत कहिये, ये मेरी सास नहीं मेरी मां समान हैं। यदि मां अपनी बेटी को नहीं समझायेगी तो कौन समझायेगा? बहु के मुख से यह बात सुन सास का दिल पिघल गया और उसने अपनी बहु को गले‌ से लगा लिया। मुनि श्री ने कहा कि यदि आपके अंदर सहनशीलता है तो आप गलत व्यक्ति से भी अपनी बात मनवा सकते हैं, वहीं असहनशीलता से बने बनाये सम्बन्ध भी बिगड़ जाते हैं। जिसने सहना सीख लिया समझना उसने अपने जीवन को साध लिया। भावना योग की साधना से सहनशीलता अपने आप आ जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button